मनीषा शर्मा। राजस्थान सरकार ने प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने और व्यवसायिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। राजस्थान टूरिज्म यूनिट पॉलिसी 2024 के अंतर्गत अब होटल, रिसॉर्ट, कैंपिंग साइट्स, थीम पार्क, इको टूरिज्म यूनिट्स, ग्रामीण पर्यटन परियोजनाएं और स्मारकों को फायर एनओसी (NOC) तीन वर्षों के लिए दी जाएगी। इससे पहले यह एनओसी केवल एक साल के लिए मान्य होती थी।
यह निर्णय विशेष रूप से उन लोगों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जो प्रदेश में पर्यटन से जुड़े व्यवसायों का संचालन करते हैं। अब उन्हें हर साल फायर एनओसी के नवीनीकरण के लिए बार-बार आवेदन नहीं करना होगा।
पुराना आदेश किया गया संशोधित
स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक इन्द्रजीत सिंह द्वारा इस संबंध में नया आदेश जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की शक्तियों का प्रयोग करते हुए पूर्व में जारी समस्त आदेशों को संशोधित किया गया है। इस संशोधन के तहत फायर सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखते हुए फायर एनओसी की वैधता अवधि को एक साल से बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह निर्णय राजस्थान टूरिज्म यूनिट पॉलिसी 2024 के तहत लिया गया है। इस नीति का उद्देश्य प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में निवेश और विकास को प्रोत्साहित करना है। इस बदलाव से पर्यटन व्यवसायियों को प्रशासनिक प्रक्रियाओं में राहत मिलेगी और अनावश्यक देरी से छुटकारा मिलेगा।
फायर एनओसी के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया पहले से लागू
गौरतलब है कि राज्य सरकार पहले ही फायर एनओसी की प्रक्रिया को डिजिटल बना चुकी है। प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में अब ऑफलाइन आवेदन की जगह ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था कर दी गई है। इससे आवेदकों को नगर निगम या पालिका कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ते और वे घर बैठे ही आवेदन प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं।
इस डिजिटल सुविधा के लिए सरकार ने “Raj NOC” नामक मोबाइल एप्लिकेशन भी लॉन्च की थी। इस एप के माध्यम से आवेदक अपनी पूरी फायर एनओसी प्रक्रिया को मोबाइल पर ही ट्रैक कर सकते हैं। इस तकनीकी पहल से पारदर्शिता बढ़ी है और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद मिली है।
पर्यटन क्षेत्र को मिलेगा बड़ा फायदा
टूरिज्म सेक्टर से जुड़े कारोबारियों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। होटल, रिसॉर्ट, कैंपिंग साइट और थीम पार्क जैसी यूनिट्स को अब हर साल एनओसी के लिए फॉर्म भरने, निरीक्षण कराने और बार-बार फीस जमा करने जैसी प्रक्रियाओं से राहत मिलेगी। इससे उनके समय, संसाधनों और धन की बचत होगी।