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विधानसभा में जासूसी कैमरों पर टीकाराम जूली बोले- सील कर जांच हो

विधानसभा में जासूसी कैमरों पर टीकाराम जूली बोले- सील कर जांच हो

शोभना शर्मा। राजस्थान विधानसभा में लगे जासूसी कैमरों को लेकर उठा विवाद लगातार गहराता जा रहा है। विपक्ष की ओर से लगाए गए आरोप अब सीधे राज्यपाल तक पहुंच गए हैं। गुरुवार को नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली कांग्रेस विधायकों के साथ राज्यपाल हरिभाऊ बागडे से मिले और पूरे मामले की जांच की मांग की।

जूली की मांग – विधानसभा सील कर जांच हो

राज्यपाल से मुलाकात के बाद टीकाराम जूली ने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है और लोकतंत्र के लिए खतरे का संकेत देता है। उन्होंने मांग की कि तुरंत विधानसभा को सील किया जाए, ताकि कैमरों से छेड़छाड़ न हो सके और उनकी अदला-बदली न की जा सके। जूली ने कहा कि एक जॉइंट कमेटी बनाई जाए, जिसमें सभी दलों के विधायक शामिल हों। साथ ही इसमें हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को भी जोड़ा जाए ताकि जांच निष्पक्ष हो सके।

उनका आरोप है कि रिकॉर्डिंग का एक्सेस दूसरी जगह भी जा सकता है, इसलिए सीलिंग जरूरी है। राज्यपाल ने उन्हें भरोसा दिलाया कि इस मामले की जांच करवाई जाएगी और यह देखा जाएगा कि कैमरे कैसे लगाए गए, किस कंपनी को टेंडर दिया गया और इनका एक्सेस किसके पास है।

“स्पीकर के रेस्ट रूम में कैमरों का सिस्टम”

टीकाराम जूली ने सबसे गंभीर आरोप यह लगाया कि विधानसभा में लगे दो स्पाई कैमरों का एक्सेस किसी और के पास नहीं, बल्कि सीधे विधानसभा स्पीकर के पास है। उन्होंने दावा किया कि इनका पूरा सिस्टम स्पीकर के रेस्ट रूम में स्थापित किया गया है।

जूली ने कहा, “हमारी गोपनीय बैठकों और रणनीतियों की जानकारी पहले से बाहर चली जाती है। इसका कारण यही कैमरे हैं। सदन में जब हमने 15 मिनट की कार्यवाही स्थगित करने की मांग की थी, तब भी हम यह साबित करने को तैयार थे कि नेटवर्क कहां से चल रहा है। अगर सत्ता पक्ष के पास हिम्मत होती, तो उसी दिन जनता के सामने यह दिखा देते कि विपक्ष झूठ बोल रहा है। लेकिन वे खुद गलती करके बैठे हैं।”

18.46 लाख में खरीदे गए जासूसी कैमरे

नेता प्रतिपक्ष ने एक और बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि विधानसभा में लगाए गए दो स्पाई कैमरे महज तकनीकी उपकरण नहीं, बल्कि ऑडियो रिकॉर्डिंग वाले कैमरे हैं। उन्होंने कहा कि पीडब्ल्यूडी ने इनका टेंडर जारी किया था और 18 लाख 46 हजार रुपये में इनकी खरीद हुई।

जूली के अनुसार, टेंडर डॉक्यूमेंट में साफ लिखा गया है कि ये कैमरे ऑडियो रिकॉर्डिंग की क्षमता वाले हैं। इसके अलावा विधानसभा के अन्य कैमरे करीब 1.09 करोड़ रुपये में बदले गए हैं।

सत्ता पक्ष की सफाई

इससे पहले विधानसभा स्पीकर और सरकारी मुख्य सचेतक ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि विपक्ष की तरफ लगाए गए कैमरों से किसी भी तरह की ऑडियो रिकॉर्डिंग नहीं होती। उनका कहना था कि ये सिर्फ विजुअल कवरेज के लिए लगाए गए हैं।

लेकिन जूली के नए खुलासे ने इस विवाद को और गहरा दिया है। उन्होंने कहा कि अगर टेंडर डॉक्यूमेंट में साफ तौर पर ऑडियो रिकॉर्डिंग वाले कैमरे लिखे गए हैं, तो सत्ता पक्ष को झूठ बोलने का कोई अधिकार नहीं है।

विपक्ष का हमला तेज

कांग्रेस का आरोप है कि सत्ता पक्ष इन कैमरों के जरिए विपक्ष की गतिविधियों और रणनीतियों पर नजर रख रहा है। उनका कहना है कि यह लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है और गोपनीयता का खुला उल्लंघन है।

जूली ने कहा, “हमारी रणनीति, हमारे निर्णय पहले से सत्ता पक्ष को पता चल जाते हैं। यह स्पष्ट करता है कि लोकतंत्र की जासूसी की जा रही है। अब हमारी मांग है कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, विधानसभा को सील किया जाए और पूरे मामले की पारदर्शी जांच कराई जाए।”

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