शोभना शर्मा। राजस्थान के अलवर जिले में स्थित सरिस्का टाइगर रिजर्व से वन्यजीव प्रेमियों और बाघ संरक्षण से जुड़े अधिकारियों के लिए एक अत्यंत सुखद समाचार सामने आया है। सरिस्का की बाघिन ST-30 ने हाल ही में तीन शावकों को जन्म दिया है, जिससे रिजर्व में बाघों की संख्या अब बढ़कर 45 हो गई है। इन तीनों शावकों की पहली झलक भी वन विभाग के कैमरों में कैद हो चुकी है, जिसने इस अभूतपूर्व घटना को प्रमाणिकता प्रदान की है।
बाघिन ST-30 को वर्ष 2023 में राजस्थान के ही रणथंभौर टाइगर रिजर्व से सरिस्का में स्थानांतरित किया गया था। उसे सरिस्का के टहला रेंज स्थित बघानी क्षेत्र में छोड़ा गया था, जो बाघों के लिए एक उपयुक्त प्राकृतिक आवास माना जाता है। पिछले कुछ महीनों से विभागीय अधिकारी इस बाघिन की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थे और अब उसकी सफल प्रजनन प्रक्रिया ने सभी प्रयासों को सार्थक कर दिया है।
सरिस्का में यह घटना इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि एक समय ऐसा था जब यह क्षेत्र अवैध शिकार की घटनाओं के कारण बाघों से पूरी तरह खाली हो गया था। 2005 के आसपास सरिस्का में एक भी बाघ नहीं बचा था, जिसके बाद राजस्थान सरकार और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के सहयोग से पुनर्वास कार्यक्रम शुरू किया गया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत रणथंभौर से सरिस्का में चरणबद्ध तरीके से बाघों को स्थानांतरित किया गया।
बाघिन ST-30 की यह ब्रीडिंग सफलता इस बात का प्रमाण है कि सरिस्का का पारिस्थितिक तंत्र बाघों की स्थायी और सुरक्षित उपस्थिति के लिए अनुकूल होता जा रहा है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि शावकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इलाके की गश्त और निगरानी और भी अधिक बढ़ा दी गई है। न सिर्फ कैमरा ट्रैपिंग के माध्यम से, बल्कि ऑन-ग्राउंड गश्ती दल भी बाघिन और उसके शावकों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।
इस खुशखबरी पर राज्य के वन मंत्री संजय शर्मा ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बाघिन के शावकों के जन्म को बाघ संरक्षण प्रयासों की एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए सभी वन अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई दी। साथ ही, उन्होंने इस घटना को पूरे प्रदेश के लिए गर्व का विषय भी बताया।
इस खबर के साथ एक और सकारात्मक सूचना भी सामने आई है। रणथंभौर टाइगर रिजर्व में भी बाघिन RBT-2313 ने हाल ही में दो शावकों को जन्म दिया है। ये दोनों शावक सोमवार सुबह पहली बार कैमरे में दिखाई दिए। इससे यह स्पष्ट होता है कि राजस्थान के दोनों प्रमुख टाइगर रिजर्व—सरिस्का और रणथंभौर—में बाघों की आबादी में स्थिर वृद्धि हो रही है।
सरिस्का में अब कुल 45 बाघ मौजूद हैं, जिनमें से 21 शावक हैं। यह संख्या बाघों की भविष्य की स्थिरता के लिए काफी उत्साहवर्धक है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इसी प्रकार बाघ संरक्षण की नीतियां लागू होती रहीं और प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा बनी रही, तो आने वाले वर्षों में सरिस्का एक बार फिर बाघों की स्थायी और समृद्ध बस्ती बन सकता है।
वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, आने वाले समय में सरिस्का में बाघों की गतिविधियों को लेकर और भी तकनीकी उपायों को अपनाया जाएगा। इससे न केवल बाघों की निगरानी आसान होगी, बल्कि उनके स्वास्थ्य और आवास के बारे में भी अधिक सटीक जानकारी मिल सकेगी।


