मनीषा शर्मा। राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र 1 सितंबर से शुरू हो गया, लेकिन पहले ही दिन सदन की कार्यवाही को लेकर विवाद खड़ा हो गया। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने विधानसभा में श्रद्धांजलि प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब उत्तराखंड और गुजरात जैसे राज्यों में दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी जा सकती है, तो आखिर राजस्थान के झालावाड़ स्कूल हादसे में मारे गए मासूम बच्चों को क्यों नजरअंदाज कर दिया गया।
जूली ने आरोप लगाया कि सरकार संवेदनहीन हो चुकी है और अब उसे अपने ही प्रदेश के बच्चों की पीड़ा नजर नहीं आती। विधानसभा में यह मुद्दा उठने के बाद सदन की गरिमा और सरकार की नीतियों को लेकर विपक्ष ने जमकर हल्ला बोला।
सरकार संवेदनहीन हो गई – जूली
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विधानसभा लोकतंत्र का सर्वोच्च मंदिर है और यहां सभी घटनाओं और हादसों का निष्पक्ष रूप से उल्लेख होना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि उत्तराखंड और गुजरात में हुई दुर्घटनाओं के मृतकों को श्रद्धांजलि देना ठीक है, लेकिन झालावाड़ स्कूल हादसे के बच्चों को श्रद्धांजलि न देना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।
उन्होंने कहा कि यह बच्चे सिस्टम की लापरवाही के शिकार हुए थे और जब उनकी आत्माओं को शांति देने की बात आई तो सरकार ने मौन धारण कर लिया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सरकार की आंखों का पानी सूख चुका है और अब संवेदनशीलता नाम की कोई चीज शेष नहीं रह गई है।
वोट चोरी का मुद्दा भी उठाया
टीकाराम जूली ने न केवल श्रद्धांजलि मुद्दे पर सरकार को घेरा बल्कि वोट चोरी के आरोपों पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि देशभर में चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं और कांग्रेस लगातार चुनाव आयोग को इस मुद्दे पर कटघरे में खड़ा कर रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग अब भाजपा के एजेंट के रूप में काम कर रहा है और निष्पक्षता की मूल भावना को खो चुका है। लोकतंत्र की रक्षा के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में देशव्यापी आंदोलन चलाया जा रहा है और कांग्रेस पार्टी ने इस आंदोलन को राजस्थान विधानसभा में भी और मजबूती से उठाया है।
जूली ने कहा कि जिस प्रकार से वोट चोरी के आरोप सामने आ रहे हैं, उससे जनता का विश्वास लोकतांत्रिक व्यवस्था से उठ सकता है। उन्होंने दोहराया कि कांग्रेस पूरे देश के समर्थन के साथ इस संघर्ष को जारी रखेगी।
सदन के बाहर हुआ विरोध प्रदर्शन
मानसून सत्र के पहले दिन ही विपक्षी विधायकों ने सरकार को घेरने की रणनीति अपनाई। कांग्रेस विधायकों ने “वोट चोर” लिखी तख्तियां लेकर नारेबाजी की। यह प्रदर्शन सदन के बाहर जमकर हुआ और विपक्ष ने यह संदेश देने की कोशिश की कि सरकार और चुनाव आयोग दोनों ही जनता का विश्वास खो चुके हैं।
विपक्षी विधायकों ने कहा कि प्रदेश के बच्चों की मौत पर संवेदनहीनता और लोकतंत्र में पारदर्शिता पर सवाल खड़े होना यह दर्शाता है कि सरकार केवल सत्ता के मोह में डूबी हुई है और आमजन की भावनाओं की उसे कोई परवाह नहीं है।
सदन 3 सितंबर तक स्थगित
पहले दिन की कार्यवाही के दौरान दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि देने के बाद विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। विपक्ष ने हालांकि इस प्रक्रिया के साथ-साथ झालावाड़ हादसे के बच्चों को श्रद्धांजलि न दिए जाने को लेकर जोरदार विरोध किया।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सदन की कार्यवाही 3 सितंबर तक स्थगित करने की घोषणा की। इससे पहले सदन के बाहर विपक्ष ने नारेबाजी जारी रखी और अपने प्रदर्शन से सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास किया।