शोभना शर्मा। जयपुर के वाणिज्यिक न्यायालय क्रम-1 ने राजस्थान के दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों — प्रवीण गुप्ता (PWD ACS) और भास्कर ए सावंत (PHED ACS) को तीन-तीन माह की सिविल कारावास की सजा सुनाई है। यह सजा ठेकेदारों को भुगतान न करने और अदालती आदेशों की अवहेलना करने के कारण दी गई है। दोनों अधिकारियों ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है, और अब सोमवार को इस पर सुनवाई होगी।
PWD के ACS प्रवीण गुप्ता का मामला — सड़क निर्माण विवाद
प्रवीण गुप्ता, जो कि सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) हैं, को सिविल कारावास की सजा एक सड़क निर्माण प्रोजेक्ट के भुगतान विवाद के चलते दी गई।
मामले की पृष्ठभूमि:
नागौर-मुकुंदगढ़ हाईवे प्राइवेट लिमिटेड ने वर्ष 2020-21 में सड़क निर्माण कार्य पूरा किया।
अनुबंध के अनुसार, समय से पहले निर्माण पूरा होने पर कंपनी को बोनस मिलना था, लेकिन भुगतान नहीं हुआ।
ठेकेदार ने आर्बिट्रेटर के पास मामला दर्ज कराया, और वहां से फैसला ठेकेदार के पक्ष में आया।
मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया लेकिन PWD को राहत नहीं मिली।
अदालती आदेश और सजा:
अदालत ने PWD की संपत्तियों की सूची मांगी ताकि कुर्की की प्रक्रिया कर बकाया राशि का भुगतान कराया जा सके।
प्रवीण गुप्ता को शपथ पत्र प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया, जो उन्होंने पेश नहीं किया।
इसके बाद, वाणिज्यिक न्यायालय क्रम-1 ने प्रवीण गुप्ता को तीन महीने की सिविल कारावास की सजा सुनाई।
PHED के ACS भास्कर ए सावंत का मामला — पाइपलाइन प्रोजेक्ट विवाद
भास्कर ए सावंत, जो कि जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHED) के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) हैं, को सजा एक पाइपलाइन प्रोजेक्ट के भुगतान में लापरवाही के कारण दी गई।
मामले की पृष्ठभूमि:
पाइपलाइन प्रोजेक्ट के अंतर्गत एल एंड टी कंपनी को 31 करोड़ रुपये का भुगतान करना था।
आर्बिट्रेटर ने फैसला एल एंड टी कंपनी के पक्ष में सुनाया और भुगतान करने का आदेश दिया।
मामला अदालत तक पहुंचा, लेकिन सावंत द्वारा लगातार शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया।
अदालती आदेश और सजा:
अदालत ने मामले को अदालती आदेश की अवहेलना मानते हुए भास्कर ए सावंत को तीन महीने की सिविल कारावास की सजा सुनाई।
हाईकोर्ट में चुनौती और आगे की सुनवाई
दोनों अधिकारियों ने इस फैसले को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी है, और इस मामले की सुनवाई अब सोमवार को होनी है। इस घटना ने राज्य प्रशासनिक तंत्र में हड़कंप मचा दिया है और उच्च पदस्थ अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं।