शोभना शर्मा। राजस्थान में हाल ही में कफ सिरप को लेकर उठे विवाद पर चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने शनिवार को जोधपुर में सफाई दी। सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में कफ सिरप की वजह से कोई मौत नहीं हुई है। हालांकि, जब उनसे केंद्र सरकार द्वारा सिरप के फार्मूले पर बैन से जुड़े सवाल पूछे गए, तो वह अचानक प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़कर चले गए।
यह पूरा घटनाक्रम तब हुआ जब केंद्र सरकार ने कुछ घंटे पहले ही कफ सिरप में इस्तेमाल हो रहे एक फार्मूले को प्रतिबंधित किया था। इस फैसले के बाद राजस्थान में बनी दवा को लेकर सवाल उठने लगे। पत्रकारों ने मंत्री से इस विषय पर स्पष्ट जानकारी मांगी, लेकिन उन्होंने कहा कि “राजस्थान में जो मौतें हुई हैं, वे सिरप की वजह से नहीं हुईं।”
मंत्री बोले – जांच में सिरप दोषी नहीं पाया गया
गजेंद्र सिंह खींवसर ने बताया कि राज्य सरकार ने पहले ही इस मामले की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी। समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा कि दवा के कारण किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है। मंत्री ने कहा कि अब दूसरी बार भी जांच कमेटी गठित की जा रही है ताकि यदि कोई तकनीकी या रासायनिक त्रुटि हो तो उसका पता लगाया जा सके। उन्होंने कहा, “हमने सिरप का सैंपल लैब में भेजा था। रिपोर्ट में कोई हानिकारक तत्व नहीं मिला। इसलिए यह कहना कि मौतें इसी दवा से हुईं, यह तथ्यात्मक रूप से गलत है।”
केंद्र के बैन पर पूछे सवाल से असहज हुए मंत्री
पत्रकारों ने जब उनसे सवाल किया कि केंद्र सरकार ने कुछ ही घंटे पहले इसी दवा के फार्मूले पर बैन लगा दिया है, तो मंत्री खींवसर ने अपने साथ मौजूद अधिकारियों की ओर देखा और उनसे कुछ जानकारी मांगी। इसके बाद उन्होंने यह कहते हुए बातचीत समाप्त कर दी कि वे बाद में विस्तृत जानकारी देंगे। मौके पर मौजूद मीडियाकर्मियों के अनुसार, मंत्री ने जब महसूस किया कि प्रश्न लगातार केंद्र के बैन और राज्य सरकार की कार्रवाई को लेकर हो रहे हैं, तो वे अचानक प्रेस कॉन्फ्रेंस से उठकर बाहर चले गए।
राज्य सरकार भी करवाएगी जांच – खींवसर
मंत्री ने यह भी कहा कि यदि केंद्र ने दवा के फार्मूले को बैन किया है, तो राज्य सरकार भी इस दिशा में अपनी जांच शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतेगी और यदि किसी दवा में कमी पाई जाती है तो तुरंत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता जनता की सुरक्षा और सेहत है। यदि किसी अस्पताल में यह दवा अब भी लिखी जा रही है, तो हम तुरंत उस पर रोक लगाएंगे।”
राज्य के स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर उठे सवाल
कफ सिरप विवाद के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। यह दवा कई जिलों में सरकारी अस्पतालों में उपयोग में लाई जा रही थी। कुछ मरीजों की मौत के बाद परिजनों ने आरोप लगाया था कि सिरप लेने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ी। हालांकि अब तक किसी स्वतंत्र एजेंसी की रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि मौतें सिरप की वजह से हुईं। राज्य सरकार ने पहले जांच शुरू कर दी थी और अब केंद्र सरकार के बैन के बाद दूसरी जांच भी करवाई जाएगी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़ने की घटना बनी चर्चा का विषय
गजेंद्र सिंह खींवसर के प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़कर जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मंत्री को जनता के सवालों का जवाब देना चाहिए था। कांग्रेस नेताओं ने इसे सरकार की “जवाबदेही से बचने” की कोशिश बताया। वहीं, भाजपा के कुछ नेताओं ने मंत्री का बचाव करते हुए कहा कि जांच की प्रक्रिया जारी है और बिना सबूत किसी पर आरोप लगाना गलत है।


