शोभना शर्मा। राजस्थान विधानसभा के मानसून सत्र में बुधवार को जोरदार हंगामा देखने को मिला। कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू होते ही माहौल गर्म हो गया, जब सदन में कोचिंग सेंटर (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक 2025 पर चर्चा शुरू हुई। उपमुख्यमंत्री एवं उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने यह बहुचर्चित विधेयक सदन की मेज पर रखा। लेकिन जैसे ही विधेयक पर बहस शुरू हुई, विपक्षी कांग्रेस और अन्य हितधारकों ने इसका कड़ा विरोध करना शुरू कर दिया।
विधेयक में क्या हैं प्रमुख बदलाव?
मार्च 2025 में पेश किए गए इस विधेयक को समीक्षा के लिए प्रवर समिति के पास भेजा गया था। समिति की रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने मसौदे में कई अहम बदलाव किए।
मूल विधेयक में 50 से अधिक छात्रों वाले कोचिंग सेंटरों को इसके दायरे में लाने का प्रस्ताव था। संशोधित संस्करण में इस सीमा को बढ़ाकर 100 से अधिक छात्रों वाले संस्थानों पर लागू किया गया है।
जुर्माने के प्रावधानों में भी संशोधन किया गया। अब पहली बार उल्लंघन करने पर 50,000 रुपये और दूसरी बार 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। अगर उल्लंघन फिर भी जारी रहा, तो संबंधित कोचिंग सेंटर का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है। जबकि मूल मसौदे में 2 लाख से 5 लाख रुपये तक के भारी जुर्माने का प्रावधान था।
विपक्ष का हमला और हंगामा
विपक्षी कांग्रेस ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए विधेयक को “कोचिंग माफिया के दबाव” में तैयार बताया। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि यह संशोधित विधेयक छात्रों की समस्याओं का समाधान नहीं करता, बल्कि कोचिंग संस्थानों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार यह कानून अदालत के दबाव में ला रही है और छात्रों के हितों की अनदेखी कर रही है। जूली ने यह भी सवाल उठाया कि जब राजस्थान में छात्रों की आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, तब यह विधेयक उन मूल समस्याओं पर क्यों चुप है।
भाजपा नेताओं की चिंताएं
भाजपा नेताओं ने पहले ही इस विधेयक के पुराने मसौदे पर अपनी चिंता जताई थी। पूर्व मंत्री अनीता भदेल और कालीचरण सराफ का कहना था कि अगर कड़े प्रावधान लागू किए जाते हैं, तो इससे राज्य में शिक्षा और रोजगार दोनों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने तर्क दिया कि कोटा जैसे शहरों में 60,000 करोड़ रुपये का कोचिंग उद्योग है, जो लाखों लोगों को रोजगार देता है। ऐसे में अत्यधिक सख्त कानून उद्योग को नुकसान पहुंचा सकता है।
आत्महत्याओं पर सवाल
आलोचकों का मानना है कि यह विधेयक छात्रों की आत्महत्या जैसे गंभीर मुद्दे पर ठोस उपाय नहीं करता। राजस्थान अभिभावक संघ के प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने इसे अव्यावहारिक बताते हुए कहा कि इस विधेयक में अभिभावकों और छात्रों के सुझावों को शामिल ही नहीं किया गया। उनका कहना है कि जब तक छात्रों पर पड़ने वाले मानसिक दबाव, परीक्षा पैटर्न और कोचिंग संस्कृति की वास्तविक समस्याओं को संबोधित नहीं किया जाएगा, तब तक केवल जुर्माने और पंजीकरण रद्द करने से स्थिति नहीं सुधरेगी।
सदन में स्पीकर की कड़ी टिप्पणी
विधानसभा में हंगामे के दौरान विपक्षी विधायकों ने बार-बार सरकार को घेरा और कार्यवाही में व्यवधान डाला। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “आप मेरी व्यवस्था को चैलेंज नहीं कर सकते।” स्पीकर की इस टिप्पणी के बाद भी विपक्ष का हंगामा थमा नहीं और सदन का माहौल लगातार गरमाता रहा।