जयपुर के आमेर के किले को अम्बर का किला भी कहा जाता है, जो मुख्य शहर जयपुर से लगभग 11 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। राजस्थान और जयपुर आने वाले पर्यटकों के लिए आमेर का किला खास आकर्षण का केंद्र है ।
आमेर किले का इतिहास
आमेर के किले को राजा मान सिंह द्वारा बनवाया गया था जो सन् 1592 में बनकर तैयार हुआ था। यह किला पहाड़ी के ऊपर लगभग 1.5 वर्ग मील में फैला हुआ है। आमेर किले, जयगढ़ किले के एकदम समानांतर स्थित है और ये दोनों किले नीचे एक मार्ग से जुड़े हुए हैं। इसे बनाने का मकसद दुश्मनों से किले की रक्षा था। आमेर किले का सबसे पहला निर्माण राजा काकिल देव ने 11वीं सदी में शुरू करवाया था, लेकिन बाद में 1592 में राजा मान सिंह ने इसे पूरा करवाया था। आमेर का किला मध्य काल का एक स्मारक है।
आमेर किले की विशेषताएं
आमेर किले का सबसे पहला निर्माण राजा काकिल देव ने 11वीं सदी में शुरू करवाया था, लेकिन बाद में 1592 में राजा मान सिंह ने इसे पूरा करवाया। आमेर का किला मध्य काल का एक स्मारक है। इस किले को हिन्दू और मुस्लिम वास्तुकाला के लिए प्रसिद्ध माना जाता है। किले में बहुत से दर्शनीय दरवाजे और छोटे-छोटे तालाब बने हुए हैं, साथ ही ये तालाब किले के अंदर पानी का मुख्य स्रोत हैं। कहते हैं कि यह इन्हें प्राचीन काल में अंबवाती और अंबिकपुर के नाम से जाना जाता था। आमेर का किला लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से बना है। इस किले के अंदर बहुत ही आकर्षक कमरे बने हैं। यह महल लंबे समय तक राजपूत महाराजाओं के मुख्य निवास स्थान के रूप में इस्तेमाल किया गया। राजस्थान का ऐतिहासिक आमेर अपनी गौरवशाली कथाओं और नक्काशी कलात्मक शैली शीश महल के लिए प्रसिद्ध है। आमेर का किला उच्च कोटि की शिल्पकला का उत्कृष्ट नमूना माना जाता है। इस किले के अंदर बने महल अपने आप में बेमिसाल है, उन्हीं महलों में से एक है शीश महल जो अपनी आलीशान और अद्भुत नक्काशी लिए जाना जाता है। किले में दीवान-ए-खास, दीवान-ए-आम, शीश महल, जय मंदिर और सुख निवास भी बना हुआ है। यहां हमेशा ठंढी और हवा चलती रहती है। वहीं किले में प्रवेश द्वार गणेश गेट पर चैतन्य पंथ की शीला देवी का मंदिर बना हुआ है जो राजा मनसिंह को दिया गया था, जब उन्होंने 1604 ई में बंगाल में जैसोर के राजा को हराया था। महल और जयगढ़ किले को एक ही कॉम्प्लेक्स माना जाता है क्योंकि दोनों किले एक गुप्त मार्ग से जुड़े हुए हैं।माना जाता है कि युद्ध के समय इस गुप्त रास्ते को शाही परिवार के सदस्यों को बाहर निकालने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। आपको बता दें कि 2013 में इस किले को यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज में शामिल किया गया था।