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SC-ST धर्मांतरण करने पर खत्म हो आरक्षण: किरोड़ीलाल मीणा

SC-ST धर्मांतरण करने पर खत्म हो आरक्षण: किरोड़ीलाल मीणा

मनीषा शर्मा।  राजस्थान की राजनीति में आरक्षण और धर्मांतरण को लेकर एक बार फिर से बड़ी बहस छिड़ गई है। प्रदेश के कृषि मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने बयान दिया है कि अगर कोई अनुसूचित जाति (SC) या अनुसूचित जनजाति (ST) का व्यक्ति धर्मांतरण करता है तो उसे मिलने वाले आरक्षण का लाभ समाप्त कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण चाहे स्वेच्छा से हो या दबाव में, ऐसे लोगों को आरक्षण सुविधा नहीं मिलनी चाहिए। मीणा का यह बयान विधानसभा परिसर में उस समय आया जब राज्य सरकार धर्मांतरण विरोधी बिल को और कड़ा करने की तैयारी कर रही है।

किरोड़ी लाल मीणा का तर्क

कृषि मंत्री ने कहा कि आदिवासी इलाकों में लगातार धर्मांतरण की घटनाएं सामने आ रही हैं। यह स्थिति समाज और संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। उन्होंने कहा – “यह सही नहीं है कि कोई व्यक्ति ST आरक्षण का भी फायदा उठाए और साथ ही विदेशी सहायता से चल रहे संगठनों के लाभ का भी उपभोग करे।” मीणा ने यह भी जोड़ा कि धर्मांतरण करने वालों को जबरन रोकना जरूरी है और इसके लिए सरकार नया कानून लाने जा रही है।

भाजपा सांसद भी उठा चुके हैं मांग

गौरतलब है कि इससे पहले बांसवाड़ा-डूंगरपुर से भाजपा सांसद मन्नालाल रावत भी यह मांग उठा चुके हैं कि धर्मांतरण करने वाले आदिवासियों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए। उस समय इस बयान पर भारी विवाद हुआ था और भारत आदिवासी पार्टी (BAP) ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी। अब जब कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने वही बात दोहराई है तो यह मुद्दा फिर से सुर्खियों में आ गया है।

सरकार लाएगी कड़ा कानून

कृषि मंत्री ने बताया कि राजस्थान सरकार धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए सख्त कानून लाने जा रही है। इस कानून में पहले से भी अधिक कठोर प्रावधान शामिल किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने धर्मांतरण विरोधी बिल में संशोधन की मंजूरी दे दी है। अब इस बिल में प्रावधान होगा कि जबरन या धोखे से धर्मांतरण कराने वालों को उम्रकैद तक की सजा दी जा सकेगी। इसके अलावा दोषियों पर 10 लाख से 50 लाख रुपये तक का भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा। विधानसभा के बजट सत्र में इस संशोधित बिल को पेश किया जाएगा।

एसआई भर्ती पर बड़ा बयान

कृषि मंत्री मीणा ने विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान एसआई भर्ती को लेकर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि अगर परीक्षा में एक भी उम्मीदवार का चयन गलत तरीके से हुआ है तो पूरी परीक्षा रद्द होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राजस्थान में हुई एसआई भर्ती में भी गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आई थीं, इसलिए इस भर्ती को रद्द कर दोबारा आयोजित करना चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस पर अंतिम फैसला सरकार और संगठन को करना है।

मेहनत करने का संदेश दिया युवाओं को

मीणा ने इस दौरान युवाओं को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जो उम्मीदवार मेहनत करके सब-इंस्पेक्टर बने थे, उनका समय जरूर खराब हुआ है, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद सरकार के पास ज्यादा विकल्प नहीं बचते। उन्होंने अपने जीवन का उदाहरण देते हुए कहा – “मैं भी 1980 का चुनाव हार गया था, लेकिन 1985 में फिर से मेहनत कर जीत गया। इसलिए युवाओं को हतोत्साहित होने की बजाय और परिश्रम करना चाहिए।”

राजनीतिक और सामाजिक बहस

कृषि मंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब राजस्थान में धर्मांतरण के मुद्दे पर पहले से ही राजनीतिक बहस जारी है। एक ओर भाजपा इसके खिलाफ सख्त रुख अपना रही है, वहीं विपक्षी दल इसे राजनीतिक एजेंडा बताकर विरोध कर रहे हैं। भारत आदिवासी पार्टी और अन्य सामाजिक संगठन इस बात का तर्क दे रहे हैं कि धर्मांतरण व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है, जिसे जबरन कानून से नियंत्रित नहीं किया जा सकता। वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि यह समाज के कमजोर तबके को गुमराह करने और उनके अधिकारों का दुरुपयोग करने की कोशिश है।

आरक्षण और धर्मांतरण की जटिलता

आरक्षण भारत के संविधान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को उनके ऐतिहासिक और सामाजिक पिछड़ेपन को ध्यान में रखकर दिया गया है। लेकिन धर्मांतरण के बाद भी आरक्षण का लाभ जारी रहना लंबे समय से विवाद का विषय रहा है। कई बार यह तर्क दिया गया है कि धर्मांतरण के बाद सामाजिक भेदभाव की स्थिति बदल जाती है, इसलिए आरक्षण का लाभ भी समाप्त होना चाहिए। डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के बयान ने इस मुद्दे को एक बार फिर गर्मा दिया है। अब देखना यह होगा कि विधानसभा में आने वाले दिनों में इस पर कैसी बहस होती है और सरकार का अंतिम रुख क्या होता है।

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