शोभना शर्मा। राजस्थान के जैसलमेर जिले के डांगरी गांव में पर्यावरण प्रेमी खेत सिंह की निर्मम हत्या के बाद पिछले 48 घंटों से जो गतिरोध और तनाव का माहौल बना हुआ था, वह आखिरकार गुरुवार देर रात खत्म हो गया। प्रशासन और सर्व समाज के प्रतिनिधिमंडल के बीच लंबी बातचीत के बाद सहमति बनने के पश्चात शुक्रवार सुबह खेत सिंह का शव उनके पैतृक गांव डांगरी लाया गया। शव घर पहुंचते ही गांव में गमगीन माहौल छा गया और हर आंख नम हो उठी। सुबह भारी जनसमूह उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुआ और गांव की गलियां शोक से भर गईं।
तनाव और विरोध के बीच खत्म हुआ गतिरोध
खेत सिंह की हत्या के बाद डांगरी गांव में भारी तनाव व्याप्त हो गया था। ग्रामीणों और सर्व समाज के लोगों ने आरोपियों की गिरफ्तारी और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर धरना और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। इस दौरान गांव में कई स्थानों पर आक्रोशित भीड़ ने आरोपियों के घरों पर पथराव और आगजनी की घटनाएं भी कीं। हालात बिगड़ते देख प्रशासन को अतिरिक्त पुलिस बल भेजना पड़ा।
स्थिति गंभीर होने पर जोधपुर रेंज के आईजी, बाड़मेर और जैसलमेर के पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुंचे। उन्होंने समाज के प्रमुख लोगों और जनप्रतिनिधियों से मुलाकात कर आंदोलनकारियों को बातचीत के लिए तैयार किया। इस वार्ता में पोकरण विधायक महंत प्रताप पुरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी और जैसलमेर विधायक छोटू सिंह भाटी जैसे वरिष्ठ नेता शामिल रहे।
इन 6 मांगों पर बनी सहमति
वार्ता के बाद प्रशासन और समाज के बीच छह प्रमुख मांगों पर सहमति बनी, जिसके बाद मृतक परिवार और ग्रामीणों ने धरना समाप्त करने का निर्णय लिया। ये मांगे थीं—
सभी आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी और उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई।
मृतक के परिवार को पर्याप्त आर्थिक मुआवजा।
परिवार के किसी एक सदस्य को संविदा पर नौकरी।
आरोपियों द्वारा कब्जाई गई सरकारी जमीनों से अतिक्रमण तत्काल हटाया जाएगा।
खेत सिंह को आधिकारिक रूप से पर्यावरण प्रेमी का दर्जा प्रदान किया जाएगा।
उनकी याद में गांव में एक मूर्ति स्थापित की जाएगी।
इन मांगों पर सहमति बनते ही गांव में जारी धरना समाप्त हुआ और गतिरोध खत्म हो गया।
गांव में भारी पुलिस तैनाती
गतिरोध खत्म होने के बावजूद गांव में तनाव पूरी तरह से शांत नहीं हुआ है। स्थिति को नियंत्रित रखने के लिए जैसलमेर एसपी अभिषेक शिवहरे के नेतृत्व में भारी पुलिस बल तैनात है। शुक्रवार को जुम्मे की नमाज और मुस्लिम समाज के महत्वपूर्ण पर्व बराफात को देखते हुए गांव की मस्जिद के बाहर भी विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई है। पूरे डांगरी गांव को छावनी में तब्दील कर दिया गया है ताकि किसी अप्रिय घटना को रोका जा सके।
अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
गुरुवार देर रात सहमति बनने के बाद शुक्रवार सुबह खेत सिंह का शव बाड़मेर मोर्चरी से डांगरी गांव लाया गया। जैसे ही शव उनके घर पहुंचा, वातावरण शोक और आंसुओं से भर गया। शव यात्रा उनके घर से आरंभ हुई और गांव की गलियों से होते हुए श्मशान घाट तक पहुंची।
इस अंतिम यात्रा में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। दूर-दराज से आए ग्रामीण भी इसमें शामिल हुए, जिससे स्पष्ट हो गया कि खेत सिंह को समाज में किस हद तक सम्मान और प्रेम प्राप्त था। जैसलमेर विधायक छोटू सिंह भाटी भी विशेष रूप से इस अंतिम यात्रा में शामिल हुए। थोड़ी देर बाद गांव के श्मशान घाट पर पूरे रीति-रिवाज और सम्मान के साथ खेत सिंह को अंतिम विदाई दी गई।
समाज में गहरा आक्रोश और दुख
खेत सिंह की हत्या ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है। उन्हें पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सरोकारों में सक्रिय कार्यकर्ता माना जाता था। लोग उन्हें “पर्यावरण प्रेमी” के रूप में जानते थे, जिन्होंने गांव और क्षेत्र में जल, पेड़ और हरियाली बचाने के लिए कई अभियानों में भागीदारी निभाई थी। यही कारण है कि उनकी हत्या ने न केवल डांगरी गांव बल्कि पूरे जैसलमेर और बाड़मेर क्षेत्र को शोक और आक्रोश से भर दिया।