शोभना शर्मा। राजस्थान कांग्रेस जहां संगठनात्मक एकजुटता के दावे कर रही है, वहीं अजमेर में रविवार को हुई संगठन सर्जन अभियान की बैठक ने पार्टी की अंदरूनी कलह को फिर उजागर कर दिया। फायसागर रोड स्थित हंस पैराडाइज में आयोजित इस बैठक में सचिन पायलट और अशोक गहलोत खेमों के समर्थक कार्यकर्ता खुले तौर पर एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी करते नजर आए।
इस बैठक में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के पर्यवेक्षक अशोक तंवर, प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) पर्यवेक्षक गुरमीत सिंह कुन्नर, पूर्व मंत्री रघु शर्मा, पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, डॉ. राजकुमार जयपाल और कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। शुरुआत में माहौल शांत था, लेकिन जैसे ही निवर्तमान शहर अध्यक्ष विजय जैन ने मंच से संबोधन दिया, सभा का वातावरण अचानक बदल गया।
विजय जैन के बयान से भड़के गहलोत समर्थक
विजय जैन ने अपने संबोधन में कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी बेहद कम अंतर से हारे, जबकि इससे पहले कांग्रेस को भारी पराजय झेलनी पड़ी थी। उनके इस बयान पर गहलोत गुट के नेताओं ने तीखी आपत्ति जताई।
कार्यक्रम में मौजूद गहलोत समर्थक कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी और विजय जैन पर संगठन को कमजोर करने के आरोप लगाए। जवाब में पायलट खेमे के समर्थक भी अपनी बात रखने लगे। देखते ही देखते हॉल में शोर-शराबा मच गया और माहौल तनावपूर्ण हो गया।
आरोप-प्रत्यारोप के बीच बिगड़ा माहौल
पूर्व आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर के समर्थकों ने विजय जैन पर आरोप लगाया कि उनके नेतृत्व में नगर निगम चुनाव में कांग्रेस बोर्ड नहीं बना सकी। उन्होंने कहा कि जैन के नेतृत्व में संगठन ने जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को उपेक्षित किया।
इन आरोपों के जवाब में पायलट खेमे के समर्थक भी मैदान में उतर आए और कहा कि उनकी मेहनत से ही कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा। दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक हुई और आधे घंटे तक बैठक का माहौल अव्यवस्थित बना रहा।
वरिष्ठ नेताओं ने संभाला मोर्चा
स्थिति बिगड़ती देख मंच पर मौजूद वरिष्ठ नेताओं ने हस्तक्षेप किया। रघु शर्मा, धर्मेंद्र राठौर, और अशोक तंवर ने दोनों पक्षों को शांत कराया और बैठक को पुनः शुरू करने का आग्रह किया। करीब आधे घंटे की कोशिशों के बाद माहौल कुछ हद तक सामान्य हुआ।
वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि कांग्रेस में हर कार्यकर्ता को अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है, लेकिन यह जरूरी है कि संगठन की गरिमा बनी रहे। रघु शर्मा ने कहा कि “हम सबका उद्देश्य एक है — कांग्रेस को मजबूत बनाना और 2028 में राजस्थान में फिर से सत्ता में वापसी करना।”
नेताओं की सफाई — “यह विवाद नहीं, विचार-विमर्श का मंच था”
हंगामे के बाद धर्मेंद्र राठौर और रघु शर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह कोई विवाद नहीं था, बल्कि विचार-विमर्श का मंच था जहां कार्यकर्ता अपनी राय खुलकर रख सकते हैं।
राठौर ने कहा कि “पार्टी के भीतर लोकतांत्रिक परंपराएं जीवित हैं। हम चाहते हैं कि हर कार्यकर्ता अपनी बात नेतृत्व तक सीधे पहुंचा सके।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि असहमति का अर्थ मतभेद नहीं होता, बल्कि यह संगठन की मजबूती का संकेत है।
रघु शर्मा ने भी कहा कि कांग्रेस एकजुट है और किसी भी गुटबाजी की बात को बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम सब कांग्रेस के सिपाही हैं और उद्देश्य एक ही है — भाजपा की नीतियों के खिलाफ जनता की आवाज बनना।”
संगठन सर्जन अभियान के मकसद पर सवाल
अजमेर की यह बैठक संगठन सर्जन अभियान के तहत बुलाई गई थी, जिसका उद्देश्य बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करना और 2028 विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू करना था। लेकिन इस हंगामे ने अभियान के मकसद पर ही सवाल खड़े कर दिए।
स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अजमेर में कांग्रेस की गुटबाजी लंबे समय से जारी है। 2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान भी पायलट और गहलोत समर्थकों के बीच खींचतान देखी गई थी। अब संगठन सर्जन अभियान में भी यही तस्वीर दोहराई गई है।
राजस्थान कांग्रेस में गुटबाजी की चुनौती
अजमेर की घटना ने एक बार फिर यह संकेत दिया है कि राजस्थान कांग्रेस में पायलट और गहलोत गुटों के बीच तनाव अब भी खत्म नहीं हुआ है। भले ही दोनों नेता सार्वजनिक मंचों पर एकजुटता की बात करते हैं, लेकिन जिला और ब्लॉक स्तर पर खेमेबंदी साफ दिखाई देती है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि अगर कांग्रेस 2028 के विधानसभा चुनाव में मजबूत वापसी चाहती है तो उसे पहले अपने संगठनात्मक मतभेदों को सुलझाना होगा। वरना ऐसे घटनाक्रम पार्टी की साख को नुकसान पहुंचा सकते हैं।


