शोभना शर्मा। जयपुर की सबसे बड़ी थोक फल-सब्जी मंडी मुहाना मंडी में अब तुर्की से आया एक भी सेब नहीं दिखाई देगा। पाकिस्तान के समर्थन में बयान देने वाले तुर्की और अजरबैजान को जवाब देने के लिए जयपुर के व्यापारियों ने निर्णायक कदम उठाया है। जयपुर व्यापार महासंघ ने ऐलान किया है कि अब तुर्की और अजरबैजान से किसी भी प्रकार का व्यापार नहीं किया जाएगा। यह फैसला न केवल फलों की आपूर्ति तक सीमित है, बल्कि पर्यटन, प्रमोशन शूटिंग, और व्यावसायिक गतिविधियों पर भी पूर्ण रोक लगा दी गई है।
मुहाना मंडी में पूरी तरह रुकी तुर्की सेबों की आपूर्ति
राजस्थान की सबसे बड़ी थोक मंडी मुहाना मंडी में तुर्की से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में सेब आते थे। ये सेब न केवल जयपुर बल्कि देश के अन्य प्रमुख शहरों तक भेजे जाते थे। लेकिन जैसे ही व्यापार महासंघ ने तुर्की के उत्पादों के बहिष्कार का निर्णय लिया, मंडी में तुर्की सेबों की आपूर्ति एकदम रुक गई है।
मुहाना मंडी के थोक व्यापारियों का कहना है कि अब विभिन्न शहरों से भी तुर्की के सेबों की मांग बंद हो गई है। जो थोड़े बहुत सेब स्टॉक में रखे थे, वे जल्द ही खत्म हो जाएंगे या बेकार हो जाएंगे। व्यापारी अब उन स्टॉक्स को सड़कों पर फेंकने की तैयारी कर रहे हैं क्योंकि ताजगी बनाए रखने की सीमा समाप्त हो रही है।
जयपुर व्यापार महासंघ का सख्त फैसला
जयपुर व्यापार महासंघ के इस फैसले के पीछे साफ कारण है – तुर्की और अजरबैजान द्वारा पाकिस्तान का खुलकर समर्थन करना। महासंघ के महामंत्री सुरेश सैनी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत कार्रवाई की थी, तब तुर्की और अजरबैजान ने खुले तौर पर पाकिस्तान का पक्ष लिया था।
सैनी ने कहा, “अगर कोई देश हमारे शत्रु का मित्र है, तो वह भी हमारे लिए दुश्मन जैसा ही है। भारत की संप्रभुता को चुनौती देने वालों के साथ व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध बनाए रखना आत्मघाती होगा।” उन्होंने कहा कि इस फैसले के ज़रिए भारत के व्यापारी और उपभोक्ता एक राष्ट्रवादी संदेश देंगे।
थोक बाजारों पर प्रभाव और विकल्प की तैयारी
थोक विक्रेता संघ के अध्यक्ष योगेश तंवर ने बताया कि वर्तमान में तुर्की सेबों की कीमत 200 से 250 रुपये प्रति किलो तक थी। लेकिन आने वाले कुछ दिनों में हिमाचल प्रदेश और कश्मीर से सेब की नई फसल आने वाली है, जिससे तुर्की पर निर्भरता पूरी तरह समाप्त हो जाएगी।
उन्होंने यह भी बताया कि व्यापार महासंघ जल्द ही एक जन जागरूकता अभियान शुरू करेगा, ताकि देशभर के व्यापारी और उपभोक्ता इस बहिष्कार में शामिल हो सकें। इस अभियान का उद्देश्य विदेशी नीतियों से प्रभावित व्यापार के बजाय स्वदेशी विकल्पों को प्रोत्साहित करना है।
व्यापारिक स्तर पर भारत का जवाब
इस निर्णय को केवल एक व्यापारिक बहिष्कार न मानकर एक राजनीतिक और कूटनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है। भारत ने जहां सैन्य और कूटनीतिक मोर्चों पर पाकिस्तान को जवाब दिया है, वहीं अब कारोबारी वर्ग भी आर्थिक रूप से उसका समर्थन करने वाले देशों के खिलाफ कदम उठा रहा है।
जयपुर व्यापार महासंघ का यह कदम यह साबित करता है कि भारत का व्यापारी वर्ग भी अब केवल मुनाफे को प्राथमिकता नहीं दे रहा, बल्कि देश की संप्रभुता और राष्ट्रीय स्वाभिमान को सर्वोपरि मान रहा है।
पर्यटन, शूटिंग और व्यावसायिक प्रचार पर भी प्रतिबंध
सिर्फ फल और खाद्य पदार्थों तक यह बहिष्कार सीमित नहीं है। महासंघ ने तुर्की और अजरबैजान में किसी भी प्रकार के टूरिज्म, प्रमोशनल शूटिंग, या व्यापारिक मेले में भाग लेने से इनकार कर दिया है। इससे इन दोनों देशों की भारत से होने वाली कमाई पर प्रभाव पड़ेगा।