शोभना शर्मा। राजस्थान पुलिस सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती 2021 का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है और आज इस पर अहम सुनवाई होने जा रही है। जस्टिस संजय करोल और जस्टिस मनमोहन की बेंच इस भर्ती को लेकर दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर सुनवाई करेगी। याचिका कैलाशचंद्र शर्मा और अन्य याचिकाकर्ताओं ने दायर की है। वहीं, चयनित अभ्यर्थियों ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर कर अपनी बात सुने जाने की मांग की है।
हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक मामला
यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट से शुरू हुआ था। भर्ती प्रक्रिया में पेपर लीक और अनियमितताओं के आरोप लगे, जिसके बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 28 अगस्त 2025 को इस भर्ती को रद्द करने का बड़ा आदेश दिया। यह फैसला जस्टिस समीर जैन की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनाया था।
एकलपीठ ने न केवल भर्ती प्रक्रिया को अवैध ठहराया, बल्कि राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाए। यह निर्णय जनहित याचिका के रूप में स्वतः संज्ञान लेकर दिया गया था।
इसके खिलाफ चयनित अभ्यर्थियों ने डिवीजन बेंच का रुख किया। जस्टिस एसपी शर्मा की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने 8 सितंबर 2025 को एकलपीठ के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। अब इस अंतरिम रोक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ताओं की दलील
याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता ऋषभ संचेती पैरवी कर रहे हैं। उन्होंने चार मुख्य आधारों पर डिवीजन बेंच के आदेश को चुनौती दी है।
एसआईटी रिपोर्ट की प्रामाणिकता – डिवीजन बेंच ने एसआईटी की उस रिपोर्ट को कमजोर बताया, जिसके आधार पर भर्ती रद्द की गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस रिपोर्ट को तभी खारिज किया जा सकता है जब यह साबित हो कि यह फर्जी है, जबकि ऐसा कोई सबूत नहीं है।
ट्रेनी सब-इंस्पेक्टरों की ट्रेनिंग – एकलपीठ ने ट्रेनी अभ्यर्थियों की फील्ड ट्रेनिंग पर रोक लगाई थी। डिवीजन बेंच ने अचानक उन्हें ट्रेनिंग की अनुमति दे दी, जिसे गलत ठहराया गया है।
जनहित याचिका का पहलू – एकलपीठ ने मामले को जनहित याचिका के रूप में स्वतः संज्ञान लेकर सुना था। डिवीजन बेंच के आदेश ने इस प्रक्रिया को रोक दिया, जिसे याचिकाकर्ता असंवैधानिक मानते हैं।
खंडपीठ का अधिकार – याचिकाकर्ताओं का कहना है कि एक खंडपीठ दूसरे खंडपीठ के आदेश पर रोक नहीं लगा सकती। इससे डिवीजन बेंच का फैसला कानूनी रूप से कमजोर हो जाता है।
चयनित अभ्यर्थियों की चिंता
दूसरी ओर, जिन अभ्यर्थियों का चयन हुआ है, वे भी सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि भर्ती रद्द होने से उनकी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। लगभग चार साल से इस भर्ती का इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों को ट्रेनिंग और नियुक्ति का अवसर मिलना बाकी है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्यों अहम?
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला केवल SI भर्ती 2021 के भविष्य का निर्धारण नहीं करेगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि पेपर लीक और अनियमितताओं के मामलों में न्यायालयों का रुख किस दिशा में रहेगा।


