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UGC की नई पॉलिसी: डिग्री कोर्स अब 2 या 5 साल में पूरा

UGC की नई पॉलिसी: डिग्री कोर्स अब 2 या 5 साल में पूरा

मनीषा शर्मा।  भारतीय शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव करते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने छात्रों के लिए डिग्री कोर्स की अवधि को अधिक लचीला बनाने का निर्णय लिया है। अब हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स (HEIs) छात्रों को 3 या 4 साल के डिग्री प्रोग्राम को 2 साल में पूरा करने का अवसर देंगे। वहीं, छात्र चाहें तो अपनी डिग्री को 5 साल में भी पूरा कर सकते हैं। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत लिया गया है, जो शिक्षा को अधिक समावेशी और लचीला बनाने पर जोर देता है।

UGC का नया कदम: ADP और EDP पॉलिसी

UGC ने हाल ही में Accelerated Degree Program (ADP) और Extended Degree Program (EDP) के लिए Standard Operating Procedure (SOP) को मंजूरी दी है। यह SOP सुनिश्चित करेगा कि संस्थान छात्रों की शैक्षिक क्षमताओं के आधार पर उन्हें उपयुक्त डिग्री प्रोग्राम में प्रवेश दें।

ADP और EDP क्या हैं?

  • ADP (Accelerated Degree Program): यह उन छात्रों के लिए है जो अपनी पढ़ाई जल्दी पूरी करना चाहते हैं। इसके तहत छात्रों को हर सेमेस्टर में अधिक क्रेडिट लेने होंगे।
  • EDP (Extended Degree Program): यह उन छात्रों के लिए है जो अपनी पढ़ाई को लंबा खींचना चाहते हैं, ताकि वे अपनी क्षमताओं के अनुसार विषयों को बेहतर ढंग से समझ सकें।

SOP के अनुसार कैसे होगा चयन?

SOP के मुताबिक, हर संस्थान एक कमेटी बनाएगा, जो पहले और दूसरे सेमेस्टर के अंत में छात्रों की एप्लीकेशन का आकलन करेगा।

  • ADP के लिए:
    • छात्रों को दूसरे सेमेस्टर के अंत तक आवेदन करना होगा।
    • अगले सेमेस्टर में अधिक विषय जोड़ने होंगे।
    • छात्रों की प्रगति के आधार पर कमेटी उन्हें ADP के लिए उपयुक्त मान सकती है।
  • EDP के लिए:
    • छात्रों को हर सेमेस्टर में न्यूनतम क्रेडिट पूरे करने होंगे।
    • उनकी व्यक्तिगत परिस्थिति के आधार पर उन्हें अतिरिक्त समय दिया जा सकता है।

डिग्री पर होगा अवधि का उल्लेख

हालांकि, डिग्री कोर्स की अवधि चाहे जितनी भी हो, उसके अंत में प्राप्त डिग्री पर इस अवधि का उल्लेख किया जाएगा। लेकिन यह डिग्री शैक्षिक या रोजगार के अवसरों में सामान्य डिग्री के समान मान्य होगी।

छात्रों को मिलेगा ब्रेक लेने का विकल्प

UGC की इस नई पॉलिसी में छात्रों को डिग्री के बीच ब्रेक लेने का भी विकल्प मिलेगा। उदाहरण के लिए, अगर किसी छात्र को किसी कारण से पढ़ाई रोकनी पड़े, तो वह भविष्य में कोर्स को वहीं से शुरू कर सकता है, जहां उसने छोड़ा था। यह प्रावधान छात्रों के करियर और व्यक्तिगत जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

IIT मद्रास के सुझाव से प्रेरणा

IIT मद्रास के डायरेक्टर वी. कामाकोटी ने उच्च शिक्षा प्रणाली में अधिक लचीलापन लाने की आवश्यकता पर बल दिया था। उनका कहना था कि शिक्षण संस्थानों को छात्रों के लिए ऐसा वातावरण बनाना चाहिए, जहां वे अपनी क्षमताओं और जरूरतों के अनुसार शिक्षा पूरी कर सकें।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का प्रभाव

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) का मुख्य उद्देश्य शिक्षा को अधिक समावेशी और परिणामोन्मुखी बनाना है। UGC द्वारा पेश की गई यह नई पॉलिसी NEP के लक्ष्यों के अनुरूप है। यह न केवल छात्रों को बेहतर विकल्प प्रदान करती है, बल्कि उच्च शिक्षा को अधिक लचीला और व्यवहारिक बनाती है।

लचीलापन और विकल्पों के लाभ

UGC की इस नई पॉलिसी से छात्रों को कई फायदे होंगे:

  1. व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार पढ़ाई: अब छात्र अपनी व्यक्तिगत परिस्थितियों के अनुसार पढ़ाई कर सकेंगे।
  2. समय की बचत: तेज गति से पढ़ाई करने वाले छात्र जल्दी डिग्री पूरी कर सकते हैं।
  3. अतिरिक्त समय का प्रावधान: जिन छात्रों को अधिक समय की आवश्यकता है, वे इसे अपने अनुसार बढ़ा सकते हैं।
  4. पेशेवर विकास: यह पॉलिसी छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ अन्य कौशल विकसित करने का मौका भी देगी।

UGC चेयरमैन का दृष्टिकोण

UGC चेयरमैन एम. जगदीश कुमार ने कहा कि यह पॉलिसी छात्रों को क्रिटिकल थिंकिंग और स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम बनाएगी। उन्होंने कहा, “हम छात्रों को सिर्फ डिग्री प्राप्तकर्ता नहीं, बल्कि देश के विकास में योगदान देने वाले नागरिक बनाना चाहते हैं।”

आलोचना और चुनौतियां

हालांकि यह पॉलिसी क्रांतिकारी मानी जा रही है, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियां भी जुड़ी हैं:

  1. सिस्टम का समायोजन: शिक्षण संस्थानों को अपने सिस्टम को नई पॉलिसी के अनुसार समायोजित करना होगा।
  2. एप्लीकेशन प्रोसेस: छात्रों की क्षमता का सही आकलन करना एक चुनौती होगी।
  3. लंबी अवधि के छात्रों का प्रदर्शन: लंबे समय तक पढ़ाई करने वाले छात्रों को बनाए रखना शिक्षण संस्थानों के लिए मुश्किल हो सकता है।

UGC की यह नई पॉलिसी भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा बदलाव लेकर आई है। यह छात्रों को अपनी शैक्षिक यात्रा को अपनी आवश्यकताओं और रुचियों के अनुसार डिजाइन करने का अवसर प्रदान करती है। यह कदम न केवल शिक्षा को अधिक समावेशी बनाएगा, बल्कि भविष्य में देश के लिए बेहतर शिक्षित और सक्षम नागरिक तैयार करने में मदद करेगा।

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