शोभना शर्मा। सिंधु जल संधि को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच उपजे विवाद में वर्ल्ड बैंक ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। वर्ल्ड बैंक के प्रमुख अजय बंगा ने पाकिस्तान को बड़ा झटका देते हुए साफ कर दिया कि इस संधि में वर्ल्ड बैंक की कोई मध्यस्थता नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए इस द्विपक्षीय समझौते में कोई भी फैसला केवल दोनों देशों की आपसी सहमति से ही संभव है। वर्ल्ड बैंक केवल एक सहायक भूमिका में है और उसकी भूमिका प्रशासनिक सीमाओं तक ही सीमित है।
अजय बंगा ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारत ने सिंधु जल संधि को ‘निलंबित’ नहीं किया है, बल्कि फिलहाल के लिए इसे ‘रोक’ दिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस संधि में इसे निलंबित करने का कोई प्रावधान नहीं है। अगर कोई बदलाव करना है तो या तो इस संधि को पूरी तरह समाप्त करना होगा या एक नई संधि बनानी होगी, और यह तभी संभव होगा जब भारत और पाकिस्तान दोनों इस पर सहमत हों।
उन्होंने यह भी बताया कि वर्ल्ड बैंक की भूमिका केवल तकनीकी सहायता और प्रशासनिक कार्यों तक ही सीमित है। बैंक ने आरंभ में केवल एक ट्रस्ट फंड की स्थापना की थी, जिसका उपयोग मध्यस्थों की फीस और अन्य व्यवस्थाओं में होता है। उन्होंने कहा कि वर्ल्ड बैंक के पास कोई अधिकार नहीं है कि वह संधि को लागू करवाए या उसमें हस्तक्षेप करे।
अजय बंगा ने स्पष्ट रूप से मीडिया में चल रही उन रिपोर्ट्स को खारिज किया जिनमें यह दावा किया जा रहा था कि वर्ल्ड बैंक संधि को फिर से लागू करने या उसमें बदलाव के लिए हस्तक्षेप कर रहा है। उन्होंने कहा, “यह सब बकवास है। यह दो देशों के बीच की संधि है और उन्हीं को तय करना है कि वे इसे जारी रखना चाहते हैं या नहीं।”
भारत द्वारा हाल ही में सिंधु जल संधि को स्थगित करने का निर्णय पहलगाम आतंकी हमले के बाद लिया गया था। यह भारत की ओर से पाकिस्तान को सख्त संदेश देने की एक बड़ी रणनीतिक पहल मानी जा रही है। पाकिस्तान इस फैसले को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहानुभूति जुटाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वर्ल्ड बैंक के इस दो-टूक जवाब ने उसकी रणनीति पर पानी फेर दिया है।
वर्ल्ड बैंक प्रमुख के इस रुख से यह स्पष्ट हो गया है कि अब इस संधि को लेकर किसी तीसरे पक्ष की भूमिका की कोई संभावना नहीं है। यह अब पूरी तरह से भारत और पाकिस्तान के बीच का मामला रह गया है। ऐसे में पाकिस्तान की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है, जो यह मानकर चल रहा था कि वर्ल्ड बैंक उसकी तरफदारी करेगा।
सिंधु जल संधि वर्ष 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में हुई थी। इसका उद्देश्य सिंधु नदी प्रणाली के जल का बंटवारा करना था। लेकिन अब, वर्ल्ड बैंक खुद को केवल एक तकनीकी सहयोगी के रूप में देखता है, न कि किसी निर्णय लेने वाले प्राधिकरण के रूप में।
अजय बंगा के इस बयान के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत और पाकिस्तान इस संधि को लेकर आगे क्या रुख अपनाते हैं। लेकिन एक बात तो तय है कि वर्ल्ड बैंक अब इस मुद्दे में कोई दखल नहीं देगा और फैसला सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच ही लिया जाएगा।