शोभना शर्मा। इस वर्ष का आखिरी चंद्रग्रहण 7 सितंबर 2025 को पड़ने जा रहा है। यह खगोलीय घटना भारत सहित कई देशों में दिखाई देगी। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, चंद्रग्रहण का धार्मिक महत्व भी होता है और इसका प्रभाव मंदिरों की दिनचर्या से लेकर भक्तों के दर्शन समय तक पड़ता है। यही कारण है कि राजस्थान के कई प्रमुख मंदिरों में इस अवसर पर दर्शन समय में बदलाव किया गया है।
कब लगेगा चंद्रग्रहण?
पंचांग के अनुसार, यह चंद्रग्रहण 7 सितंबर रविवार की रात 9:57 बजे शुरू होगा और 8 सितंबर सोमवार की रात 1:27 बजे तक प्रभावी रहेगा। ग्रहण का कुल समय लगभग 3 घंटे 30 मिनट का होगा। इस दौरान सूतक काल का पालन करना अनिवार्य माना जाता है। सूतक काल ग्रहण शुरू होने से लगभग 9 घंटे पहले लगता है। इस हिसाब से 7 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से सूतक काल आरंभ होगा, जो ग्रहण समाप्ति तक जारी रहेगा।
क्यों बंद रहते हैं मंदिर?
धार्मिक शास्त्रों में उल्लेख है कि ग्रहण काल के दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। इस कारण पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान वर्जित माने जाते हैं। मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं ताकि पवित्रता बनी रहे। ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिरों में विशेष शुद्धिकरण और सफाई की जाती है और उसके बाद ही श्रद्धालुओं के लिए पट खोले जाते हैं।
सालासर बालाजी मंदिर (चूरू)
हनुमानजी के विश्वप्रसिद्ध सालासर बालाजी मंदिर में 7 सितंबर को दोपहर 12:50 बजे से ही पट बंद कर दिए जाएंगे। इसके बाद किसी भी श्रद्धालु को मंदिर परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। मंदिर प्रशासन ने बताया कि 8 सितंबर को सुबह 6:30 बजे मंगला आरती के बाद श्रद्धालुओं के लिए पट खोले जाएंगे।
श्री सांवलिया जी मंदिर (चित्तौड़गढ़)
चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित श्री सांवलिया जी मंदिर में भी यही व्यवस्था लागू होगी। यहां 7 सितंबर को दोपहर 12 बजे तक ही भक्तों को दर्शन की अनुमति होगी। इसके बाद मंदिर बंद रहेगा। अगले दिन 8 सितंबर को सुबह मंगला आरती के साथ मंदिर फिर से खुल जाएगा।
खाटू श्याम जी मंदिर (सीकर)
खाटू श्याम जी मंदिर में पहले से ही विशेष व्यवस्था लागू है। यहां 6 सितंबर की रात 10 बजे से पट बंद कर दिए गए हैं। 7 सितंबर को चंद्रग्रहण और 8 सितंबर को बाबा श्याम का तिलक उत्सव होने के कारण मंदिर के पट 8 सितंबर की शाम 5 बजे तक बंद रहेंगे। इसका मतलब है कि श्रद्धालुओं को लगातार दो दिन तक बाबा श्याम के दर्शन का अवसर नहीं मिलेगा।
गोविंद देव जी मंदिर (जयपुर)
राजधानी जयपुर में स्थित गोविंद देव जी मंदिर में इस बार अलग व्यवस्था की गई है। यहां ग्रहण के समय पट बंद नहीं होंगे, बल्कि विशेष दर्शन की व्यवस्था की गई है। 7 सितंबर की रात 9:50 बजे से 1:30 बजे तक (8 सितंबर) ठाकुर जी के दर्शन किए जा सकेंगे। हालांकि, श्रद्धालुओं को ग्रहण शुरू होने से पहले ही मंदिर में प्रवेश करना होगा। ग्रहण काल में परिक्रमा बंद रहेगी और भक्त केवल ग्रहण समाप्त होने के बाद ही बाहर निकल सकेंगे।
ज्योतिषीय मान्यता और सावधानियां
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, चंद्रग्रहण का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूपों में पड़ सकता है। सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। भोजन पकाना, ग्रहण के दौरान सोना, और शुभ कार्य करना निषिद्ध माना जाता है। ग्रहण के दौरान मंत्र जाप और ध्यान करना शुभ माना जाता है।