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राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत को ग्रामीणों ने क्यों घेरा?

राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत को ग्रामीणों ने क्यों घेरा?

शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था एक बार फिर चर्चा में है। इस बार वजह हैं राज्य के मुख्य सचिव और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुधांश पंत, जो हाल ही में कोटपूतली के दौरे पर पहुंचे थे। यह दौरा राज्य की विभिन्न सरकारी योजनाओं की समीक्षा के लिए तय था, लेकिन उस दौरान ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन ने पूरी कार्यवाही को नई दिशा दे दी। ग्रामीणों का आरोप था कि वे एक सीमेंट फैक्ट्री की मनमानी के खिलाफ कई महीनों से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन और सरकार की ओर से उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही।

कोटपूतली में सुधांश पंत के दौरे पर ग्रामीणों का प्रदर्शन

मंगलवार, 15 अप्रैल को सुधांश पंत जब कोटपूतली पहुंचे, तो उनके साथ संभागीय आयुक्त पूनम, जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल और पुलिस अधीक्षक राजन दुष्यंत सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। बैठक के दौरान ग्रामीणों को मुख्य सचिव से मिलने की अनुमति नहीं दी गई, जिससे नाराज़ ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वे पिछले तीन महीने से एक सीमेंट फैक्ट्री की अवैध गतिविधियों के खिलाफ शांतिपूर्ण धरना दे रहे हैं, लेकिन किसी भी स्तर पर उन्हें न्याय नहीं मिला।

कौन हैं सुधांश पंत?

सुधांश पंत 1991 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं और फिलहाल राजस्थान के मुख्य सचिव के पद पर कार्यरत हैं। वे मेरठ, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और कई अहम पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान उन्हें अपेक्षित महत्व नहीं दिया गया था और वे केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गए थे। लेकिन दिसंबर 2023 में राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार ने उन्हें दिल्ली से वापस बुलाया और तीन वरिष्ठ अफसरों को दरकिनार कर राज्य का मुख्य सचिव बना दिया।

सीनियरिटी में चौथे, लेकिन पद सबसे ऊंचा

राजस्थान में आईएएस अफसरों की वरिष्ठता सूची में सुधांश पंत चौथे नंबर पर आते हैं। उनसे वरिष्ठ तीन अफसरों में पहले नंबर पर सुबोध अग्रवाल हैं जो जल जीवन मिशन घोटाले में जांच के घेरे में हैं। दूसरे नंबर पर वी. श्रीनिवास हैं जो फिलहाल केंद्र सरकार में कार्यरत हैं। वहीं तीसरे नंबर पर शुभ्रा सिंह हैं जिन्हें राजस्थान रोडवेज का चेयरमैन बनाया गया है। इन सभी अफसरों की वरिष्ठता को दरकिनार कर भाजपा सरकार ने पंत को राज्य की ब्यूरोक्रेसी का मुखिया बनाया।

विपक्ष के निशाने पर सुधांश पंत

मुख्य सचिव बनने के बाद से ही सुधांश पंत विपक्षी दल कांग्रेस के निशाने पर रहे हैं। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि राज्य में प्रशासनिक अफसर मंत्रियों और विधायकों से ऊपर हो गए हैं। कई मौकों पर ऐसा देखा गया कि विधायक मुख्य सचिव के चैंबर के बाहर मिलने का इंतज़ार करते रहे, लेकिन उन्हें समय नहीं मिला। इन घटनाओं को लेकर कांग्रेस का आरोप है कि दिल्ली से निर्देश लेकर प्रशासन राज्य चला रहा है, और मुख्यमंत्री के बजाय ब्यूरोक्रेसी की चलती है।

जनता से दूरी बना रहे हैं पंत?

कोटपूतली में हुई घटना ने यह सवाल फिर खड़ा कर दिया है कि क्या ब्यूरोक्रेसी जनता से कटती जा रही है? जब राज्य का सबसे बड़ा अफसर ग्रामीणों की बातें सुनने को तैयार नहीं होता, तो यह लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय बन जाता है। सरकार द्वारा भेजे गए शीर्ष अफसर अगर फील्ड विज़िट पर जाएं और जनता से संवाद ही न कर पाएं, तो उनकी प्रभावशीलता पर प्रश्नचिह्न लगना लाज़मी है।

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