शोभना शर्मा। राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध रणथंभौर नेशनल पार्क में बाघों की लगातार हो रही मौतें वन्यजीव प्रेमियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं। हाल ही में पार्क के भदलाव वन क्षेत्र में बाघिन टी-125 के एक शावक का शव मिला, जिससे पिछले दो वर्षों में मरने वाले बाघों की संख्या 17 हो गई है। यह लगातार हो रही मौतें वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों पर सवाल खड़े कर रही हैं। अधिकतर मामलों में बाघों की मृत्यु टेरिटोरियल फाइट (क्षेत्रीय लड़ाई) के कारण हो रही है, लेकिन कुछ मामलों में अन्य कारण भी सामने आए हैं, जिनमें ट्रैंकुलाइजेशन ओवरडोज और प्राकृतिक कारण भी शामिल हैं।
कैसे हुई ताजा घटना?
रणथंभौर के भदलाव वन क्षेत्र में बाघिन टी-125 रिद्धि अपने शावकों के साथ देखी गई थी। वन विभाग की टीम ने दो दिन पहले गश्त के दौरान इन्हें जंगल में विचरण करते हुए पाया था। शनिवार रात को नर बाघ टी-2311 के कैमरा ट्रैप में तस्वीरें भी रिकॉर्ड की गईं। इसके बाद, रविवार को वन विभाग को एक बाघ शावक का शव मिला, जिसे बाघिन टी-125 का शावक बताया जा रहा है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, प्रथम दृष्टया यह मामला किसी अन्य बाघ के हमले का लग रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से इसकी पुष्टि की जाएगी। शावक का शव पोस्टमार्टम के बाद दाह संस्कार के लिए राजबाग नाका ले जाया गया।
रणथंभौर में बाघों की बढ़ती मौतें – आंकड़ों पर एक नजर
रणथंभौर नेशनल पार्क में जनवरी 2023 से अब तक कुल 17 बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें से कुछ प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैं:
2023 में हुई मौतें:
- जनवरी: बाघ T-57 की मौत
- जनवरी: बाघिन T-114 और उसके शावक की मौत
- फरवरी: बाघिन T-19 की मौत
- मई: बाघ T-104 की मौत (ट्रैंकुलाइजेशन ओवरडोज के कारण)
- दिसंबर तक कुल 8 बाघों की मौत
2024 में हुई मौतें:
बाघिन T-99 का गर्भपात
बाघिन T-60 और उसके शावक की प्रसव पीड़ा के दौरान मौत
हाल ही में बाघिन टी-125 के शावक की मौत
इन घटनाओं ने वन्यजीव संरक्षण से जुड़े संगठनों और विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है।
बाघों की मौत के संभावित कारण
रणथंभौर नेशनल पार्क में बाघों की मौत के पीछे मुख्य रूप से निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
टेरिटोरियल फाइट: बाघ अपने क्षेत्र को लेकर बेहद संवेदनशील होते हैं। रणथंभौर में बाघों की बढ़ती संख्या के कारण उनके बीच टकराव बढ़ रहे हैं, जिससे कई मौतें हो रही हैं।
प्राकृतिक कारण: कुछ मामलों में बाघों की मृत्यु प्राकृतिक कारणों से भी हुई है, जैसे उम्रदराज होने या बीमारी के चलते।
प्रजनन संबंधी जटिलताएं: हाल के वर्षों में बाघिनों के गर्भपात और प्रसव के दौरान जटिलताएं भी सामने आई हैं, जिससे शावकों की मौत हो रही है।
मानवीय हस्तक्षेप: जंगल में बढ़ती गतिविधियों, शिकारियों के खतरे और वन विभाग की लापरवाही के कारण भी बाघों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
दवाईयों की ओवरडोज: मई 2023 में बाघ T-104 की मौत ट्रैंकुलाइजेशन ओवरडोज के कारण हुई थी। इससे वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े हुए थे।
वन विभाग की प्रतिक्रिया और आगे की कार्यवाही
उपवन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक बाघ परियोजना रणथंभौर डॉ. रामानंद भाकर ने बताया कि शावक के शव का पोस्टमार्टम कर लिया गया है और विसरा के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं। वन विभाग यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पार्क में बाघों की निगरानी और सुरक्षा को बढ़ाया जाए।
वन विभाग यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पार्क में बाघों की निगरानी और सुरक्षा को बढ़ाया जाए।क्या रणथंभौर की प्रसिद्धि पर असर पड़ेगा?
रणथंभौर नेशनल पार्क अपनी बाघ आबादी और सफारी पर्यटन के लिए जाना जाता है। लेकिन बाघों की लगातार हो रही मौतें न केवल वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को चुनौती दे रही हैं, बल्कि इससे रणथंभौर की प्रतिष्ठा को भी नुकसान हो सकता है। अगर बाघों की मृत्यु दर इसी तरह बढ़ती रही, तो इससे पर्यटकों की संख्या में भी कमी आ सकती है, जो राजस्थान के पर्यटन उद्योग के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है।