मनीषा शर्मा। जयपुर समेत राजस्थान के अन्य शहरों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से निकलने वाले पानी का उपयोग अब एक नई दिशा में किया जाएगा। सरकार ने तय किया है कि इन प्लांट्स से निकलने वाले पानी को उद्योगों और अन्य कार्यों के लिए बेचकर राजस्व जुटाने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए जयपुर के प्रताप नगर के पास स्थित दहलावास एसटीपी प्लांट को अपग्रेड किया गया है। इसके साथ ही यहां 90 एमएलडी क्षमता का नया प्लांट भी लगाया गया है।
यह जानकारी नगरीय विकास और आवास (यूडीएच) मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने दहलावास प्लांट के लोकार्पण समारोह में दी। उन्होंने कहा कि सूरत और जामनगर जैसे शहरों में पहले से इस तरह की प्रक्रिया हो रही है, और अब राजस्थान में भी इसी मॉडल को अपनाने की शुरुआत हो रही है। एसटीपी से प्राप्त पानी का उपयोग उद्योगों, पार्कों की सिंचाई, मशीनों की सफाई, और अन्य जरूरतों के लिए किया जा सकता है।
दहलावास प्लांट में बड़ा बदलाव: अपग्रेडेशन और नई तकनीक
दहलावास में पहले से 62.5 एमएलडी क्षमता वाले दो प्लांट संचालित थे, जो एएसपी तकनीक पर आधारित थे। इन्हें अपग्रेड कर एसआरबी तकनीक पर संचालित किया गया है। यह अपग्रेडेशन इसलिए जरूरी था क्योंकि पुराने प्लांट राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के नियमों के अनुसार पूरी तरह से कार्य नहीं कर पा रहे थे। अपग्रेडेशन के बाद अब यहां से निकलने वाले पानी की गुणवत्ता पहले से बेहतर हो गई है।
इसके साथ ही, एक नया 90 एमएलडी क्षमता का प्लांट भी स्थापित किया गया है। अब इस प्लांट की कुल ट्रीटमेंट क्षमता 215 एमएलडी तक पहुंच गई है।
ऊर्जा उत्पादन की क्षमता
दहलावास प्लांट पर न केवल पानी की सफाई हो रही है, बल्कि यहां ऊर्जा उत्पादन के लिए बायोगैस और सौर ऊर्जा प्लांट भी लगाए जा रहे हैं। इनमें 1.2 और 1.5 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है। इस पहल से नगर निगम को ऊर्जा खर्च में कमी लाने में भी मदद मिलेगी।
प्लांट की जरूरत और क्षमता
जयपुर के मानसरोवर, मालवीय नगर, प्रताप नगर, सांगानेर और अन्य क्षेत्रों से प्रतिदिन लगभग 150 एमएलडी सीवरेज पानी दहलावास प्लांट पर पहुंचता है। पहले यहां 125 एमएलडी क्षमता के प्लांट ही मौजूद थे, जो इस बढ़ती मात्रा को संभालने में सक्षम नहीं थे। इस चुनौती को देखते हुए, सरकार ने नया प्लांट स्थापित करने की मंजूरी दी थी।
इंडस्ट्री में एसटीपी पानी का उपयोग
एसटीपी से निकलने वाले साफ पानी का उपयोग उद्योगों में व्यापक रूप से किया जा सकता है। दहलावास के पास स्थित सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र इस पानी का बड़ा उपभोक्ता बन सकता है। इसे मशीनों की सफाई, बागवानी, और अन्य औद्योगिक कार्यों में उपयोग किया जा सकता है। सांगानेर क्षेत्र में स्थित पेपर इंडस्ट्री और कपड़ा उद्योगों के लिए भी यह पानी उपयोगी साबित हो सकता है।
सरकार का दृष्टिकोण: रेवेन्यू बढ़ाने की पहल
सरकार की योजना है कि एसटीपी के पानी को बेचने के माध्यम से स्थानीय निकायों की आय का एक स्थायी स्रोत तैयार किया जाए। यूडीएच मंत्री ने बताया कि इस पहल से जहां एक ओर जल संसाधनों का कुशल उपयोग होगा, वहीं दूसरी ओर निकायों के राजस्व में भी वृद्धि होगी। यह मॉडल अन्य शहरों के लिए भी प्रेरणादायक साबित हो सकता है।
अन्य प्रमुख बातें
पार्कों में सिंचाई: एसटीपी का पानी पार्कों और सार्वजनिक स्थलों पर पौधों की सिंचाई के लिए उपयोगी हो सकता है।
पर्यावरण संरक्षण: एसटीपी का पानी रिसाइकिल कर उपयोग में लाने से जल प्रदूषण कम होगा और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
औद्योगिक क्षेत्रों में लाभ: सीतापुरा, सांगानेर, और अन्य क्षेत्रों में इसे बेचने से औद्योगिक इकाइयों को भी कम लागत पर पानी मिलेगा।