शोभना शर्मा। देश में संक्रामक रोगों पर नियंत्रण और उनके उन्मूलन की दिशा में केंद्र सरकार लगातार गंभीर प्रयास कर रही है। अब इसी कड़ी में कुष्ठ रोग (Leprosy) को देश से पूरी तरह समाप्त करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से सभी राज्य सरकारों को एक पत्र भेजा गया है, जिसमें कुष्ठ रोग को नोडिफाइबल डिजीज (अधिसूचित रोग) घोषित करने पर सुझाव मांगे गए हैं। पत्र में राज्य स्तर पर मौजूद मरीजों की जानकारी मांगी गई है ताकि इसे राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत स्वास्थ्य रणनीति में शामिल किया जा सके।
केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव की ओर से भेजे गए इस पत्र में उल्लेख किया गया है कि भारत में साल 1983 में प्रति 10,000 जनसंख्या पर कुष्ठ रोग के 57 मामले सामने आते थे, जबकि अब 2024-25 तक यह संख्या एक से भी कम रह गई है। यह गिरावट स्वास्थ्य मंत्रालय की योजनाबद्ध रणनीति, रोग पहचान अभियान और जागरूकता कार्यक्रमों का परिणाम है। अब मंत्रालय की योजना है कि इस रोग को अधिसूचित घोषित कर स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली में मजबूती से शामिल किया जाए।
2030 तक संक्रामक रोग मुक्त भारत का लक्ष्य
पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि सरकार का दीर्घकालिक लक्ष्य वर्ष 2030 तक संक्रामक रोगों का उन्मूलन करना है। मलेरिया, टीबी, डेंगू, चिकनगुनिया और कोविड-19 की तरह ही कुष्ठ रोग को भी अधिसूचित रोग के रूप में शामिल कर इसके प्रत्येक मामले की निगरानी और रिपोर्टिंग की जाएगी। इससे न केवल उपचार की गुणवत्ता में सुधार होगा बल्कि संक्रमण के प्रसार को रोकने में भी मदद मिलेगी।
कुछ राज्यों ने पहले ही लिया निर्णय
केंद्र सरकार द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, तमिलनाडु, ओडिशा और कर्नाटक जैसे राज्यों ने पहले ही कुष्ठ रोग को नोडिफाइबल डिजीज घोषित कर रखा है। इन राज्यों में प्रत्येक नए मामले को सरकारी स्वास्थ्य रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है और मरीजों का फॉलो-अप ट्रीटमेंट सुनिश्चित किया जाता है। इसके अलावा, इन राज्यों में संक्रमण को समुदाय में फैलने से रोकने के लिए लक्षित रणनीतियों पर भी काम हो रहा है।
राज्यों से मांगी गई है हर जिले की रिपोर्ट
मंत्रालय की ओर से यह स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि यदि कोई राज्य सरकार कुष्ठ रोग को अधिसूचित घोषित करती है, तो उस राज्य के हर सरकारी, निजी, ट्रस्ट या एनजीओ द्वारा संचालित अस्पताल व स्वास्थ्य संस्थानों को आने वाले हर कुष्ठ रोगी की जानकारी सीएमएचओ (मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी) या जिला कुष्ठ रोग नियंत्रण अधिकारी को अनिवार्य रूप से देनी होगी। इससे एक केंद्रीकृत स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली विकसित की जा सकेगी, जिससे राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय रणनीति और उपचार योजनाएं अधिक प्रभावी होंगी।