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सरकार गिराने का कांड प्रैक्टिकल था, कोर्ट का फैसला थ्योरिटिकल: गहलोत

सरकार गिराने का कांड प्रैक्टिकल था, कोर्ट का फैसला थ्योरिटिकल: गहलोत

मनीषा शर्मा।  राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का तीखा बयान चर्चा में है। जयपुर आवास पर मीडिया से बातचीत के दौरान गहलोत ने राज्य की मौजूदा सरकार, अदालत के फैसले, पेपर लीक कांड और मानगढ़ धाम को लेकर कई गंभीर टिप्पणियां कीं। उन्होंने साफ कहा कि राजनीति और न्यायपालिका में अंतर है—एक प्रैक्टिकल और दूसरा थ्योरिटिकल।

“सरकार गिराने का कांड प्रैक्टिकल था”

गहलोत ने एसीबी के उस मामले का जिक्र किया जिसमें उनकी सरकार गिराने की साजिश का आरोप लगाया गया था। हाल ही में हाईकोर्ट ने इस केस में एसीबी की क्लोजर रिपोर्ट को मंजूरी दी है। इस पर गहलोत ने कहा— “सरकार गिराने का पूरा कांड प्रैक्टिकल था, जबकि कोर्ट का फैसला थ्योरिटिकल है। कोर्ट ने केस को खारिज नहीं किया है, उसमें एक और केस बाकी है। एसीबी एफआर (फाइनल रिपोर्ट) दे सकता है लेकिन एफआर देने से केस खत्म नहीं होता।” इस बयान से गहलोत ने साफ किया कि वे इस प्रकरण को अब भी एक साजिश मानते हैं और इसे पूरी तरह समाप्त मानने को तैयार नहीं हैं।

पेपर लीक कांड पर सरकार को घेरा

गहलोत ने एसआई पेपर लीक मामले में अपने पूर्व पीएसओ (PSO) के नाम आने पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा— “मुख्यमंत्री के 80 पीएसओ होते हैं। क्या आपने उस पीएसओ को कभी मेरे साथ देखा? केवल फोटो लगाकर खबर बनाई गई। इसका मतलब यह हुआ कि सीएमओ का इकबाल इतना बड़ा है कि उसका एक पीएसओ भी नौकरी पाने के लिए पेपर खरीदने पर मजबूर हुआ।” उन्होंने आगे कहा— “अगर मान लो सीएमओ ढील देता तो उसे पेपर खरीदने की जरूरत क्यों पड़ती? उसकी नौकरी ऐसे ही लग जाती। हकीकत यह है कि उसकी नौकरी लगी ही नहीं थी। वह मेडिकल टेस्ट में फेल हो गया था और हमने उसकी कोई मदद भी नहीं की थी।” इस तरह गहलोत ने पेपर लीक मामले में खुद को और अपनी टीम को घेरने की कोशिशों को खारिज कर दिया।

“मैं चाहता हूं भजनलाल कामयाब हों”

गहलोत ने मौजूदा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा— “भजनलाल पहली बार मुख्यमंत्री बने हैं। मैं चाहता हूं कि वे कामयाब हों। मैंने सुझाव दिया है कि उनके सलाहकार मेरे बयान लैपटॉप पर चलाकर उन्हें सुनाएं ताकि वे समझ सकें और सफल हो पाएं।” हालांकि उनके इस बयान को राजनीतिक कटाक्ष के रूप में भी देखा जा रहा है।

मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग

गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वे मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करें। उन्होंने कहा— “पीएम 25 सितंबर को राजस्थान आ रहे हैं। मैं चाहता हूं कि वे आदिवासियों की आस्था से जुड़े मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करें। मेरे मुख्यमंत्री रहते पीएम मोदी मानगढ़ आए थे, लेकिन तमाम तैयारियों के बावजूद इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित नहीं किया गया।” गहलोत का यह बयान आदिवासी समुदाय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है और यह भी स्पष्ट करता है कि वे भाजपा पर इस मुद्दे पर दबाव बनाना चाहते हैं।

कन्हैयालाल हत्याकांड पर उठाए सवाल

गहलोत ने उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा—    “कन्हैयालाल की हत्या को तीन साल हो चुके हैं। लेकिन आज तक उसके परिजनों को न्याय नहीं मिला। अगर हमारी सरकार होती तो छह महीने में दोषियों को सजा दिला दी जाती।”

उन्होंने यह भी जोड़ा— “हत्या के तीन घंटे के अंदर हमने आरोपियों को पकड़ लिया था। लेकिन आज तक केस आगे नहीं बढ़ा। गृहमंत्री अमित शाह चुप क्यों हैं? परिवार पूछ रहा है कि NIA के पास केस होने के बावजूद न्याय कब मिलेगा? इस मामले में दो आरोपी भाजपा कार्यकर्ता हैं, लेकिन कार्रवाई अब तक क्यों नहीं हुई, यह रहस्य है।”

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