latest-newsराजस्थान

राजस्थान सरकार का कदम: स्कूलों में खुलेंगे आत्मरक्षा केंद्र

राजस्थान सरकार का कदम: स्कूलों में खुलेंगे आत्मरक्षा केंद्र

मनीषा शर्मा। राजस्थान सरकार ने बेटियों की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को लेकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब राज्य के स्कूलों में भी आत्मरक्षा केंद्र खोले जाएंगे। इससे पहले यह पहल केवल कॉलेज स्तर पर चल रही थी, लेकिन अब इसे व्यापक रूप दिया जा रहा है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि बेटियां छोटी उम्र से ही आत्मरक्षा के गुर सीखें और किसी भी परिस्थिति का साहसपूर्वक सामना कर सकें।

आज के समय में बच्चियों और महिलाओं की सुरक्षा एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। सड़क, स्कूल या सार्वजनिक स्थान – कहीं भी उन्हें असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आत्मरक्षा का ज्ञान न केवल उन्हें सुरक्षा प्रदान करेगा बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से भी सशक्त बनाएगा।

16 जिलों के 22 ब्लॉकों में खुलेंगे आत्मरक्षा केंद्र

सरकार की योजना के तहत प्रदेश के 16 जिलों के 22 ब्लॉकों के स्कूलों में आत्मरक्षा केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इन केंद्रों में छात्राओं को कराटे, मार्शल आर्ट्स और अन्य आत्मरक्षा तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए महिला कांस्टेबलों को प्रशिक्षक बनाया जाएगा।

जिन स्थानों पर आत्मरक्षा केंद्र खुलेंगे:

  • बाड़मेर: रामसर

  • बूंदी: केसोरायपाटन

  • चितौड़गढ़: भोपालसागर

  • डूंगरपुर: आसपुर

  • जयपुर: जोबनेर, माधोराजपुरा

  • झुंझुनूं: मंडावा

  • जोधपुर (फलौदी): आऊ, बापिनी

  • प्रतापगढ़: सुहागपुरा, दामोतर

  • बांसवाड़ा: घाटोल, छोटीसरवन, गनोड़ा, तलवाड़ा

  • दौसा: बैजूपाड़ा

  • बीकानेर: पांचू

  • जैसलमेर: मोहनगढ़, सम

  • राजसमंद: देलवाड़ा

  • सीकर: पलसाना

  • उदयपुर: फलासिया

इन सभी स्थानों पर स्कूलों में आत्मरक्षा केंद्र की स्थापना कर छात्राओं को नियमित प्रशिक्षण दिया जाएगा।

महिला कांस्टेबल बनेंगी प्रशिक्षक

सरकार ने आदेश जारी कर सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों (SPs) को निर्देशित किया है कि वे आसपास के थानों की महिला कांस्टेबलों को इस काम में शामिल करें। विशेष रूप से कराटे या अन्य आत्मरक्षा तकनीकों का ज्ञान रखने वाली महिला कांस्टेबलों को कालिका दल में शामिल कर प्रशिक्षक बनाया जाएगा। यह कदम इसलिए भी अहम है क्योंकि छात्राएं पुलिस की भूमिका को नजदीक से समझेंगी और सुरक्षा के प्रति उनका भरोसा मजबूत होगा।

सिर्फ सरकारी नहीं, निजी और गैर-स्कूली बालिकाओं को भी मिलेगा मौका

यह योजना केवल सरकारी स्कूलों तक सीमित नहीं रहेगी। निजी स्कूलों की छात्राएं और यहां तक कि पढ़ाई छोड़ चुकी बालिकाएं भी इन आत्मरक्षा केंद्रों में प्रशिक्षण ले सकेंगी। इसका उद्देश्य है कि किसी भी पृष्ठभूमि की बेटियां आत्मनिर्भर और साहसी बन सकें।

सरकार का मानना है कि यदि लड़कियां कम उम्र से ही आत्मरक्षा के गुर सीख लेंगी तो वे किसी भी स्थिति का डटकर मुकाबला कर पाएंगी। इससे समाज में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति नया माहौल बनेगा और अपराधियों पर भी अंकुश लगेगा।

आत्मरक्षा केंद्रों के उद्देश्य

इस योजना के कई व्यापक उद्देश्य हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. छात्राओं में आत्मविश्वास बढ़ाना – आत्मरक्षा कौशल के माध्यम से।

  2. मानसिक और शारीरिक रूप से सक्षम बनाना – ताकि वे किसी भी परिस्थिति में कमजोर न पड़ें।

  3. अपराधों का विरोध करने की क्षमता विकसित करना – ताकि समाज में अपराधों के खिलाफ खड़ी हो सकें।

  4. भयमुक्त वातावरण बनाना – स्कूलों और समाज में लड़कियों को सुरक्षित माहौल देना।

बेटियां बनेंगी अपनी ढाल

राजस्थान सरकार की यह पहल महिलाओं की सुरक्षा को लेकर समाज में जागरूकता भी बढ़ाएगी। बेटियां अब केवल दूसरों पर निर्भर नहीं रहेंगी, बल्कि अपनी ढाल खुद बनेंगी। इस योजना से न केवल सुरक्षा की भावना बढ़ेगी बल्कि बालिकाओं की शिक्षा में भी सकारात्मक असर पड़ेगा। सुरक्षित वातावरण मिलने पर वे बिना भय के पढ़ाई और करियर पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी।

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading