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WhatsApp Meta AI विवाद: विजय शेखर शर्मा की पोस्ट से मचा हड़कंप

WhatsApp Meta AI विवाद: विजय शेखर शर्मा की पोस्ट से मचा हड़कंप

मनीषा शर्मा। टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया की दुनिया में अक्सर कोई एक पोस्ट या मैसेज इतना असर डाल देता है कि लोग अचानक असमंजस और डर में आ जाते हैं। ऐसा ही हुआ जब Paytm के फाउंडर विजय शेखर शर्मा ने X (पहले Twitter) पर एक पोस्ट डाली। इस पोस्ट में उन्होंने दावा किया कि अब WhatsApp अपने ग्रुप चैट को Meta AI के जरिए पढ़ना शुरू कर रहा है। जैसे ही यह पोस्ट सामने आई, यूजर्स में खलबली मच गई और सवाल उठने लगे कि क्या वाकई अब WhatsApp हमारी निजी बातें पढ़ रहा है?

विजय शेखर शर्मा का दावा और शेयर की गई फोटो

विजय शेखर शर्मा ने अपने पोस्ट में लिखा – “जरूरी! अगर आप किसी WhatsApp ग्रुप का हिस्सा हैं तो आज से WhatsApp AI को चैट पढ़ने की इजाजत दे रहा है। इसे रोकने के लिए इस सेटिंग को ऑन करें।” इसके साथ ही उन्होंने एक स्क्रीनशॉट भी शेयर किया, जिसमें दिखाया गया था कि किस तरह एक सेटिंग बदलकर इस AI एक्सेस को रोका जा सकता है। उनकी इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर तूफान खड़ा कर दिया। बहुत से लोग सेटिंग बदलने में जुट गए तो कुछ लोग घबराकर WhatsApp छोड़ने की बातें करने लगे।

WhatsApp की सफाई: चैट अब भी पूरी तरह सुरक्षित

हालांकि, इस मामले पर WhatsApp ने तुरंत आधिकारिक बयान जारी किया और कहा कि यह खबर पूरी तरह गलत है। कंपनी के प्रवक्ता ने साफ किया – “आपके पर्सनल मैसेज हमेशा एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन से सुरक्षित रहते हैं। इन्हें सिर्फ आप और जिससे आप बात कर रहे हैं वही पढ़ सकते हैं। न WhatsApp और न ही कोई तीसरा इन्हें पढ़ सकता है। Meta AI पूरी तरह ऑप्शनल है और यह सिर्फ वही कंटेंट पढ़ सकता है, जो आप खुद उसके साथ शेयर करते हैं।” यानी WhatsApp ने स्पष्ट किया कि Meta AI अपने आप ग्रुप चैट या प्राइवेट मैसेज नहीं पढ़ता, बल्कि यह तभी सक्रिय होता है जब कोई यूजर जानबूझकर AI चैट का इस्तेमाल करता है।

आखिर Meta AI क्या है?

Meta AI दरअसल WhatsApp में जुड़ा एक नया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फीचर है। इसे मेटा (Facebook की पैरेंट कंपनी) ने पेश किया है। यह यूजर्स को चैट के दौरान AI से सवाल पूछने, जानकारी लेने या कंटेंट जनरेट करने जैसी सुविधाएं देता है।

  • अगर आप किसी चैट में “@Meta AI” को मैसेज करते हैं या उससे सीधे बातचीत शुरू करते हैं, तभी यह फीचर सक्रिय होता है।

  • यह आपके बाकी प्राइवेट या ग्रुप चैट्स को अपने आप एक्सेस नहीं करता।

  • सबसे अहम बात यह कि इसका इस्तेमाल पूरी तरह यूजर की मर्जी पर आधारित है।

क्यों हुआ इतना हंगामा?

यह विवाद इसलिए ज्यादा तूल पकड़ गया क्योंकि पोस्ट करने वाले शख्स कोई आम यूजर नहीं थे, बल्कि Paytm जैसे बड़े ब्रांड के फाउंडर विजय शेखर शर्मा थे। उनकी पोस्ट ने लोगों को तुरंत विश्वास दिला दिया कि WhatsApp अब हमारी फैमिली ग्रुप और ऑफिस चैट भी पढ़ रहा है। सोशल मीडिया पर इसको लेकर हजारों कमेंट्स और चर्चाएं होने लगीं। कई लोगों ने अपनी प्राइवेसी सेटिंग बदलना शुरू कर दिया। वहीं, WhatsApp को बार-बार यह सफाई देनी पड़ी कि यह खबर सिर्फ अफवाह है।

WhatsApp की प्राइवेसी पर भरोसा क्यों जरूरी है?

WhatsApp सालों से एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन (End-to-End Encryption) पर भरोसा करता आया है। इस तकनीक का अर्थ है कि कोई भी मैसेज सिर्फ भेजने वाला और पाने वाला ही पढ़ सकता है।

  • बीच में WhatsApp सर्वर भी मैसेज की कॉपी को नहीं पढ़ सकता।

  • किसी तीसरे पक्ष, चाहे वह कंपनी हो या सरकार, को भी इसका एक्सेस नहीं मिलता।

  • यही वजह है कि WhatsApp हमेशा अपने विज्ञापनों और अभियानों में कहता है – “आपकी बातें प्राइवेट हैं, खुद WhatsApp भी उन्हें नहीं पढ़ सकता।”

पहले भी फैली हैं ऐसी अफवाहें

यह पहली बार नहीं है जब WhatsApp की प्राइवेसी को लेकर ऐसी अफवाहें फैली हों। इससे पहले भी कई बार फॉरवर्डेड मैसेज के जरिए लोगों को डराने की कोशिश की गई। कभी कहा गया कि सरकार अब सभी चैट पढ़ सकती है, तो कभी दावा किया गया कि WhatsApp आपकी गैलरी और ऑडियो रिकॉर्डिंग तक एक्सेस कर लेगा। ज्यादातर मामलों में कंपनी को विज्ञापन और पब्लिक स्टेटमेंट्स के जरिए सफाई देनी पड़ी। इस बार फर्क यह था कि अफवाह को हवा देने वाला नाम Vijay Shekhar Sharma जैसा बड़ा बिजनेस टायकून था, जिसकी वजह से खबर और तेजी से फैली।

 घबराने नहीं, जागरूक रहने की जरूरत

विजय शेखर शर्मा की पोस्ट ने भले ही कुछ घंटों के लिए यूजर्स में डर पैदा कर दिया, लेकिन WhatsApp की सफाई ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। आपकी प्राइवेट चैट अब भी सुरक्षित हैं और उन्हें न WhatsApp और न ही Meta AI पढ़ सकता है। Meta AI फीचर पूरी तरह यूजर-ऑप्शनल है और तभी सक्रिय होता है जब आप खुद इसका इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में डरने की बजाय जागरूक रहना और सही जानकारी रखना जरूरी है। अफवाहों पर भरोसा करने से बचें और भरोसा रखें कि WhatsApp की एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी आपकी प्राइवेसी की सुरक्षा करती है।

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