मनीषा शर्मा। राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की एसआई भर्ती-2021 विवाद अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। आयोग की पूर्व मेंबर मंजू शर्मा ने हाईकोर्ट की जयपुर डिवीजन बेंच में अपील दायर कर न्याय की मांग की है। उनका कहना है कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 28 अगस्त 2025 को अपने आदेश में उनके खिलाफ कठोर और अनुचित टिप्पणियां की थीं, जबकि उन्हें इस मामले में न तो पक्षकार बनाया गया था और न ही सुनवाई का अवसर दिया गया।
हाईकोर्ट की एकलपीठ का आदेश
28 अगस्त को हाईकोर्ट की एकलपीठ ने एसआई भर्ती-2021 को रद्द करने की सिफारिश की थी। साथ ही, उस आदेश में आयोग के तत्कालीन चेयरमैन और कई सदस्यों पर गंभीर आरोप लगाए गए। जस्टिस समीर जैन ने अपने फैसले में लिखा था कि आरपीएससी के तत्कालीन सदस्य रामू राम राईका ने अपनी बेटी शोभा राईका को एसआई भर्ती इंटरव्यू में अधिक अंक दिलाने के लिए आयोग के तत्कालीन चेयरमैन संजय श्रोत्रिय और अन्य सदस्यों—जिनमें बाबू लाल कटारा, मंजू शर्मा, संगीता आर्य और जसवंत राठी शामिल थे—से मुलाकात की थी। आदेश में कहा गया कि इस तरह की मुलाकात और प्रभाव का इस्तेमाल भ्रष्टाचार और मिलीभगत का संकेत देता है, जिससे भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
मंजू शर्मा की दलील
पूर्व सदस्य मंजू शर्मा ने अपनी अपील में कहा है कि आदेश में की गई टिप्पणियां पूरी तरह से बिना ठोस साक्ष्य के आधारित हैं। उनके अनुसार:
कोई ऑडियो रिकॉर्डिंग उपलब्ध नहीं है।
कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह मौजूद नहीं है।
भर्ती प्रक्रिया में मार्किंग का ऑडिट ट्रेल भी उपलब्ध नहीं है।
ऐसे में किसी व्यक्ति को दोषी ठहराना या व्यक्तिगत टिप्पणियां करना न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। उनका कहना है कि बिना सुनवाई का अवसर दिए उनके खिलाफ की गई टिप्पणियां प्राकृतिक न्याय (Natural Justice) और संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है।
इस्तीफे के बाद अपील
गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एकलपीठ का आदेश आने के बाद मंजू शर्मा ने 1 सितंबर 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। बाद में 15 सितंबर को राज्यपाल ने इस इस्तीफे को मंजूरी भी दे दी थी। हालांकि, इस्तीफे के बाद भी उन्होंने अपने सम्मान और प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
आरोपों की गंभीरता
हाईकोर्ट की एकलपीठ ने अपने आदेश में साफ कहा था कि RPSC के तत्कालीन चेयरमैन और सदस्यों की कथित संलिप्तता ने भर्ती प्रक्रिया की नींव को हिला दिया है। आदेश में कहा गया कि यदि ऐसे ही आरोप सही साबित होते हैं, तो इंटरव्यू और लिखित परीक्षा दोनों ही चरणों की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होंगे।
यही वजह रही कि अदालत ने एसआई भर्ती-2021 की पूरी प्रक्रिया को रद्द करने की सिफारिश की थी। इस आदेश के बाद राजस्थान की सबसे बड़ी भर्ती एजेंसी RPSC की साख पर भी बड़ा सवाल खड़ा हो गया था।
राजनीतिक और सामाजिक असर
यह मामला सिर्फ कानूनी दायरे तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव भी गहरे हैं। RPSC जैसी संस्थाएं प्रदेश की नौकरशाही और सरकारी सेवाओं में युवाओं के भविष्य का निर्धारण करती हैं। ऐसे में यदि भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठते हैं, तो इससे लाखों अभ्यर्थियों का भरोसा डगमगा सकता है।
मंजू शर्मा की अपील इस संदर्भ में महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि उनका तर्क है कि उन्हें सुने बिना ही उनके खिलाफ कठोर टिप्पणियां की गईं। अगर अदालत उनकी अपील स्वीकार करती है और टिप्पणियां हटाती है, तो यह आने वाले समय में अन्य सदस्यों और अधिकारियों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है।
न्यायिक प्रक्रिया और अगला कदम
जयपुर डिवीजन बेंच अब इस अपील पर सुनवाई करेगी। माना जा रहा है कि अदालत यह देखेगी कि क्या एकलपीठ का आदेश व्यक्तिगत टिप्पणियों के मामले में न्यायसंगत था या नहीं। साथ ही यह भी विचार होगा कि क्या बिना साक्ष्य किसी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा सकते हैं।


