शोभना शर्मा। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को जयपुर में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में कहा कि आज भारत ने केवल युद्ध के मैदान में नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर भी कूटनीतिक लड़ाई जीती है। पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत की स्मृति में निर्मित पुस्तकालय के उद्घाटन अवसर पर धनखड़ ने जोर देकर कहा कि अब पूरी दुनिया आकाश और ब्रह्मोस मिसाइलों की ताकत को पहचान चुकी है।
धनखड़ ने कहा कि जब देश की अस्मिता को चुनौती मिली, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की धरती से दुनिया को स्पष्ट संदेश दिया और उस संदेश पर दृढ़ता से खरे भी उतरे। उन्होंने कहा कि भारत ने न केवल सैन्य स्तर पर मजबूत प्रतिक्रिया दी, बल्कि जल समझौते जैसे संवेदनशील मामलों पर भी दुनिया को स्पष्ट कर दिया कि जब तक हालात सामान्य नहीं होंगे, कोई पुनर्विचार नहीं होगा।
उन्होंने जोर दिया कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत ने पहली बार इतनी व्यापक और निर्णायक कूटनीतिक लड़ाई लड़ी और इसे सफलता के साथ जीता भी है। उन्होंने कहा, “अब दुनिया ने देखा कि आकाश मिसाइल का मतलब क्या है और ब्रह्मोस किस स्तर की ताकत का परिचायक है। भारत की सैन्य शक्ति के साथ-साथ अब कूटनीतिक ताकत को भी वैश्विक स्तर पर गंभीरता से लिया जा रहा है।”
भैरोंसिंह शेखावत की स्मृति में श्रद्धांजलि
धनखड़ ने इस मौके पर पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत को याद करते हुए कहा कि वह न केवल भारतीय राजनीति के अजातशत्रु थे, बल्कि उनके पास उस दौर में ऐसी कार्यशैली और तकनीकी समझ थी जो आज के डिजिटल युग में भी प्रासंगिक है। उन्होंने बताया कि जब वह राजनीतिक जीवन में अनिश्चितता के दौर में थे, तब शेखावत ने ही उन्हें झुंझुनूं से चुनाव लड़ने की प्रेरणा दी थी।
धनखड़ ने कहा, “जब मुझे लग रहा था कि मंत्रिपरिषद में मेरा नाम नहीं आएगा, तब भैरोंसिंह जी ने मुझे मानसिक संबल दिया। मैंने हर साल, हर महीने उनसे कुछ न कुछ सीखा। उनकी सबसे बड़ी सीख उनकी पुस्तकों और विचारधारा में समाहित थी।”
उपराष्ट्रपति ने यह भी साझा किया कि वे संसद की लाइब्रेरी से भैरोंसिंह शेखावत के बतौर सभापति कहे गए सभी वक्तव्यों की प्रतिलिपि जयपुर स्थित इस नई पुस्तकालय को समर्पित कर रहे हैं। इसके साथ ही संविधान सभा की हिंदी व अंग्रेजी में आधिकारिक प्रतिलिपियों को भी इस पुस्तकालय में रखा जाएगा।
राजनीति में दुश्मनी का कोई स्थान नहीं
धनखड़ ने कहा कि भैरोंसिंह शेखावत राजनीति के ऐसे व्यक्तित्व थे जिनका कोई व्यक्तिगत दुश्मन नहीं था। उन्होंने राजनीति को इस रूप में परिभाषित किया कि इसमें दुश्मनी का कोई स्थान नहीं होता। उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह भावना आज के राजनेताओं को सीखने की जरूरत है।
धनखड़ ने कहा कि जब वह राजस्थान विधानसभा में विपक्ष में थे और शेखावत मुख्यमंत्री थे, तब भी शेखावत का व्यवहार हमेशा संतुलित और उदार रहता था। उन्होंने कहा, “तब हमें यह विश्वास होता था कि मुख्यमंत्री हमारे गार्जन हैं और हम जो भी कहेंगे, उस पर सकारात्मक विचार होगा।”
पुस्तकालय को संसद से जोड़ा जाएगा
उपराष्ट्रपति ने कहा कि जयपुर में बनी यह पुस्तकालय संसद भवन की लाइब्रेरी से भी जोड़ी जाएगी, ताकि यहां आने वाले शोधार्थी, छात्र और नागरिक संसद की महत्वपूर्ण जानकारी तक सीधे पहुंच बना सकें। यह पुस्तकालय भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और अध्ययन का केंद्र बनेगा।
राष्ट्रहित सर्वोपरि
धनखड़ ने अपने संबोधन के अंत में राष्ट्रहित को सर्वोपरि बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद और भारतीयता ही हमारी पहचान हैं। जब राष्ट्र की बात आती है, तब कोई राजनीतिक या आर्थिक हित उससे ऊपर नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि जनकल्याण और सेवा की कोई सीमा नहीं होती और हर भारतीय को इसके लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, और भाजपा के कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता उपस्थित रहे। समारोह में एक बार फिर यह संदेश स्पष्ट रूप से सामने आया कि भारत न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि विश्व मंच पर भी अपनी आवाज मजबूती से उठाने में अब पूरी तरह समर्थ है।