मनीषा शर्मा। 29 जनवरी 2025 को प्रदेश में 45,000 से ज्यादा गांव एमएसपी के विरोध में गांव बंद आंदोलन में शामिल होंगे। इस आंदोलन का उद्देश्य किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलाना और खाद्य वस्तुओं में मिलावट से बचाव सुनिश्चित करना है।
आंदोलन के नियम और उद्देश्य
गांव बंद आंदोलन के दौरान ग्रामीण न तो गांव छोड़ेंगे और न ही अपने उत्पादों को गांव से बाहर भेजेंगे। यदि बाहरी लोगों को ग्रामीण उत्पाद खरीदने हैं, तो उन्हें गांव आना होगा। आपातकालीन स्थितियों को छोड़कर किसी भी प्रकार के यातायात साधनों का उपयोग नहीं किया जाएगा।
आंदोलन के प्रमुख उद्देश्य हैं:
- किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलाना।
- खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकना।
- किसानों के अधिकारों के प्रति जनजागृति लाना।
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि आंदोलन सत्य, शांति और अहिंसा पर आधारित होगा। यह स्वेच्छा से किया जाएगा और टकराव की संभावना न्यूनतम होगी। किसानों को अपने उत्पाद का मूल्य निर्धारण खुद करने का अधिकार दिलाने के लिए “खेत को पानी-फसल को दाम” जैसे नारों के साथ जनजागरण अभियान चलाया जा रहा है।
जनजागरण अभियान का चरणबद्ध कार्यान्वयन
रामपाल जाट ने बताया कि आंदोलन से पहले 19 जिलों में 8 दिनों तक जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान में निम्न जिलों को शामिल किया जाएगा:
- भीलवाड़ा
- चितौड़गढ़
- राजसमंद
- प्रतापगढ़
- डूंगरपुर
- बांसवाड़ा
- उदयपुर
- जोधपुर
- जैसलमेर
- बाड़मेर
- जालौर
- सिरोही
- पाली
- ब्यावर
- जयपुर
- अलवर
- खैरथल-तिजारा
- कोटपूतली-बहरोड़
किसान आंदोलन के संभावित प्रभाव
गांव बंद आंदोलन के दौरान ग्रामीण इलाकों में किसी भी प्रकार की खरीदारी, यातायात और उत्पादों का व्यापार सीमित रहेगा। आंदोलन का असर उन लोगों पर भी पड़ेगा जो ग्रामीण इलाकों से खरीदारी करते हैं।
रामपाल जाट ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने किसानों की मांगें पूरी नहीं कीं तो आंदोलन को और भी बड़ा रूप दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ किसानों का अधिकार दिलाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उनके सम्मान और अस्तित्व की लड़ाई भी है।


