शोभना शर्मा। राजस्थान के टोंक जिले के समरावता गांव में मतदान के दौरान और उसके बाद हुई हिंसा ने राजनीतिक और सामाजिक माहौल को गरमा दिया है। कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने समरावता पहुंचकर ग्रामीणों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को सुना। उन्होंने इस घटना को सरकार और प्रशासन की विफलता करार दिया और पुलिस की कार्रवाई की तुलना फिरंगियों के अत्याचार से की।
समरावता में मतदान के दिन का घटनाक्रम
13 नवंबर को राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान टोंक जिले के समरावता गांव में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा और प्रशासन के बीच तनाव बढ़ गया। इस दौरान नरेश मीणा ने एसडीएम अमित कुमार चौधरी को थप्पड़ मार दिया। इस घटना के बाद रात में पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार करने के लिए कार्रवाई की, जिसके परिणामस्वरूप गांव में हिंसा और आगजनी हुई। पुलिस और ग्रामीणों के बीच टकराव इतना बढ़ गया कि पुलिस गाड़ियों को जला दिया गया और जगह-जगह पथराव हुआ। 14 नवंबर को नरेश मीणा की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों ने विरोध में हाईवे जाम कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम ने प्रशासन और ग्रामीणों के बीच गहरी दरार पैदा कर दी।
प्रहलाद गुंजल का दौरा और बयान
कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल ने हिंसा के बाद समरावता गांव का दौरा किया और पीड़ितों से बातचीत की। उन्होंने ग्रामीणों के साथ हुए अन्याय और पुलिस की बर्बरता की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा:
“जो कुछ भी यहां हुआ, वह सरकार और पुलिस की नाकामी का नतीजा है। पुलिस ने जिस तरह घरों में घुसकर महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार किया, वह अंग्रेजों के जमाने की याद दिलाता है।”
उन्होंने गांव की महिलाओं और बुजुर्गों के दर्द को साझा करते हुए कहा कि यह घटना न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है बल्कि प्रशासन के ऊपर से जनता का विश्वास भी हटा रही है।
“50 लाख का मुआवजा अपमानजनक है”
गुंजल ने सरकार द्वारा ग्रामीणों को मुआवजे के तौर पर 50 लाख रुपये देने की पेशकश को खारिज करते हुए इसे अपमानजनक करार दिया। उन्होंने कहा:
“क्या सरकार को लगता है कि 50 लाख रुपये से गांव की बहन-बेटियों के साथ हुए अत्याचार का मुआवजा दिया जा सकता है? यह किसी का अपमान है।”
उन्होंने आगे कहा कि अगर सरकार को पैसा ही चाहिए, तो वह चंदा करके 50 लाख रुपये देने को तैयार हैं, लेकिन सरकार को अपने मंत्रियों और अधिकारियों के साथ वही व्यवहार सहना होगा जो समरावता के लोगों ने सहा।
ग्रामीणों की पीड़ा
गुंजल ने समरावता में महिलाओं और ग्रामीणों की समस्याओं को सुनते हुए कहा कि हिंसा और आगजनी के बाद गांव में आज भी डर और आक्रोश का माहौल है।
“एक महिला ने बताया कि पुलिस घर में घुसकर उनके बेटों को उठा ले गई। 15 दिनों से वह अपने बेटों का चेहरा तक नहीं देख पाई।”
महिलाओं ने गुंजल को अपनी टूटी हुई चूड़ियां और बर्बाद किए गए घर दिखाए। ग्रामीणों ने कहा कि पुलिस ने घरों में घुसकर मारपीट की, सामान तोड़ डाला और निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
पंचायत और न्याय की मांग
प्रहलाद गुंजल ने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि वह उनके लिए न्याय सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के नेताओं से बातचीत कर पंच-पटेलों की महापंचायत बुलाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा:“हम प्रदेश अध्यक्ष से बात करेंगे और लोगों को न्याय दिलाने के लिए जो भी कदम उठाने होंगे, वह उठाएंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को तुरंत इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए और निर्दोष लोगों को रिहा करना चाहिए।
“पुलिस बर्बरता के निशान आज भी जिंदा हैं”
गुंजल ने गांव में जली हुई गाड़ियां, टूटा हुआ सामान, और ग्रामीणों की टूटी हड्डियों का जिक्र करते हुए कहा कि पुलिस की बर्बरता के निशान आज भी समरावता में साफ दिखते हैं।
उन्होंने कहा:“यह वही पुलिस है जो फिरंगियों के राज में गांवों पर अत्याचार करती थी। आज यह भाजपा सरकार के इशारे पर वही काम कर रही है।”
समरावता में आगे की रणनीति
प्रहलाद गुंजल ने कहा कि वह इस मामले को लेकर प्रदेश स्तर पर आवाज उठाएंगे और जरूरत पड़ी तो इस मुद्दे को विधानसभा में भी ले जाएंगे। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अगर सरकार न्याय नहीं करती, तो वह इसके खिलाफ बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।