मनीषा शर्मा, अजमेर। रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने हाल ही में अजमेर के रेलवे कैरिज कारखाने से 5 लाख रुपये की कीमत की 450 स्टील शीट चोरी के मामले का खुलासा किया है। इस बड़ी चोरी में शामिल एक गैंग का पर्दाफाश करते हुए, पुलिस ने 5 चोरों और चोरी का माल खरीदने वाले 2 कबाड़ियों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों से 450 शीटों को भी बरामद किया गया है, जो जयपुर नेशनल हाईवे पर विभिन्न स्थानों पर बेची जा रही थीं।
मामले का खुलासा और चोरी की सूचना
27 अक्टूबर को अजमेर रेलवे कैरिज कारखाना के एसएसई (सीनियर सेक्शन इंजीनियर) ने 450 शीटों के चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी, जिसकी कीमत लगभग 4 लाख 80 हजार रुपये बताई गई थी। इतनी बड़ी चोरी की सूचना मिलने पर मंडल सुरक्षा आयुक्त दीपक कुमार आजाद के निर्देशन में अलग-अलग टीमें गठित की गईं, जिन्होंने अपने-अपने स्तर पर छानबीन शुरू की। टीमों ने रेलवे कारखाने के आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले और स्थानीय लोगों से पूछताछ की।
चोरों का सुराग और ट्रॉला ड्राइवर की गिरफ्तारी
जांच के दौरान, टीमों को कुछ अहम सुराग मिले जिससे पता चला कि जयपुर मंडल से रेलवे का सामान और बोगियां लाने वाले ट्रॉला ड्राइवर सद्दीक खान ने चोरी को अंजाम दिया है। सद्दीक ने रेलवे की बोगियों का उपयोग करते हुए स्टोर की चद्दरों को चुराया और उन्हें बेच दिया। सद्दीक की गिरफ्तारी के बाद, उसने पूछताछ में अपने अन्य साथियों के नाम भी बताए, जो कैरिज कारखाने में प्राइवेट लेबर के रूप में काम करते थे। इनमें फिरोज, इरफान, दीपक कुमार और शाहबाज खान शामिल थे।
चोरी का सामान बेचने वाले कबाड़ियों की गिरफ्तारी
सद्दीक ने बताया कि चोरी की गई शीटों को जयपुर नेशनल हाईवे पर दूदू-मौखमपुरा के बीच स्थित रमेश कबाड़ी को बेचा गया था। रमेश कबाड़ी को गिरफ्तार कर उससे चोरी की गई 201 शीटें बरामद की गईं। पूछताछ के दौरान रमेश ने बताया कि उसने आधे से अधिक माल शाहपुरा निवासी बंटी पालीवाल को बेच दिया था। इसके बाद, पुलिस ने बंटी को भी शाहपुरा से गिरफ्तार किया और उसके पास से बाकी की 249 शीटें बरामद कीं।
चोरी का नेटवर्क और RPF की कार्रवाई
यह मामला सिर्फ एक साधारण चोरी नहीं था बल्कि एक संगठित नेटवर्क का हिस्सा था, जिसमें रेलवे के ट्रॉला ड्राइवर, प्राइवेट लेबर और कबाड़ी शामिल थे। रेलवे सुरक्षा बल की तत्परता और त्वरित कार्रवाई के चलते, इस नेटवर्क को पकड़ने में सफलता मिली। इस मामले में आरोपियों ने रेलवे की सम्पत्तियों का दुरुपयोग कर चोरी को अंजाम दिया और इसे स्थानीय कबाड़ी को बेच दिया।
रेलवे संपत्ति की सुरक्षा का मुद्दा
इस घटना ने रेलवे संपत्ति की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। रेलवे परिसरों में काम करने वाले बाहरी लेबर और कर्मचारियों की पृष्ठभूमि जांच सुनिश्चित करना और सुरक्षा उपायों को सख्त करना अब रेलवे प्रशासन के लिए प्राथमिकता बन गई है।
भविष्य की सुरक्षा रणनीतियां
रेलवे प्रशासन इस मामले से सीख लेकर अपनी सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव ला सकता है। इस घटना के बाद यह आवश्यक हो गया है कि रेलवे परिसरों में सुरक्षा कैमरे और बढ़ाई जाएं और संदिग्ध गतिविधियों पर नज़र रखी जाए। इसके अलावा, बाहरी लेबर और ठेकेदारों की पृष्ठभूमि की जांच करना भी महत्वपूर्ण है।