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गुप्त वृन्दावन धाम में 30 अप्रैल से पाटोत्सव का शुभारंभ

गुप्त वृन्दावन धाम में 30 अप्रैल से पाटोत्सव का शुभारंभ

शोभना शर्मा। जयपुर स्थित गुप्त वृन्दावन धाम में 30 अप्रैल 2025 से 13वें पाटोत्सव का आयोजन बड़े धूमधाम से शुरू होने जा रहा है। यह आध्यात्मिक महोत्सव पांच दिन तक चलेगा और 4 मई 2025 को समापन होगा। अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर सुदर्शन पूजा और महा आरती के साथ इस उत्सव की विधिवत शुरुआत होगी। इसी दिन से मंदिर में चंदन यात्रा भी प्रारंभ की जाएगी, जो भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगी।

गुप्त वृन्दावन धाम के अध्यक्ष अमितासना दास ने जानकारी देते हुए बताया कि पाटोत्सव का मूल अर्थ भगवान श्रीकृष्ण के विग्रहों की प्रतिष्ठा का उत्सव है। इस आयोजन के माध्यम से भक्तगण सीधे भगवान के सान्निध्य में आकर भक्ति रस में सराबोर होंगे। इस भव्य आयोजन में हजारों श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है, जो विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हिस्सा बनेंगे।

पाटोत्सव के दौरान हर दिन विशेष कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की जाएगी। 1 मई को इस्कॉन संस्थापक श्रील प्रभुपाद के जयपुर दौरे को समर्पित एक विशेष नाट्य मंचन और नृत्य प्रस्तुति होगी। यह प्रस्तुति भक्तों को प्रभुपाद के जीवन और उनके आध्यात्मिक योगदान से परिचित कराएगी।

2 मई को जगतपुरा फ्लाईओवर से गुप्त वृन्दावन धाम तक भव्य रथ यात्रा का आयोजन होगा। इस रथ यात्रा में हरे कृष्ण महा मंत्र का कीर्तन करते हुए श्रद्धालु श्रीकृष्ण और बलराम के विग्रहों को विशेष रथ पर विराजमान कर धाम तक लाएंगे। यह यात्रा श्रद्धा, उल्लास और भक्ति का अनूठा संगम होगी, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों के भाग लेने की उम्मीद है।

3 मई को भक्तगण प्रसिद्ध कृष्ण भजन गायक अगम अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत भजन संध्या का आनंद लेंगे। इस संध्या में कृष्ण भक्ति से ओतप्रोत भजनों के माध्यम से वातावरण को भक्तिमय बनाया जाएगा।

पाटोत्सव का समापन 4 मई को भव्य महाअभिषेक और महा आरती के साथ होगा। इस अवसर पर इस्कॉन बेंगलुरु के चेयरमैन और पद्मश्री से सम्मानित मधु पंडित दास स्वयं श्रीकृष्ण और बलराम का अभिषेक करेंगे। महाअभिषेक के उपरांत वे उपस्थित भक्तों को आशीर्वचन देंगे और कृष्ण भक्ति के महत्व पर अपना दिव्य संदेश साझा करेंगे।

गुप्त वृन्दावन धाम का यह पाटोत्सव न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक उन्नति का एक सुनहरा अवसर भी है। भक्त यहां आकर न केवल भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम में डूबेंगे बल्कि भक्ति साधना के गहन अनुभव से भी समृद्ध होंगे।

 

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