शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर बयानबाजी तेज हो गई है। सोमवार को नगरीय विकास और आवास (UDH) मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के एक बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने डोटासरा को “किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाने” की सलाह देते हुए उनके बयानों को “दंभ से भरे” करार दिया।
मंत्री खर्रा ने कहा कि, “इतिहास साक्षी है कि अहंकार न तो रावण का रहा, न कंस का। आज जो नेता संविधान की दुहाई दे रहे हैं, वे भूल जाते हैं कि आज़ाद भारत का पहला संविधान संशोधन कांग्रेस ने सिर्फ प्रेस की आजादी पर रोक लगाने के लिए किया था।”
कांग्रेस पर तुष्टिकरण और संविधान के दुरुपयोग का आरोप
झाबर सिंह खर्रा ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि, “कांग्रेस ने ना सिर्फ प्रेस की स्वतंत्रता को कुचला, बल्कि संविधान को अपने राजनीतिक लाभ के लिए बार-बार तोड़ा-मरोड़ा। आज वही नेता संविधान की आड़ लेकर राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं।” उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “अब कांग्रेस उस कहावत को चरितार्थ कर रही है – ‘सौ-सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली।’ कांग्रेस शासन के दौरान जयपुर, कोटा और जोधपुर जैसे शहरों को विभाजित कर वोटबैंक की राजनीति की गई। वहीं भजनलाल शर्मा सरकार ने जनभावनाओं और जनसंख्या के आधार पर एक-एक निकाय के रूप में चुनाव कराने का निर्णय लिया है।”
वार्ड सीमांकन जुलाई तक होगा पूरा
मंत्री खर्रा ने बताया कि नगरीय क्षेत्रों के वार्डों का सीमांकन जुलाई तक पूरा कर लिया जाएगा, जिसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग मतदाता सूचियों का कार्य प्रारंभ करेगा और चुनाव की प्रक्रिया पूरी करेगा। उन्होंने कहा, “विभागीय मामलों पर विभाग का मंत्री बोलेगा, इसमें डोटासरा की टिप्पणी अनावश्यक है। जब सीमांकन विभाग स्तर का कार्य है, तो बयानबाजी के लिए डोटासरा क्यों सामने आ रहे हैं?”
2028 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा
UDH मंत्री ने 2028 के विधानसभा चुनावों को लेकर भी आत्मविश्वास जताया। उन्होंने कहा, “हम पूरी तरह आश्वस्त हैं कि 2028 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में हम पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे। हम जन अपेक्षाओं के अनुरूप कार्य कर रहे हैं और जनता का भरोसा हमारे साथ है।”
गहलोत-पायलट विवाद को लेकर डोटासरा पर सवाल
खर्रा ने सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच पुरानी तनातनी को लेकर भी डोटासरा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि डोटासरा को स्पष्ट करना चाहिए कि गहलोत सही थे जब उन्होंने पायलट को ‘नाकारा और निकम्मा’ कहा था या आज वे सही हैं जब पायलट को मजबूत नेता बता रहे हैं। उन्होंने कहा, “ये दोनों बातें एक साथ सही नहीं हो सकतीं। डोटासरा को तय करना चाहिए कि वे अपने गुरु जी की बातों से सहमत हैं या नहीं।”