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गंगानगर-हनुमानगढ़ के नहरी किसान पानी को तरस रहे: टीकाराम जूली

गंगानगर-हनुमानगढ़ के नहरी किसान पानी को तरस रहे: टीकाराम जूली

शोभना शर्मा । राजस्थान के नहरी क्षेत्रों में सिंचाई पानी की गहरी किल्लत ने राज्य की सियासत को गर्मा दिया है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस मुद्दे पर सरकार और खासकर मुख्यमंत्री पर सीधे निशाने साधते हुए आरोप लगाया है कि श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों के किसान खरीफ की बुवाई नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि उन्हें नहरों से पानी ही नहीं मिल रहा। जूली ने कहा कि मुख्यमंत्री ने किसानों से जो वादे किए थे, वे केवल भाषणों तक ही सीमित रह गए हैं।

“अन्नदाता के साथ अन्याय हो रहा है”

टीकाराम जूली ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि गंगनहर, आईजीएनपी और भाखड़ा नहर जैसी राजस्थान की प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं से पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है। श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जैसे जिले, जहां की कृषि व्यवस्था पूरी तरह नहरों पर आधारित है, वहां किसान पानी के एक-एक बूंद के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

उन्होंने इसे किसानों के साथ एक क्रूर मजाक और खुला अन्याय करार दिया। उन्होंने कहा कि “अन्नदाता खेतों में बीज लेकर खड़ा है, लेकिन पानी नहीं मिलने के कारण बुवाई नहीं कर पा रहा है। यह इस राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर संकट है।”

मुख्यमंत्री पर वादा तोड़ने का आरोप

जूली ने मुख्यमंत्री से संबंधित एक वादे की याद दिलाते हुए कहा कि डेढ़ महीने पहले मुख्यमंत्री ने गंगानगर और हनुमानगढ़ के दौरे के दौरान स्पष्ट रूप से घोषणा की थी कि 3400 करोड़ रुपये की लागत से इंदिरा गांधी नहर परियोजना (IGNP) के सुदृढ़ीकरण का कार्य किया जाएगा और खालों व नहरों की समस्याओं का समाधान शीघ्र किया जाएगा।

लेकिन, जूली ने आरोप लगाया कि वह वादा आज तक जमीन पर नहीं उतर पाया है। उन्होंने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “जब प्रदेश का मुखिया जनता से वादा करता है तो वह केवल शब्द नहीं होते, वह सरकार की तरफ से दिया गया एक वचन होता है। लेकिन मुख्यमंत्री ने उस वचन को तोड़ा है, किसानों के विश्वास को तोड़ा है और उनकी उम्मीदों को बिखेर दिया है।”

खेत सूने, किसान परेशान

नेता प्रतिपक्ष ने यह भी लिखा कि नहरों में पानी की अनुपलब्धता के चलते हजारों एकड़ जमीन पर अब तक बुवाई नहीं हो सकी है। किसान पूरी तरह हताश हैं और प्रशासन की उदासीनता से आक्रोशित भी।

उन्होंने मुख्यमंत्री को सलाह देते हुए लिखा, “अपने दौरों और भाषणों के बीच थोड़ा समय इन किसानों को भी दें। नहरों को तुरंत खुलवाने का आदेश दें ताकि खेतों में फिर से हरियाली लौट सके और किसान राहत की सांस ले सकें।”

“सरकार ने किसान को भूला दिया”

टीकाराम जूली का यह बयान ऐसे समय आया है जब राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं और घोषणाओं को प्रचारित कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर इनका क्रियान्वयन सवालों के घेरे में है।

जूली ने कहा कि सरकार ने अपने विकास कार्यों की झूठी चमक में असली अन्नदाता को नजरअंदाज कर दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि कृषि संकट का हल केवल घोषणाओं से नहीं, बल्कि वास्तविक क्रियान्वयन से ही होगा।

नहरी किसानों की मांगें और आंदोलन की चेतावनी

इस गंभीर मुद्दे पर किसान संगठनों ने भी सरकार को चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही नहरों से पानी की आपूर्ति बहाल नहीं की गई, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

 

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