शोभना शर्मा, अजमेर। राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) इन दिनों लगातार विवादों में घिरा रहा है। अब इस विवाद ने और गहराई तब पकड़ ली जब आयोग की सदस्य और चर्चित कवि कुमार विश्वास की पत्नी डॉ. मंजु शर्मा ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। सोमवार को उन्होंने राज्यपाल को पत्र लिखकर अपने इस्तीफ़े की पेशकश की। अपने पत्र में डॉ. मंजु शर्मा ने साफ कहा कि उन्होंने अपना पूरा कार्यकाल और निजी जीवन पारदर्शिता एवं ईमानदारी के साथ व्यतीत किया है। लेकिन हाल ही में एक भर्ती प्रक्रिया को लेकर हुए विवाद ने उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और आयोग की गरिमा पर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।
“भर्ती विवाद से गरिमा प्रभावित हुई”
राज्यपाल को भेजे गए इस्तीफ़े में डॉ. मंजु शर्मा ने लिखा— “मेरे खिलाफ न तो किसी पुलिस संस्थान और न ही किसी जांच एजेंसी में कोई भी मामला लंबित है। न ही मुझे कभी किसी प्रकरण में आरोपी माना गया है। इसके बावजूद, सार्वजनिक जीवन में शुचिता और पारदर्शिता को सर्वोपरि मानते हुए मैं आयोग की सदस्य पद से त्यागपत्र देती हूं।” उनका कहना है कि उन्होंने हमेशा संस्थान की प्रतिष्ठा और निष्पक्षता को प्राथमिकता दी है। लेकिन जिस तरह से भर्ती प्रक्रिया को लेकर सवाल उठे, उससे आयोग की गरिमा को ठेस पहुँची और उन्होंने पद छोड़ने का फैसला किया।
SI भर्ती विवाद में आया नाम
गौरतलब है कि डॉ. मंजु शर्मा का नाम वर्ष 2021 की उप-निरीक्षक (SI) भर्ती से जुड़े विवाद में भी उछला था। उस समय आयोग पर आरोप लगा था कि भर्ती प्रक्रिया में धांधली की गई। पेपर लीक और इंटरव्यू में हेरफेर के मामले ने राज्यभर में बड़ा बवाल खड़ा कर दिया था। इस भर्ती विवाद में आयोग के कई सदस्यों पर सवाल खड़े हुए थे, जिनमें डॉ. मंजु शर्मा का नाम भी शामिल किया गया। हालांकि उनके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष कानूनी कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन विवाद ने आयोग की कार्यप्रणाली की निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए थे।
हाईकोर्ट की टिप्पणी से बढ़ा विवाद
SI भर्ती प्रकरण की सुनवाई के दौरान राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस समीर जैन ने भी सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने भर्ती रद्द करने का आदेश देते हुए कहा कि उम्मीदवारों को इंटरव्यू में पक्षपातपूर्ण अंक देने के लिए आयोग के सदस्यों तक पहुंच बनाई गई थी। कोर्ट ने उदाहरण देते हुए कहा कि आरोपी रामूराम राईका ने अपनी बेटी को इंटरव्यू में अच्छे अंक दिलाने के लिए आयोग के कई सदस्यों को बेटी की तस्वीरें दिखाई थीं। इस दौरान डॉ. मंजु शर्मा का नाम भी सामने आया। यह टिप्पणी सामने आने के बाद आयोग की विश्वसनीयता और निष्पक्षता पर जनता और मीडिया के बीच सवाल खड़े हुए।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
डॉ. मंजु शर्मा को पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने आरपीएससी का सदस्य नियुक्त किया था। इस्तीफ़े के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा शुरू हो गई है। एक तरफ विपक्ष इसे आयोग की साख पर धब्बा बता रहा है, वहीं समर्थक कह रहे हैं कि बिना किसी कानूनी दोष सिद्धि के नाम उछाले जाना अन्यायपूर्ण है। कुमार विश्वास और उनकी पत्नी का नाम जुड़ने से यह मामला और अधिक सुर्खियों में आ गया है। सोशल मीडिया पर भी इस इस्तीफ़े को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं।
आरपीएससी की गरिमा पर उठे सवाल
राजस्थान लोक सेवा आयोग का इतिहास प्रतिष्ठित माना जाता रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में लगातार सामने आ रहे पेपर लीक, धांधलियों और विवादों ने इसकी छवि को गहरा आघात पहुँचाया है। डॉ. मंजु शर्मा का इस्तीफ़ा यह संकेत देता है कि अब आयोग के भीतर भी सदस्य अपनी व्यक्तिगत साख और पारदर्शिता की चिंता करने लगे हैं। उनका कहना है कि वे हमेशा ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ कार्य करती रही हैं, लेकिन विवादों ने संस्था की गरिमा को प्रभावित किया है।