शोभना शर्मा। राजस्थान में राजनीतिक बयानबाजी एक बार फिर तेज हो गई है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि सरिस्का CTH (क्रिटिकल टाइगर हैबिटैट) मामले में सुप्रीम कोर्ट से मिली फटकार के बाद हुई किरकिरी से जनता का ध्यान भटकाने के लिए सरकार ने खैरथल-तिजारा जिले का नाम बदलकर भर्तृहरि नगर कर दिया है। टीकाराम जूली का कहना है कि सरकार जानबूझकर जनता को असल मुद्दों से दूर ले जाकर भावनात्मक बहस में उलझाना चाहती है, जबकि वास्तविक समस्या सरिस्का क्षेत्र से जुड़ी है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है।
सरिस्का CTH मामला और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सरिस्का टाइगर रिज़र्व के अंतर्गत आने वाले CTH मामले में पहले से ही विवाद चल रहा था। नेता प्रतिपक्ष के अनुसार, राज्य और केंद्र सरकार दोनों के वन मंत्रियों ने पहले कहा था कि यह ड्राफ्ट वैज्ञानिक आधार और सुप्रीम कोर्ट की नियुक्त कमेटी की सिफारिशों पर तैयार किया गया है। इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए फटकार लगाई। जूली का आरोप है कि सरकार को इस मामले में स्पष्ट जवाब देना चाहिए, लेकिन इसके बजाय उसने एक जिले का नाम बदलकर जनता का ध्यान दूसरी ओर मोड़ने की कोशिश की।
जिले का नाम बदलने पर आपत्ति
खैरथल-तिजारा जिले का नाम बदलकर भर्तृहरि नगर करने के फैसले पर जूली ने सवाल उठाए। उनका कहना है कि भर्तृहरि धाम अलवर जिले में है, और जिले का नाम बदलना अप्रासंगिक निर्णय है। जूली का सुझाव है कि अगर सरकार वास्तव में तपस्वी भर्तृहरि की ख्याति को फैलाना चाहती है, तो उसे भर्तृहरि कोरिडोर बनाना चाहिए। इससे न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि देश-विदेश से श्रद्धालुओं की आवाजाही भी आसान होगी। उन्होंने यह भी कहा कि भर्तृहरि धाम जाने वाली सड़क की हालत बेहद खराब है, और सरकार को पहले उस मार्ग को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए, ताकि श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना न करना पड़े।
चुनाव आयोग पर भी निशाना
टीकाराम जूली ने इस मुद्दे के साथ-साथ चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने वोटर लिस्ट में अनियमितता और वोट चुराने के आरोप लगाए, लेकिन चुनाव आयोग ने इन आरोपों पर जवाब देने के बजाय राहुल गांधी से ही शपथ पत्र देने को कहा। जूली का आरोप है कि चुनाव आयोग का रवैया ऐसा लग रहा है जैसे वह भाजपा का एजेंट हो। उनका कहना है कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए चुनाव आयोग को पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से काम करना चाहिए, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में यह विश्वास कम हो रहा है।
विपक्ष का रुख और जनता से अपील
टीकाराम जूली ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार असल मुद्दों को दबाकर भावनात्मक और दिखावटी फैसले ले रही है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे ऐसे मुद्दों पर ध्यान दें जो सीधे उनके जीवन और पर्यावरण से जुड़े हैं। उनका कहना है कि सरिस्का CTH जैसे पर्यावरणीय मुद्दे प्रदेश के वन्यजीवन, पर्यटन और स्थानीय निवासियों के जीवन पर सीधा असर डालते हैं। इन पर गंभीरता से चर्चा होनी चाहिए, न कि इन्हें नाम बदलने जैसी राजनीतिक चालों से दबाया जाना चाहिए।
विवाद का राजनीतिक असर
राजस्थान की राजनीति में जिले का नाम बदलने का यह फैसला एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। भाजपा इसे सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था से जोड़कर पेश कर सकती है, जबकि कांग्रेस इसे मुद्दों से भटकाने की रणनीति करार दे रही है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस विवाद का असर आने वाले स्थानीय निकाय और विधानसभा चुनावों में देखने को मिल सकता है, खासकर अलवर और आसपास के इलाकों में।