मनीषा शर्मा। चंबल नदी से एक बार फिर खुशखबरी सामने आई है। यहां विलुप्तप्राय जीव घड़ियाल का कुनबा फिर बढ़ने वाला है। देवरी घड़ियाल पालन केंद्र में 200 अंडों से 181 नन्हें शावक निकले हैं। इन दिनों चंबल नदी घड़ियाल के नन्हे शावकों से गुलजार हो रही है। नेस्टिंग की समय अवधि पूरी होने पर रेत में दबे घड़ियाल के अंडों से शावक निकलना शुरू हो गए हैं। चंबल में नन्हें शावकों ने क्रीड़ा करना और तैरना शुरू कर दिया है, जिससे सुबह-शाम वन्य जीव प्रेमी भी लुत्फ उठा रहे हैं।
वाइल्ड लाइफ डीएफओ नाहर सिंह ने बताया कि एक मादा घड़ियाल 20 से 35 अंडे देती है, जो कि चंबल किनारे ही रेत में अंडों को दबा देती है। बच्चों के अंडे से बाहर निकलने का दौर करीब तीन माह तक चलेगा। अंडों से घड़ियाल के शावक निकलने के बाद करीब 2 महीने तक घड़ियाल मादा अपने बच्चों की देखभाल और परवरिश करती है।
चंबल नदी में मौजूदा वक्त में लगभग ढाई हजार घड़ियाल प्रजाति का कुनबा है। इसके अलावा करीब 1000 मगरमच्छ और एक दर्जन डॉल्फिन भी यहां मौजूद हैं। यह क्षेत्र वन्य जीव प्रेमियों के लिए अद्वितीय आकर्षण का केंद्र बन चुका है। घड़ियालों की संख्या में इस वृद्धि से संरक्षण प्रयासों की सफलता को भी बल मिला है। देवरी घड़ियाल पालन केंद्र के प्रयासों और चंबल नदी के सुरक्षित वातावरण के कारण यह संभव हो पाया है। इन नन्हे शावकों के जन्म से चंबल की जैव विविधता में नया आयाम जुड़ गया है और यह वन्य जीव प्रेमियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है।
चंबल नदी का यह अद्भुत दृश्य और वन्य जीवों की यह समृद्धि सभी के लिए गर्व का विषय है। संरक्षण और देखभाल के इस प्रयास को जारी रखना आवश्यक है ताकि घड़ियालों की संख्या में और वृद्धि हो सके और उनकी प्रजाति सुरक्षित रहे।