मनीषा शर्मा । राजस्थान के बहुचर्चित एकल पट्टा प्रकरण में 31 जनवरी 2025 से हाईकोर्ट फाइनल सुनवाई शुरू करेगा। 11 साल पुराने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट ने दो महीने पहले फिर से सुनवाई शुरू की थी और अब 6 महीने के भीतर निर्णय सुनाना है। इस केस को लेकर सरकार और आरोपी पक्ष ने देश के वरिष्ठतम वकीलों की टीम को कोर्ट में उतारा है, जिससे यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में है।
क्या है एकल पट्टा प्रकरण?
यह मामला 29 जून 2011 का है, जब जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने गणपति कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर शैलेंद्र गर्ग के नाम एकल पट्टा जारी किया। इस पट्टे को लेकर 2013 में परिवादी रामशरण सिंह ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में शिकायत की। आरोप लगाया गया कि इस पट्टे को जारी करने में अनियमितताएं हुई हैं और कुछ अधिकारियों ने मिलीभगत की है।
शिकायत के बाद तत्कालीन एसीएस जीएस संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर, जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी और शैलेंद्र गर्ग समेत कुछ अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी हुई। इसके बाद 25 मई 2013 को विभाग ने यह पट्टा निरस्त कर दिया।
सरकार और विपक्ष की कानूनी तैयारी
इस प्रकरण में राज्य सरकार ने अपनी ओर से सुप्रीम कोर्ट के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू, अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा और अन्य वरिष्ठ वकीलों की टीम को हाईकोर्ट में पैरवी के लिए नियुक्त किया है।
दूसरी ओर, आरोपी पक्ष से पूर्व मंत्री शांति धारीवाल और अन्य अधिकारियों की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और पी. चिदंबरम केस लड़ सकते हैं। इन वकीलों की मौजूदगी इस केस को और भी अहम बना रही है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 5 नवंबर 2024 को हाईकोर्ट के 17 जनवरी 2023 और 15 नवंबर 2022 को दिए गए आदेशों को रद्द कर दिया था। इन आदेशों में तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को बंद कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट को 6 महीने के भीतर सुनवाई पूरी करके निर्णय देने का आदेश दिया।
एसीबी की जांच और क्लोजर रिपोर्ट
इस मामले की जांच एसीबी ने की थी। 18 अप्रैल 2022 को एसीबी कोर्ट ने जांच के लिए डीआईजी स्तर के अधिकारी को जांच करने का निर्देश दिया। इसके बाद एसीबी ने तीन बार क्लोजर रिपोर्ट पेश की, जिनमें यह दावा किया गया कि मामले में कोई अनियमितता नहीं पाई गई।
हालांकि, एसीबी कोर्ट ने इन क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया और आरोपियों के खिलाफ दायर चार्जशीट को वापस लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद हाईकोर्ट ने 17 जनवरी 2023 को सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को रद्द कर दिया।
धारीवाल को राहत और नए मोड़
पूर्व मंत्री शांति धारीवाल को भी इस मामले में आरोपी बनाने की मांग की गई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने 15 नवंबर 2022 को उनके खिलाफ सभी आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया था। धारीवाल की ओर से दलील दी गई थी कि न तो एफआईआर में उनका नाम है और न ही जांच में कोई प्रमाण मिला है।
हालांकि, गहलोत सरकार ने बाद में सुप्रीम कोर्ट में अपना रुख बदलते हुए नए एफिडेविट में धारीवाल और अन्य अधिकारियों पर मामला बनता है, ऐसा कहा। इस नई स्थिति ने मामले को और भी पेचीदा बना दिया।
हाईकोर्ट की फाइनल सुनवाई
इस प्रकरण में अब हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव की खंडपीठ 31 जनवरी से अंतिम सुनवाई शुरू करेगी। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सभी पक्षों को अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने के लिए कहा था। साथ ही आरटीआई एक्टिविस्ट अशोक पाठक को इंटरनीवर बनने की अनुमति मांगी थी।