मनीषा शर्मा। उदयपुर के बालीचा क्षेत्र में शहरी विकास प्राधिकरण (UDA) द्वारा एक ही दिन में करीब 70 मकानों को ध्वस्त किए जाने के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। यह कार्रवाई रविवार को की गई, जिसके बाद कई प्रभावित परिवार बेघर हो गए। सोमवार को इस मुद्दे पर भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) के सांसद राजकुमार रोत ने उदयपुर पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और प्रशासनिक कार्रवाई पर तीखा विरोध जताया।
राजकुमार रोत ने मौके पर जाकर हालात का जायजा लिया और पीड़ितों से बातचीत के बाद कहा कि “UDA की यह कार्रवाई अमानवीय है। बिना किसी पूर्व नोटिस या वैकल्पिक व्यवस्था के सैकड़ों लोगों के घर तोड़ दिए गए। यह संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।”
कलेक्ट्रेट पहुंचकर दिया ज्ञापन, की नारेबाजी
सांसद रोत ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ उदयपुर जिला कलेक्ट्रेट पहुंचकर ADM को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान BAP कार्यकर्ताओं ने यूडीए प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की और कार्रवाई को “अन्यायपूर्ण” बताया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि UDA ने जिन घरों को गिराया, वे लंबे समय से वहां बने हुए थे और अधिकतर परिवार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आते हैं।
राजकुमार रोत ने कहा कि कई प्रभावित परिवार सरकारी योजनाओं के तहत जल और बिजली कनेक्शन प्राप्त कर चुके थे। कुछ घरों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने शौचालय भी थे। ऐसे में प्रशासन का यह कहना कि यह निर्माण अवैध था, पूरी तरह अनुचित है।
“भूमाफियाओं और अधिकारियों की मिलीभगत से बेची गई जमीन”
सांसद रोत ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इस पूरी कार्रवाई के पीछे भूमाफियाओं और कुछ अधिकारियों की मिलीभगत है। उन्होंने कहा कि बालीचा क्षेत्र में कई वर्षों पहले भूमाफियाओं ने गरीब और निम्नवर्गीय परिवारों को जमीनें बेची थीं, जिन पर लोगों ने मेहनत से अपने घर बनाए थे।
उन्होंने कहा कि “UDA ने जिन घरों को एक ही दिन में तोड़ा, वे रातोंरात बने हुए नहीं थे। यह साफ है कि प्रशासन ने बिना जांच किए कार्रवाई की और गरीबों को सड़क पर ला दिया।”
प्रभावितों के लिए राहत और मुआवजे की मांग
राजकुमार रोत ने प्रशासन से मांग की कि प्रभावित परिवारों के लिए तुरंत राहत शिविर और अस्थायी आवास की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि जिन परिवारों के घर ध्वस्त हुए हैं, उन्हें मुआवजा दिया जाए और उनकी पुनर्वास योजना तैयार की जाए।
सांसद ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह मामला कानूनी स्तर पर और जनआंदोलन के माध्यम से आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि “यह सिर्फ बालीचा के लोगों का नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के गरीबों का मुद्दा है। जब तक पीड़ितों को न्याय नहीं मिलता, हमारी पार्टी चुप नहीं बैठेगी।”
कांग्रेस भी पहले कर चुकी है विरोध
गौरतलब है कि इससे पहले कांग्रेस नेताओं ने भी यूडीए की इस कार्रवाई का विरोध किया था। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि प्रशासन ने गरीबों के घरों पर बुलडोजर चलाकर अन्याय किया है, जबकि भूमाफिया और प्रभावशाली लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती।


