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राजस्थान में माउंट आबू का नाम बदलने की मांग: क्या अब होगा ‘आबू राज’?

राजस्थान में माउंट आबू का नाम बदलने की मांग: क्या अब होगा ‘आबू राज’?

शोभना शर्मा।  राजस्थान का मशहूर हिल स्टेशन माउंट आबू एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार कारण है इसका नाम बदलने की मांग। राज्य मंत्री ओटाराम देवासी और आबू विधायक समाराम गरासिया ने माउंट आबू का नाम बदलकर ‘आबू राज’ रखने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र भी लिखा है।

 माउंट आबू का नाम क्यों बदलना चाहते हैं?

ओटाराम देवासी ने अपने पत्र में तर्क दिया है कि माउंट आबू प्राचीन काल से ही सनातन धर्म के आस्था का केंद्र रहा है। यहां के आबू पर्वत को पौराणिक मान्यताओं में अर्बुद पर्वत के नाम से जाना जाता था। यह नाम हिमालय के पुत्र आरबुआदा के नाम पर रखा गया था। ओटाराम देवासी का कहना है कि यह स्थल 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास स्थल है और इसे ‘आबू राज तीर्थ’ कहा जाता था। उनका दावा है कि तत्कालीन सरकार ने इसका नाम बदलकर माउंट आबू कर दिया था, जबकि वास्तविक नाम ‘आबू राज’ ही था।

 नाम बदलने के अलावा और क्या मांगें हैं?

ओटाराम देवासी ने अपने पत्र में माउंट आबू में मांस और शराब की बिक्री पर भी चिंता जताई है। माउंट आबू में खुले में मांस बेचने से श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं। खुले में शराब पीने की अनुमति भी धार्मिक दृष्टिकोण से अनुचित मानी जा रही है। देवासी का कहना है कि इन गतिविधियों पर रोक लगाकर और नाम बदलकर ‘आबू राज’ कर देने से माउंट आबू की पवित्रता को बरकरार रखा जा सकेगा।

 माउंट आबू का इतिहास और धार्मिक महत्व:

माउंट आबू को ‘राजस्थान का कश्मीर’ और ‘छोटी काशी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है, जो लगभग 1,220 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। माउंट आबू की प्राकृतिक सुंदरता, हरे-भरे पहाड़, निर्मल झीलें और अद्भुत मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं। दिलवाड़ा मंदिर, नक्की झील, और अर्बुदा देवी मंदिर यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माउंट आबू को मूल रूप से ‘अर्बुदांचल’ कहा जाता था। इसका नाम अर्बुदा देवी के नाम पर रखा गया था।

नाम बदलने की मांग की पृष्ठभूमि:

माउंट आबू का नाम बदलने की मांग पहले भी कई संतों और ऋषियों द्वारा उठाई जा चुकी है। उनका कहना है कि इस स्थल को ‘आबू राज तीर्थ’ के नाम से ही जाना जाना चाहिए। अब जब राज्य मंत्री ओटाराम देवासी और आबू विधायक समाराम गरासिया ने भी इस मांग को समर्थन दिया है, तो यह मामला और भी गंभीर हो गया है।

मामले पर सरकार का रुख:

अब तक मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की ओर से इस मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, यह मामला धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील है। अगर यह मांग मानी जाती है, तो माउंट आबू का नाम बदलकर ‘आबू राज’ किया जा सकता है।

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