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नरेश मीणा का विवादित बयान – “SDM तो क्या, गलत करेगा तो सुधांश के भी थप्पड़ पड़ेंगे”

नरेश मीणा का विवादित बयान – “SDM तो क्या, गलत करेगा तो सुधांश के भी थप्पड़ पड़ेंगे”

शोभना शर्मा।  जयपुर जिले के जमवारामगढ़ क्षेत्र के रायसर गांव में विक्रम मीणा सुसाइड केस को लेकर पहुंचे कांग्रेस नेता नरेश मीणा एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। शनिवार, 4 अक्टूबर को रायसर में दिए गए उनके भाषण का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में नरेश मीणा कहते दिख रहे हैं— “एसडीएम तो क्या, गलत काम करेगा तो सुधांश के भी थप्पड़ पड़ेंगे।” उनका यह बयान सोशल मीडिया पर बहस का विषय बन गया है। राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

कौन हैं नरेश मीणा और क्यों हैं चर्चा में

नरेश मीणा वही नेता हैं जो विधानसभा उपचुनाव के दौरान एक एसडीएम को थप्पड़ मारने की घटना के बाद सुर्खियों में आए थे। उस घटना को लेकर प्रशासनिक हलकों और राजनीतिक मंचों पर काफी विवाद हुआ था। अब एक बार फिर वे अपने तीखे बयान के चलते चर्चा में हैं। रायसर में हुई सभा के दौरान उन्होंने मृतक विक्रम मीणा को न्याय दिलाने की मांग की और प्रशासनिक अधिकारियों पर सख्त शब्दों में नाराजगी जताई।

रायसर में क्यों पहुंचे थे नरेश मीणा

दरअसल, 26 वर्षीय विक्रम मीणा ने वन कर्मियों और पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। यह घटना 3 दिन पहले की बताई जा रही है। शुक्रवार देर शाम जब मामला गंभीर हुआ, तो नरेश मीणा खुद रायसर पहुंचे और मृतक के परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने परिजनों को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया और कहा कि दोषी वन अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

कैसे हुई थी पूरी घटना: बकरी बनी विवाद का कारण

जानकारी के अनुसार, विक्रम मीणा की एक बकरी गलती से वन क्षेत्र में घुस गई थी। इसके बाद वन कर्मियों ने उसे बुलाकर कथित रूप से कपड़े उतरवाकर बेरहमी से पीटा। मारपीट के बाद विक्रम से 2100 रुपये का जुर्माना भी वसूला गया। इस घटना से आहत होकर विक्रम मीणा रायसर पुलिस थाने गया और शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उसकी शिकायत लेने से इनकार कर दिया। परिजनों का आरोप है कि पुलिस कर्मियों ने उल्टा विक्रम को धमकाया और थाने से भगा दिया।

फांसी लगाकर की आत्महत्या

पुलिस थाने से करीब 100 मीटर दूर विक्रम मीणा ने एक पेड़ से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। ग्रामीणों और परिजनों ने बताया कि वह पूरी तरह मानसिक रूप से टूट चुका था। इस घटना के बाद रायसर गांव में तनाव फैल गया। ग्रामीणों ने न्याय की मांग करते हुए थाने के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।

पुलिस लाठीचार्ज और हवाई फायरिंग से बिगड़ा माहौल

शुक्रवार को धरने के दौरान पुलिस और ग्रामीणों के बीच झड़प हो गई। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज, हवाई फायर और आंसू गैस के गोले छोड़े। कई लोग घायल हो गए और माहौल तनावपूर्ण बन गया।

इस स्थिति में नरेश मीणा रायसर पहुंचे और धरनास्थल पर डटे रहे। उन्होंने प्रशासन के साथ बातचीत कर मामला शांत कराया। अंततः देर रात तक चली वार्ता के बाद परिजनों की मांगें आंशिक रूप से मानी गईं और धरना समाप्त हुआ।

बयान से बढ़ा विवाद, सोशल मीडिया पर बंटे मत

हालांकि, धरने के शांतिपूर्ण समाधान के बावजूद नरेश मीणा का भाषण अब नया विवाद खड़ा कर गया है। उनके बयान “एसडीएम तो क्या, गलत करेगा तो सुधांश के भी थप्पड़ पड़ेंगे” को लेकर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है।

कुछ लोग इसे “जनता के हक की बात” बता रहे हैं, जबकि प्रशासनिक वर्ग इसे लोकतंत्र के खिलाफ बयान कह रहा है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान आने वाले समय में कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है।

प्रशासन और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

सरकारी सूत्रों के अनुसार, वीडियो की जांच शुरू कर दी गई है। अगर बयान में उकसावे या धमकी के तत्व पाए गए, तो कार्रवाई संभव है। वहीं, भाजपा नेताओं ने इसे “कानून-व्यवस्था के लिए खतरा” बताते हुए कहा कि कांग्रेस नेता प्रशासनिक तंत्र पर दबाव डालने की कोशिश कर रहे हैं कांग्रेस समर्थकों का कहना है कि नरेश मीणा ने सिर्फ “जनता के साथ हुए अन्याय” के खिलाफ आवाज उठाई है।

रायसर में अब भी आक्रोश

हालांकि धरना समाप्त हो गया है, लेकिन रायसर और आसपास के गांवों में माहौल अभी भी संवेदनशील है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक दोषी वन कर्मियों और पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होती, वे आंदोलन जारी रखेंगे। विक्रम मीणा की मौत ने ग्रामीण समाज को झकझोर दिया है और अब यह मामला राजनीतिक रंग ले चुका है।

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