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27वां लोकरंग महोत्सव: 11 दिनों तक भारत के लोक नृत्यों का संगम

27वां लोकरंग महोत्सव: 11 दिनों तक भारत के लोक नृत्यों का संगम

मनीषा शर्मा।  राजस्थान के जयपुर स्थित जवाहर कला केंद्र (जेकेके) में 18 से 28 अक्टूबर तक 27वां लोकरंग महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। इस 11 दिवसीय आयोजन में भारत की रंग-बिरंगी लोक संस्कृति का अद्भुत प्रदर्शन देखने को मिलेगा। लोकरंग महोत्सव में विभिन्न राज्यों के लोक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे, जिसमें राजस्थान के लोक नृत्य, संगीत, कठपुतली, शहनाई-नगाड़ा वादन, बहुरूपिया जैसी कला विधाएं शामिल हैं। आयोजन का उद्देश्य विलुप्त हो रही लोक कलाओं को संरक्षित करना और नई पीढ़ी तक इनकी सुंदरता को पहुंचाना है।

इस महोत्सव का आयोजन जवाहर कला केंद्र के शिल्पग्राम में डूंगरपुर हट के मंच पर होगा, जहां प्रतिदिन शाम 5 से 6.30 बजे तक और ओपन एयर थिएटर में शाम 7 बजे से लोक कला प्रस्तुतियां होंगी। इसमें लोक नृत्य, संगीत और कठपुतली कला के साथ-साथ बहुरूपिया जैसे मनोरंजक प्रदर्शन भी शामिल होंगे, जो पूरे दिन दर्शकों का मन बहलाएंगे।

शिल्पग्राम में राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला

लोकरंग महोत्सव में शिल्पग्राम में राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला भी लगाया जाएगा। देशभर के दस्तकारों द्वारा बनाए गए हस्तशिल्प उत्पादों की स्टॉल्स यहां लगाई जाएंगी। यह मेला न सिर्फ पारंपरिक भारतीय हस्तशिल्प की एक झलक पेश करेगा, बल्कि स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने का अवसर भी प्रदान करेगा। दर्शक इन हस्तशिल्प स्टॉल्स के साथ-साथ महोत्सव में लगाए गए फूड स्टॉल्स पर विभिन्न क्षेत्रीय व्यंजनों का लुत्फ भी उठा सकेंगे।

लोक कलाओं को जीवंत रखने का प्रयास

इस महोत्सव के महत्व को समझाते हुए जवाहर कला केंद्र के महानिदेशक और संस्कृति विभाग के सचिव रवि जैन ने बताया कि लोकरंग महोत्सव एक ऐसा मंच है, जो लोक कलाओं को लोगों के सामने जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है। इन लोक कलाओं में से कई विलुप्ति के कगार पर हैं, ऐसे में यह आयोजन उनके संरक्षण और संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने बताया कि इस महोत्सव में स्थानीय कलाकारों और दस्तकारों को अपने हुनर को प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा, जिससे उन्हें रोजगार के नए अवसर मिलते हैं।

कला प्रेमियों में उत्साह

जवाहर कला केंद्र की अतिरिक्त महानिदेशक अलका मीणा ने कहा कि लोकरंग महोत्सव को लेकर कला प्रेमियों में गहरी रुचि और उत्साह है। केंद्र की ओर से तैयारियों को बड़े स्तर पर अंजाम दिया जा रहा है और आम जनता को अधिक से अधिक इस आयोजन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। अलका मीणा ने बताया कि इस बार कुछ नई कला विधाओं को भी प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे लोग और अधिक कला विधाओं से परिचित हो सकें।

महोत्सव के मुख्य आकर्षण

27वें लोकरंग महोत्सव में विशेष रूप से भारत के पारंपरिक लोक नृत्यों और संगीत के विविध रंगों को प्रस्तुत किया जाएगा। महोत्सव का मुख्य आकर्षण शाम को होने वाले लोक नृत्य कार्यक्रम होंगे, जिनमें राजस्थान के मशहूर घूमर, कालबेलिया, गरबा, बिहू, और अन्य राज्यों के पारंपरिक नृत्य शामिल होंगे। कठपुतली का प्रदर्शन, जिसमें राजस्थान की प्राचीन कला का स्वरूप है, भी महोत्सव का एक खास हिस्सा रहेगा। बहुरूपिया कला, जिसमें कलाकार विभिन्न रूपों में प्रस्तुत होते हैं, पूरे दिन महोत्सव में रंग भरेंगे।

विभिन्न विधाओं का संगम

लोकरंग महोत्सव में दर्शक न सिर्फ भारतीय संस्कृति के रंगों को देख सकेंगे, बल्कि अपने राज्य की कला को भी प्रोत्साहित कर सकेंगे। इस प्रकार का आयोजन न केवल संस्कृति के संरक्षण में सहायक है, बल्कि कलाकारों को उनकी कला के लिए एक व्यापक मंच प्रदान करता है। इस महोत्सव के माध्यम से देश के कोने-कोने से आए कलाकारों को अपनी कला दिखाने का मौका मिलता है, जिससे उन्हें प्रोत्साहन और सम्मान मिलता है।

संस्कृति को संरक्षण देने का संकल्प

यह महोत्सव न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि भारतीय संस्कृति और कला को जीवित रखने का एक अनूठा प्रयास भी है। महोत्सव का उद्देश्य है कि देश की नई पीढ़ी इस समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से परिचित हो सके। इस आयोजन से लोक कलाकारों की कला को सहेजने का प्रयास होता है और उन्हें एक ऐसा मंच मिलता है, जहां उनकी कला को व्यापक दर्शकों तक पहुंचाया जा सके।

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