शोभना शर्मा। जयपुर की ऐतिहासिक धरोहरों में एक और कीमती कड़ी आमजन के लिए फिर से खोल दी गई है। महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय की ओर से अंतरराष्ट्रीय म्यूजियम डे के अवसर पर जयपुर के सिटी पैलेस में स्थित सभा निवास हॉल को पुनः जनता के लिए खोलने की घोषणा की गई है। यह हॉल न केवल स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है, बल्कि राजस्थान की शाही परंपरा, संस्कृति और राजनीतिक इतिहास का सजीव दस्तावेज भी है।
शाही इतिहास से जुड़ा सभा निवास हॉल
सभा निवास हॉल जयपुर के सिटी पैलेस परिसर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण भाग है, जिसे कभी शाही दरबार, औपचारिक स्वागत और राजकीय कार्यवाहियों के लिए प्रयोग में लिया जाता था। इस हॉल में जयपुर के पूर्व महाराजाओं ने अतिथियों का स्वागत किया, दरबार लगाए और राज्य के अहम निर्णय लिए। यह वही स्थान है जहां जयपुर के वर्तमान महाराजा सवाई पद्मनाभ सिंह का राजतिलक समारोह संपन्न हुआ था, और उनका अठारहवां जन्मदिन भी यहीं पारंपरिक दरबारी शैली में मनाया गया था।
संरक्षण और पुनर्स्थापना के बाद फिर से खोला गया
सभा निवास हॉल को वर्षों तक व्यापक संरक्षण और जीर्णोद्धार की प्रक्रिया से गुजारा गया। इस कार्य में न केवल इसकी स्थापत्य भव्यता को बरकरार रखने पर ध्यान दिया गया, बल्कि आधुनिक तकनीक के सहारे इसे एक जीवंत सांस्कृतिक अनुभव के रूप में विकसित किया गया है। अब इसे एक गैलरी व म्यूजियम के रूप में तैयार किया गया है, जहां आगंतुक शाही दरबार से जुड़ी कई दुर्लभ व ऐतिहासिक वस्तुओं को नजदीक से देख पाएंगे।
इस म्यूजियम में एक इमर्सिव स्टोरीटेलिंग की व्यवस्था की गई है, जिसमें जयपुर के महाराजा सवाई प्रताप सिंह के जीवन के एक दिन को “प्रताप प्रकाश” जैसे ऐतिहासिक ग्रंथों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है।
स्थापत्य वैभव और आंतरिक सजावट
सभा निवास का वास्तुशिल्प अपने आप में अत्यंत समृद्ध है। इसके खुले मेहराब, जटिल नक्काशीदार संगमरमर के स्तंभ, जीवंत रंगों और सोने की कारीगरी से सजी छतें राजस्थानी कारीगरों के शिल्प कौशल का अद्भुत उदाहरण हैं। इसके जीर्णोद्धार में जलवायु नियंत्रण, प्रकाश व्यवस्था और प्रदर्शन तकनीक को इस तरह शामिल किया गया है कि यह ऐतिहासिक स्वरूप को प्रभावित किए बिना एक समकालीन अनुभव भी प्रदान करे।
प्रदर्शनी की मुख्य विशेषताएं
सभा निवास में अब ऐसी कई वस्तुएं प्रदर्शित की जा रही हैं, जो दशकों से जनता की नजरों से ओझल थीं। इनमें शामिल हैं:
1. 19वीं सदी के हौदा:
ये हाथियों पर सवारी के लिए बनाए गए भव्य आसन हैं, जो शाही जुलूसों में प्रयुक्त होते थे। इनमें वह हौदा भी शामिल है, जिस पर 1961 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने जयपुर की यात्रा के दौरान सवारी की थी।2. 19वीं सदी का छत्र:
राजशाही का प्रतीक यह छत्र अब पहली बार 65 वर्षों में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जा रहा है। इसका संरक्षण अत्यंत सावधानीपूर्वक किया गया है।3. 19वीं सदी के सिंहासन:
यूरोपीय शैली में निर्मित दो सिंहासन भी सभा निवास में रखे गए हैं। इनमें से एक को हाल ही में इंडिया आर्ट फेयर 2025 में ‘We The People’ एग्जीबिशन के तहत प्रदर्शित किया गया था।4. 18वीं सदी के साहिबराम चित्र:
जयपुर के प्रसिद्ध दरबारी चित्रकार साहिबराम द्वारा बनाए गए दुर्लभ और विशाल चित्रों की एक श्रृंखला भी यहां प्रदर्शित है। ये छह फीट ऊंची कलाकृतियां कपड़े पर ग्वाश माध्यम से तैयार की गई हैं और इन्हें लकड़ी के पैनल पर लगाया गया है। मूल रूप से सभा निवास के लिए बनाई गई इन कलाकृतियों की वापसी ऐतिहासिक महत्व की है।
महाराजा सवाई पद्मनाभ सिंह की प्रतिक्रिया
जयपुर के वर्तमान महाराजा सवाई पद्मनाभ सिंह ने सभा निवास को लेकर गहरी भावनाएं साझा कीं। उन्होंने कहा कि यह हॉल उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण क्षणों से जुड़ा है। उनका मानना है कि इसका संरक्षण केवल इसके स्थापत्य सौंदर्य को बचाने का प्रयास नहीं था, बल्कि इसका उद्देश्य इसे एक जीवंत सांस्कृतिक मंच के रूप में तैयार करना था, जहां भविष्य में भी सभा, विचार-विमर्श और समारोह आयोजित किए जा सकें।
सांस्कृतिक विरासत से जुड़ाव का नया जरिया
सभा निवास हॉल केवल एक ऐतिहासिक इमारत नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंच बन चुका है जहां नवीन पीढ़ी को अपनी विरासत से जुड़ने का अवसर मिलेगा। यहां आने वाले पर्यटक न केवल शाही परंपरा को नजदीक से देख पाएंगे, बल्कि वे जयपुर की कला, संस्कृति और इतिहास से भी सजीव रूप में रूबरू हो सकेंगे।