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भरतपुर मोती महल विवाद: अनिरुद्ध सिंह का ट्वीट चर्चा में

भरतपुर मोती महल विवाद: अनिरुद्ध सिंह का ट्वीट चर्चा में

मनीषा शर्मा। भरतपुर के ऐतिहासिक मोती महल में झंडा लगाने को लेकर छिड़ा विवाद लगातार गहराता जा रहा है। शनिवार देर रात इस मामले ने नया मोड़ तब ले लिया जब मोती महल के सदर गेट को कुछ लोगों ने गाड़ी से तोड़ दिया और उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इसी बीच भरतपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह का सोशल मीडिया पोस्ट भी चर्चा का विषय बन गया।

उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “अब तो करणी सेना को बुलाना ही पड़ेगा”। हालांकि यह पोस्ट कुछ देर बाद उन्होंने डिलीट कर दिया, लेकिन रात 10 बजे के बाद किए गए इस ट्वीट ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी।

मोती महल गेट तोड़ने का वीडियो वायरल

सूत्रों के अनुसार शनिवार देर रात कुछ युवकों ने मोती महल के पीछे स्थित सदर गेट को गाड़ी से तोड़ दिया। वीडियो में वे हाथ में रियासतकालीन झंडा लिए नजर आ रहे थे। हालांकि उन्होंने झंडा फहराया नहीं, लेकिन घटना का लाइव प्रसारण सोशल मीडिया पर किया गया। जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ, भरतपुर पुलिस और प्रशासन में हड़कंप मच गया। तुरंत ही मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया और सुरक्षा कड़ी कर दी गई।

जाट समाज का ऐलान और बदला फैसला

मोती महल में झंडा लगाने का ऐलान जाट समाज ने 21 सितंबर को किया था। समाज के कुछ लोगों ने कहा था कि वे रियासतकालीन झंडा फहराएंगे। लेकिन पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह की अपील और प्रशासन द्वारा पहले ही तिरंगा फहराए जाने के बाद जाट समाज ने अपना निर्णय बदल दिया। उन्होंने झंडा लगाने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया।

दिनभर माहौल शांतिपूर्ण रहा और पुलिस बल भी तैनात रहा। शाम को हालात सामान्य लगने पर पुलिस बल हटा लिया गया। लेकिन देर रात हुई गेट तोड़ने की घटना ने एक बार फिर पूरे मामले को विवादित बना दिया।

अनिरुद्ध सिंह का विवादित ट्वीट

घटना के बाद अनिरुद्ध सिंह का सोशल मीडिया पोस्ट सामने आया। उन्होंने लिखा कि अब तो करणी सेना को बुलाना ही पड़ेगा। इस पोस्ट ने अचानक चर्चा बटोरी, लेकिन थोड़ी ही देर बाद उन्होंने इसे डिलीट कर दिया। इसके बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उनसे सवाल भी किए कि आखिर उन्होंने ऐसा पोस्ट क्यों किया और क्यों डिलीट किया।

राजनीतिक हलकों में इस पोस्ट को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जाने लगीं। कुछ लोगों ने इसे राजपरिवार में चल रहे विवाद से जोड़ा तो कुछ ने इसे प्रशासन पर दबाव बनाने का प्रयास बताया।

संपत्ति विवाद की पृष्ठभूमि

मोती महल विवाद की जड़ें भरतपुर के पूर्व राजपरिवार में चल रहे संपत्ति विवाद से जुड़ी हुई हैं। पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह और उनके बेटे अनिरुद्ध सिंह के बीच लंबे समय से तनातनी जारी है। अनिरुद्ध सिंह ने कुछ समय पहले अपने पिता पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्होंने बंध बारैठा की कोठी, जो राजपरिवार की पैतृक संपत्ति है, अवैध रूप से बेच दी।

अनिरुद्ध का कहना था कि यह कोठी उनके पूर्वजों की धरोहर थी, जिसे बेचने का अधिकार उनके पिता को नहीं था। इस पर विश्वेंद्र सिंह ने सफाई देते हुए कहा था कि वह कोठी उनकी निजी संपत्ति थी और उसे बेचने का पूरा अधिकार उन्हें था। उन्होंने यह भी बताया था कि कोठी बेचने से प्राप्त धन से उनकी पत्नी दिव्या सिंह ने दिल्ली में एक आलीशान फ्लैट खरीदा।

विवाद का राजनीतिक और सामाजिक असर

मोती महल का विवाद अब केवल संपत्ति तक सीमित नहीं रहा बल्कि इसमें राजनीतिक और सामाजिक रंग भी चढ़ गया है। जाट समाज के ऐलान, प्रशासन की सख्ती और राजपरिवार की आपसी खींचतान ने इस मामले को और जटिल बना दिया है। 

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