मनीषा शर्मा । भारत के किले हमेशा से ही हमारी सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। इन किलों का अपना अलग इतिहास और आकर्षण है, जो प्राचीन भारतीय सभ्यता और स्थापत्य कला को दर्शाते हैं। अगर आप प्राचीन कला और धरोहर को देखने का शौक रखते हैं, तो आपको राजस्थान के झालावाड़ जिले में स्थित गागरोन किला जरूर देखना चाहिए।
गागरोन किला राजपूत वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। यह किला राजस्थान के प्रसिद्ध किलों में से एक है और इसे इसके गौरवमयी इतिहास के लिए भी जाना जाता है। कहा जाता है कि जब यहां के शासक अचलदास खींची मालवा के शासक से हार गए थे, तो यहां की महिलाओं ने दुश्मनों से बचने के लिए जौहर किया था। आपको बता दें की गागरोन के किले को बिना नींव का किला भी कहा जाता है ।
गागरोन किला 12वीं सदी में राजा बीसलदेव द्वारा बनवाया गया था। इस किले की अनोखी बात यह है कि यह चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है, इसलिए इसे जलदुर्ग भी कहा जाता है। यह किला बिना नींव के खड़ा है और इसकी दीवारें और मीनारें मुकुंदरा पहाड़ियों में बनाई गई हैं, जो इसे नींव प्रदान करती हैं।
गागरोन किला का ऐतिहासिक महत्व बहुत बड़ा है। यह उत्तरी भारत का एकमात्र किला है, जो जलदुर्ग के नाम से जाना जाता है। यहां 14 युद्ध और दो जौहर हुए हैं। इस किले को 2013 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया गया है। यहां हर साल हजारों पर्यटक आते हैं और यह इतिहासकारों के घूमने के लिए राजस्थान की सबसे अच्छी जगहों में से एक है।
किवदंतियों के अनुसार, जिस जगह पर किला बना है, वह गलकानगिरी के नाम से मशहूर थी। माना जाता है कि ऋषि गर्ग ऋषि ने यहां ज्ञान प्राप्त किया था। एक समय था, जब किले के अंदर 92 मंदिर हुआ करते थे, आज शायद ही यह मंदिर देखने को मिलें। सौ साल का पंचांग भी यहीं बना था।
गागरोन किला भारत में मौजूद किलों से अलग है। यहां तीन परकोटे हैं, जबकि राजस्थान के दूसरे किलों में दो ही परकोटे होते हैं। यह किला भारत का एक ऐसा किला है, जो आज भी बिना नींव के खड़ा है। किले की दीवारें और मीनारें मुकुंदरा पहाड़ियों में बनाई गई हैं, जो इसे नींव प्रदान करती हैं।
गागरोन किला एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे देखकर हमें प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला और राजपूतों की वीरता का एहसास होता है। यह किला न केवल राजस्थान बल्कि पूरे भारत की शान है और इसे देखकर ऐसा लगता है जैसे सल्तनतों की निशानियों में हिंदुस्तान का इतिहास आज भी सांस लेता है।