शोभना शर्मा। आज के समय में तेज़ होती ज़िंदगी और बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) को सबसे अधिक प्रभावित किया है। लोग अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के दबाव में इस कदर घिर चुके हैं कि तनाव (Stress) और एंग्जाइटी (Anxiety) आम समस्या बन गई है। लेकिन सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य को अब भी गंभीरता से नहीं लिया जाता। लोग इस पर बात करने से कतराते हैं, जबकि मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी शारीरिक और भावनात्मक दोनों ही स्तर पर गंभीर परिणाम दे सकती है।
तनाव से जुड़ी समस्याएं जैसे नींद न आना, बार-बार पेट खराब रहना, चिड़चिड़ापन, थकान और बेचैनी आम हो चुकी हैं। इनसे लड़ने के लिए जरूरी है कि हम इनकी जड़ को समझें और जीवनशैली में ऐसे बदलाव करें जो मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकें। इस लेख में महाराजा अग्रसेन हॉस्पिटल की मनोचिकित्सकों की सलाह पर आधारित कुछ व्यावहारिक और प्रभावी उपाय बताए गए हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकते हैं।
1. संतुलित जीवनशैली अपनाएं
एक संतुलित जीवनशैली मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है नियमित व्यायाम। रोजाना कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि से शरीर में एंडोर्फिन नामक हार्मोन निकलता है, जो तनाव को कम करता है और मूड को बेहतर बनाता है। इसके साथ ही, संतुलित आहार और पर्याप्त नींद लेना भी अत्यंत आवश्यक है। बहुत अधिक कैफीन और एल्कोहल का सेवन मानसिक अस्थिरता बढ़ा सकता है, इसलिए इनसे परहेज करना चाहिए।
2. माइंडफुलनेस और मेडिटेशन का अभ्यास
माइंडफुलनेस यानी वर्तमान क्षण में जीने की कला तनाव को कम करने का एक प्रभावी माध्यम है। ध्यान, गहरी सांसों का अभ्यास और सचेत चलना जैसी तकनीकों से माइंडफुलनेस को अपनाया जा सकता है। यह न सिर्फ तनाव को घटाता है, बल्कि मानसिक स्पष्टता, एकाग्रता और आत्म-स्वीकृति को भी बढ़ावा देता है।
3. समय-समय पर ब्रेक और सेल्फ केयर
लंबे समय तक लगातार काम करना मानसिक थकान को बढ़ाता है। ऐसे में हर कुछ घंटों पर 10-15 मिनट का ब्रेक लेना मानसिक रूप से रिचार्ज करने में मदद करता है। इस समय आप अपने किसी शौक को समय दे सकते हैं जैसे किताब पढ़ना, म्यूजिक सुनना, टहलना या गेम खेलना। यह आत्म-संवेदनशीलता और आत्म-सम्मान को बढ़ाने का भी जरिया बनता है।
4. अपनी समस्याएं साझा करें
जब कोई समस्या लगातार मन में घूमती रहती है, तो उसका प्रभाव मानसिक स्थिति पर गहरा पड़ता है। ऐसे में किसी भरोसेमंद मित्र या परिवार के सदस्य से बात करना बेहद सहायक हो सकता है। भावनाएं साझा करने से बोझ हल्का होता है और कभी-कभी समाधान भी मिल जाता है।
5. विशेषज्ञ से सलाह लेने में न झिझकें
यदि आपको लगता है कि तनाव, एंग्जाइटी या किसी मानसिक परेशानी से आप लंबे समय से जूझ रहे हैं और जीवन पर उसका प्रभाव पड़ रहा है, तो मनोचिकित्सक या काउंसलर से संपर्क करना सबसे उचित निर्णय होता है। मानसिक स्वास्थ्य का शारीरिक स्वास्थ्य से गहरा संबंध होता है। जब हम मानसिक रूप से अस्वस्थ होते हैं, तो उसका असर हमारी प्रतिरोधक क्षमता, पाचन, नींद और व्यवहार पर साफ दिखता है। विशेषज्ञ आपकी समस्या की गहराई को समझकर न केवल सही सलाह देते हैं बल्कि आवश्यक दवाओं और थेरेपी की मदद से आपको बेहतर जीवन जीने में सहायता करते हैं।