शोभना शर्मा। अजमेर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 7 करोड़ रुपये की लागत से बने फूड कोर्ट को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया 7 अप्रैल तक ध्वस्तीकरण का आदेश
17 मार्च को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 7 अप्रैल तक फूड कोर्ट को पूरी तरह ध्वस्त कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। नगर निगम प्रशासन ने पहले कुछ हिस्से को तोड़ा था, लेकिन अब दोपहर 4 बजे के बाद पूरी तरह से इसे हटाने का कार्य तेज कर दिया गया।
क्यों तोड़ा जा रहा है फूड कोर्ट?
फूड कोर्ट का निर्माण आनासागर झील के आसपास वेटलैंड क्षेत्र में हुआ था, जिसे अवैध निर्माण माना गया।
कोर्ट के आदेश के तहत नगर निगम द्वारा इसे हटाने की कार्रवाई शुरू की गई।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पहले ही इसे अवैध घोषित कर दिया था और हटाने के आदेश दिए थे।
बिना आवश्यक पर्यावरणीय मंजूरी के निर्माण होने की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवैध माना।
ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया कैसे हो रही है?
पहले यहां लगे पौधों को सुरक्षित निकाला गया।
ग्लास और अन्य सामान को भी संरक्षित करके हटाया गया।
इस कार्रवाई में नगर निगम के अधीक्षण अभियंता पी.पी. शर्मा, अधिशाषी अभियंता आर.के. चौधरी समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
वेटलैंड निर्माण का प्रस्ताव तैयार
तबीजी और हाथीखेड़ा में बनेगा वेटलैंड
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, अजमेर में तबीजी और हाथीखेड़ा में वेटलैंड विकसित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
तबीजी गांव और राष्ट्रीय राजमार्ग के बीच 9.50 हेक्टेयर भूमि
राधास्वामी सत्संग और गैस बॉटलिंग प्लांट के बीच 10.50 हेक्टेयर भूमि
हाथीखेड़ा के नानक्या तालाब के पास 0.75 हेक्टेयर भूमि
7 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में वेटलैंड निर्माण का प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाएगा।
याचिकाकर्ता ने जताई आपत्ति
याचिकाकर्ता अशोक मलिक ने सुप्रीम कोर्ट में इंटरलोक्यूटरी आवेदन पत्र के जरिए इस फैसले पर आपत्ति जताई।
उन्होंने कहा कि एक वेटलैंड को नष्ट कर दूसरी जगह कृत्रिम वेटलैंड बनाना वैज्ञानिक रूप से गलत और पर्यावरण के लिए खतरनाक है।
आनासागर झील 12वीं सदी से अजमेर की पारिस्थितिकी, जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा रही है।
सरकार ने सेवन वंडर्स पार्क, कंक्रीट पाथवे, लव-कुश पार्क और फूड कोर्ट जैसे निर्माण बिना पर्यावरणीय मंजूरी के किए हैं।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि सरकार कोर्ट के आदेश का गलत अर्थ निकालकर अवैध निर्माणों को वैध करने का प्रयास कर रही है।
सेवन वंडर्स पार्क भी 6 महीने में हटाना होगा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, अजमेर के सेवन वंडर्स पार्क को भी 6 महीने के भीतर हटाने का आदेश दिया गया है।
प्रशासन इसे शिफ्ट करने की योजना बना रहा है, लेकिन फिलहाल नई जगह तय नहीं की गई है।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
17 मार्च को, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस. ओका और उज्जवल बुएन की बेंच ने फैसला सुनाया कि:
फूड कोर्ट को 7 अप्रैल तक पूरी तरह से हटाना होगा।
सेवन वंडर्स पार्क को 6 महीने में हटाने या शिफ्ट करने की योजना बनानी होगी।
जितना वेटलैंड क्षेत्र नष्ट हुआ है, उससे दोगुना क्षेत्र में नया वेटलैंड विकसित करना होगा।
गांधी स्मृति उद्यान, पाथ-वे और आजाद पार्क कॉम्पलेक्स पर सुनवाई भी 7 अप्रैल को होगी।
सरकार की ओर से AAG तुषार मेहता ने पैरवी की, जबकि याचिकाकर्ता अशोक मलिक ने स्वयं अपना पक्ष रखा।