शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी का शुक्रवार देर रात निधन हो गया। 62 वर्षीय डूडी लंबे समय से बीमार चल रहे थे और करीब 25 महीनों से कोमा में थे। उनके निधन से राजस्थान की राजनीति में शोक की लहर दौड़ गई। शनिवार को बीकानेर स्थित उदयरामसर फार्म हाउस पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान कांग्रेस के कई बड़े नेताओं और हजारों समर्थकों ने उन्हें अंतिम विदाई दी।
कांग्रेस में शोक की लहर, गहलोत और डोटासरा ने दी अंतिम विदाई
रामेश्वर डूडी के निधन की खबर जैसे ही सामने आई, कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा बीकानेर पहुंचे और उन्होंने अपने सहयोगी नेता को कंधा देकर अंतिम विदाई दी। दोनों नेताओं ने डूडी के योगदान को याद करते हुए कहा कि वे हमेशा किसानों और आम जनता की आवाज बने रहे। गहलोत ने कहा, “डूडीजी का निधन पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपने जीवन में जनता के अधिकारों के लिए निरंतर संघर्ष किया।” वहीं, डोटासरा ने कहा कि “राजस्थान की राजनीति ने एक सच्चा जननेता खो दिया है, जिन्होंने किसानों के हितों की लड़ाई हमेशा मजबूती से लड़ी।”
भारी भीड़ के बीच निकली अंतिम यात्रा
शनिवार सुबह वैद्य मघाराम कॉलोनी स्थित आवास से उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई। करीब 10 किलोमीटर लंबी इस यात्रा में समर्थकों का सैलाब उमड़ पड़ा। लोग अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई देने के लिए दूर-दूर से पहुंचे। यात्रा के दौरान माहौल बेहद भावुक रहा। समर्थक “डूडी अमर रहें” और “हमारा नेता कैसा हो, रामेश्वर डूडी जैसा हो” जैसे नारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे। अंतिम यात्रा उदयरामसर फार्म हाउस पहुंचने के बाद, पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान सरकारी अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
राजस्थान के कई दिग्गज नेता हुए शामिल
रामेश्वर डूडी को श्रद्धांजलि देने के लिए राजस्थान कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के कई दिग्गज नेता बीकानेर पहुंचे। इनमें टीकाराम जूली, सुमित गोदारा, हरीश चौधरी, हेमाराम चौधरी, और सांसद हनुमान बेनीवाल शामिल रहे। देर रात उनके निधन की खबर फैलते ही उनके आवास के बाहर नेताओं और समर्थकों का जमावड़ा लग गया था। हर किसी के चेहरे पर गम और आंखों में आंसू थे।
किसानों के नेता के रूप में पहचान
रामेश्वर डूडी सिर्फ एक राजनीतिक नेता नहीं, बल्कि किसानों के सच्चे प्रतिनिधि माने जाते थे। वे कई बार राजस्थान किसान कांग्रेस के पदाधिकारी रहे और किसानों से जुड़े मुद्दों पर विधानसभा और संसद दोनों में आवाज उठाते रहे। राजस्थान विधानसभा में वे नेता प्रतिपक्ष रहे और उस दौरान उन्होंने राज्य की नीतियों में किसानों और ग्रामीण जनता के हित में कई अहम मुद्दे उठाए। डूडी अपने क्षेत्र में एक सुलझे और जमीनी नेता के रूप में जाने जाते थे।
बीमारी और कोमा की स्थिति
करीब दो साल पहले रामेश्वर डूडी को गंभीर स्वास्थ्य समस्या हुई थी, जिसके बाद वे कोमा में चले गए थे। परिवार और समर्थक लगातार उनके स्वस्थ होने की कामना कर रहे थे। हालांकि, 25 महीने तक संघर्ष करने के बाद शुक्रवार रात उन्होंने अंतिम सांस ली। बीकानेर के अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान कई बार पार्टी के वरिष्ठ नेता उनसे मिलने पहुंचे थे। लेकिन उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो सका।
जनता में लोकप्रियता और सादगी के लिए जाने जाते थे
रामेश्वर डूडी का राजनीतिक करियर सादगी और जनसेवा के लिए जाना जाता है। वे हमेशा किसानों, युवाओं और आम जनता के बीच सक्रिय रहे। बीकानेर और आसपास के जिलों में उन्हें एक मजबूत जनाधार प्राप्त था। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके अंतिम संस्कार में हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। कई समर्थक अपने नेता को श्रद्धांजलि देते हुए भावुक हो उठे।
राजस्थान की राजनीति में बड़ा खालीपन
रामेश्वर डूडी के निधन से राजस्थान कांग्रेस को गहरी क्षति पहुंची है। वे न केवल संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे बल्कि गहलोत खेमे के भरोसेमंद नेताओं में भी गिने जाते थे। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि “डूडी के जाने से कांग्रेस ने ऐसा नेता खो दिया है, जिसने हमेशा जनता और किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता दी।”


