शोभना शर्मा। राजस्थान के प्रमुख जलाशयों में शामिल जवाई बांध से रबी फसल वर्ष 2025-26 के लिए किसानों और आमजन के लिए पानी के आवंटन का निर्णय रविवार को लिया गया। जवाई बांध जल वितरण उपयोगिता समिति की बैठक विश्राम गृह में आयोजित की गई, जिसमें जालोर और पाली जिलों के प्रतिनिधि, किसान नेता और जलदाय विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।
बैठक में निर्णय लिया गया कि इस वर्ष सिंचाई के लिए 4900 एमसीएफटी और पेयजल के लिए 2917 एमसीएफटी पानी उपलब्ध कराया जाएगा। यह मात्रा वर्ष 2017 के बाद अब तक की सबसे अधिक है। पिछले वर्ष 2024-25 में किसानों को 4400 एमसीएफटी पानी दिया गया था। किसानों ने इस बार 5000 एमसीएफटी पानी की मांग रखी थी, जिसके जवाब में सरकार ने इसे लगभग पूरा करते हुए 4900 एमसीएफटी आवंटित किया।
कृषि के लिए ऐतिहासिक आवंटन, किसानों में खुशी की लहर
बैठक की अध्यक्षता कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत ने की। उन्होंने बताया कि इस बार इंद्रदेव की कृपा से जवाई बांध लबालब भर गया, और यहां तक कि गेट खोलने की स्थिति भी बन गई थी। बांध में इस बार कुल 7817 एमसीएफटी पानी संग्रहित है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 900 एमसीएफटी अधिक है। कुमावत ने कहा कि अतिरिक्त 900 एमसीएफटी पानी का संतुलित वितरण किया जाएगा। इसमें से 500 एमसीएफटी पानी किसानों को सिंचाई के लिए और 400 एमसीएफटी पानी पेयजल आपूर्ति के लिए आवंटित किया जाएगा। इस पर समिति के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से सहमति जताई।
बैठक में पेयजल वितरण पर भी हुई चर्चा
बैठक के दौरान जलदाय विभाग के अधिकारियों ने पेयजल वितरण के आंकड़े प्रस्तुत किए, लेकिन किसान प्रतिनिधियों ने इन आंकड़ों को गलत बताते हुए आपत्ति जताई। किसानों का कहना था कि कुछ इलाकों में पानी की आपूर्ति पर्याप्त नहीं है, इसलिए वितरण प्रणाली को और पारदर्शी बनाने की आवश्यकता है। इस पर कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता जल संरक्षण के साथ-साथ जल वितरण में समानता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जिन क्षेत्रों में जल आपूर्ति की शिकायतें हैं, वहां तुरंत फील्ड सर्वे कर समाधान किया जाए।
किसानों को दो जिलों में मिलेगा लाभ
इस निर्णय से पाली जिले के सुमेरपुर ब्लॉक के 33 गांवों और जालोर जिले के आहोर ब्लॉक के 24 गांवों के करीब 38,600 कृषक परिवारों को लाभ मिलेगा। जवाई बांध से प्रतिदिन लगभग 50 एमसीएफटी पानी की निकासी की जाएगी, जिससे सिंचाई कार्य सुचारू रूप से चल सकेगा। इस पानी से करीब 38,671 हेक्टेयर भूमि पर रबी फसलों की बुवाई संभव होगी। किसानों ने इस आवंटन को “ऐतिहासिक निर्णय” बताया और कहा कि अब वे गेहूं, चना, सरसों और जौ जैसी फसलों की बुवाई समय पर शुरू कर सकेंगे।
पानी का उपयोग 30 सितंबर 2026 तक किया जाएगा
संभागीय आयुक्त प्रतिभा सिंह ने बैठक के अंत में औपचारिक घोषणा करते हुए बताया कि उपलब्ध 7817 एमसीएफटी पानी में से 4900 एमसीएफटी सिंचाई और 2917 एमसीएफटी पेयजल के लिए 30 सितंबर 2026 तक उपयोग में लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह निर्णय न केवल किसानों के लिए राहत भरा है, बल्कि इससे दोनों जिलों के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में दीर्घकालिक पेयजल सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण गेहूं की बढ़ती वैश्विक मांग पर चर्चा
बैठक में संगम अध्यक्ष रघुवीर सिंह देवड़ा ने वैश्विक बाजार की परिस्थितियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते गेहूं उत्पादन और निर्यात प्रभावित हुआ है। दोनों देश दुनिया के बड़े गेहूं आपूर्तिकर्ता हैं, और युद्ध की स्थिति में उनका उत्पादन घटने से वैश्विक स्तर पर गेहूं की मांग बढ़ने की संभावना है।
इसलिए भारत, विशेष रूप से राजस्थान जैसे राज्यों में, गेहूं उत्पादन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। देवड़ा ने कहा कि जवाई बांध से पर्याप्त पानी मिलने पर क्षेत्र के किसान अच्छी पैदावार देकर वैश्विक बाजार में योगदान दे सकते हैं।
जल संरक्षण और दुरुपयोग रोकना सरकार की प्राथमिकता
कैबिनेट मंत्री कुमावत ने बैठक में यह भी कहा कि जल का संरक्षण करना और दुरुपयोग रोकना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि जवाई बांध जैसी परियोजनाएं तभी सफल हो सकती हैं जब किसान और आमजन जल का उपयोग सोच-समझकर करें।
उन्होंने जल संसाधन विभाग को निर्देश दिए कि हर गांव में जल प्रबंधन समितियों का गठन कर पानी की निगरानी की जाए ताकि अनावश्यक बहाव या बर्बादी को रोका जा सके।
जवाई बांध जल आवंटन का सारांश
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| — | किसानों और पेयजल के बीच वितरित |
किसानों में उत्साह और तैयारी का दौर
पानी के आवंटन की घोषणा के बाद जालोर और पाली जिलों में किसानों में उत्साह का माहौल है। कई गांवों में किसान रबी फसल की बुवाई की तैयारी में जुट गए हैं। किसानों का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार अधिक पानी मिलने से फसलों की पैदावार बेहतर होगी और उनकी आय में वृद्धि होगी। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि पर्याप्त सिंचाई से गेहूं और चने जैसी फसलों की उत्पादकता में 10-15 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है।


