latest-newsकरौलीराजनीतिराजस्थान

करौली पंचायत समिति उपचुनाव के नतीजे: निर्दलीयों का दबदबा

करौली पंचायत समिति उपचुनाव के नतीजे: निर्दलीयों का दबदबा

मनीषा शर्मा।  राजस्थान में पंचायत और निकाय चुनाव की गहमागहमी तेज होती जा रही है। चुनावी तारीखों को लेकर भले ही सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग के बीच खींचतान जारी है, लेकिन हाल ही में करौली पंचायत समिति उपचुनाव के नतीजों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। इन उपचुनावों के परिणाम भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए बेहद निराशाजनक साबित हुए हैं, जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों ने अप्रत्याशित जीत दर्ज कर अपनी ताकत का एहसास कराया है।

दरअसल, करौली जिले की दो पंचायत समितियों – मंडरायल और मासलपुर – के वार्डों में उपचुनाव हुए थे। शुक्रवार को मतगणना शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुई और नतीजों ने साफ कर दिया कि मतदाता अब राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों से हटकर निर्दलीय प्रत्याशियों को प्राथमिकता देने लगे हैं। इस परिणाम ने भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चुनावी रणनीतियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

मंडरायल पंचायत समिति का परिणाम

मंडरायल पंचायत समिति वार्ड 6 से हुए उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी भूरो जाटव विजयी रहे। उन्हें कुल 1165 मत मिले। भाजपा प्रत्याशी वीरबती को केवल 526 मतों पर संतोष करना पड़ा। इस वार्ड में नोटा को 10 मत और 75 मत निरस्त हुए। भूरो जाटव ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 639 मतों के भारी अंतर से हराकर जीत दर्ज की। यह नतीजा भाजपा के लिए करारा झटका है क्योंकि यहां पार्टी ने जीत की उम्मीद लगाई थी।

मासलपुर पंचायत समिति का परिणाम

इसी तरह मासलपुर पंचायत समिति वार्ड 2 में भी निर्दलीय प्रत्याशी सुनील कुमार गुर्जर ने जीत दर्ज की। उन्हें कुल 1217 मत प्राप्त हुए। कांग्रेस प्रत्याशी सीमा बाई 644 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं, जबकि भाजपा प्रत्याशी रामपति गुर्जर को केवल 321 मत मिले। इस वार्ड में नोटा को 2 वोट मिले और 165 मत निरस्त किए गए। सुनील कुमार ने 573 मतों के अंतर से शानदार जीत हासिल की।

पंचायत समिति उपचुनाव के नतीजे भाजपा-कांग्रेस के लिए चिंता की वजह

इन दोनों ही पंचायत समिति उपचुनावों में भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों को शिकस्त का सामना करना पड़ा है। सबसे बड़ी बात यह रही कि दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशियों को निर्दलीय उम्मीदवारों ने हराया। यह नतीजे इस बात का संकेत हैं कि ग्रामीण इलाकों में मतदाता अब पारंपरिक दलों से हटकर स्वतंत्र उम्मीदवारों पर भरोसा जताने लगे हैं।

आगामी चुनावों पर असर

राज्य में पंचायत और निकाय चुनावों को लेकर सरकार और चुनाव आयोग के बीच फिलहाल मतभेद जारी हैं। चुनाव आयोग हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार जल्द तारीख घोषित करने के पक्ष में है, जबकि सरकार दिसंबर में विधानसभा चुनाव के साथ एक साथ कराने की पक्षधर है। करौली उपचुनाव के परिणामों के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों पर दबाव बढ़ गया है। भाजपा के लिए यह नतीजे संकेत हैं कि यदि चुनाव समय से पहले हुए तो उसे और नुकसान हो सकता है।

कांग्रेस भी इस नतीजे से सबक लेने को मजबूर है क्योंकि उसके प्रत्याशी को भी हार का सामना करना पड़ा है। दोनों दलों के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे अपनी जमीनी पकड़ मजबूत करें और जनता से सीधा संवाद बढ़ाएं, अन्यथा आने वाले पंचायत और निकाय चुनावों में भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading