शोभना शर्मा। राजस्थान के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण सामने आया है, जहां राज्य के दो प्रमुख सांसदों—भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य मदन राठौड़ तथा पाली से लोकसभा सांसद पीपी चौधरी को संसद रत्न पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया जाएगा। संसद में उनके उल्लेखनीय कार्य, उपस्थिति और जनहित से जुड़े मुद्दों को मजबूती से उठाने के लिए यह सम्मान प्रदान किया जाएगा।
17 सांसदों का हुआ चयन, 2 स्थायी समितियां भी सम्मानित
प्राइम पॉइंट फाउंडेशन द्वारा घोषित संसद रत्न पुरस्कारों के अंतर्गत देशभर से कुल 17 सांसदों और 2 संसदीय स्थायी समितियों का चयन किया गया है। इन सभी का चयन संसद में प्रदर्शन, उपस्थिति, बहस में भागीदारी, प्रश्नों की संख्या, और प्रस्तुत निजी विधेयकों के आधार पर किया गया है।
इस चयन प्रक्रिया की अध्यक्षता राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज गंगाराम अहीर ने की। चयन समिति में पूर्व पुरस्कार विजेता सांसद, संसदीय विशेषज्ञ और नागरिक समाज के प्रतिनिधि शामिल थे।
मदन राठौड़ और पीपी चौधरी का प्रभावशाली प्रदर्शन
मदन राठौड़, जो वर्तमान में राज्यसभा सदस्य हैं, ने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी की ओर से संगठनात्मक जिम्मेदारी संभालते हुए राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई है। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं और लंबे समय से संगठन में कार्यरत हैं।
राठौड़ मूलतः ओबीसी वर्ग की घांची जाति से हैं और जनसंघ काल से लेकर भाजपा की वर्तमान यात्रा तक विभिन्न नेतृत्वकर्ताओं के साथ कार्य कर चुके हैं। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में सुमेरपुर से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की तैयारी की थी, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तिगत हस्तक्षेप पर उन्होंने पार्टी में बने रहने का निर्णय लिया। इसके बाद उन्हें राज्यसभा भेजा गया।
वहीं, पाली से लोकसभा सांसद पीपी चौधरी लंबे समय से संसद में सक्रिय हैं। वे कई महत्वपूर्ण विषयों पर प्रभावशाली रूप से अपनी बात रखते आए हैं। विधायी कार्यों में उनकी भागीदारी, प्रश्न पूछने की संख्या और बहसों में उपस्थिति ने उन्हें इस पुरस्कार का पात्र बनाया।
पुरस्कार जुलाई 2025 में नई दिल्ली में होगा प्रदान
यह पुरस्कार जुलाई 2025 के अंतिम सप्ताह में नई दिल्ली में आयोजित होने वाले एक विशेष समारोह में प्रदान किया जाएगा। यह आयोजन भारतीय लोकतंत्र में उत्कृष्ट सांसदों के योगदान को मान्यता देने और अन्य सांसदों को प्रेरित करने के उद्देश्य से किया जाता है।
संसद रत्न पुरस्कार की पृष्ठभूमि
संसद रत्न पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 2010 में प्राइम पॉइंट फाउंडेशन और इसकी ई-मैग्जीन ‘प्रीसेंस’ द्वारा की गई थी। इसका उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने चेन्नई में किया था।
यह पुरस्कार पूरी तरह से सांसदों के संसदीय प्रदर्शन पर आधारित होता है। इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय, तथा PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च के आधिकारिक आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है। चयन मापदंडों में शामिल हैं:
संसद में भागीदारी
पूछे गए प्रश्नों की संख्या
निजी विधेयकों की प्रस्तुति
बहसों में भागीदारी
अब तक इस पुरस्कार समारोह के 14 संस्करणों में कुल 125 सांसदों को सम्मानित किया जा चुका है।
राजस्थान के लिए विशेष सम्मान
राजस्थान के दो सांसदों का चयन इस पुरस्कार के लिए होना, राज्य के राजनीतिक नेतृत्व की सक्रियता और जागरूकता को दर्शाता है। इससे राज्य के अन्य सांसदों को भी संसदीय कार्यों में अधिक सक्रिय भागीदारी की प्रेरणा मिलेगी।