शोभना शर्मा। राजस्थान में सरकारी नौकरियों को लेकर फर्जीवाड़े के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। हाल ही में विभिन्न विभागों में हुई नियुक्तियों के दस्तावेज़ों की जांच में कई उम्मीदवारों पर फर्जी कागज़ात लगाने के आरोप सिद्ध हुए हैं। यहां तक कि एक विधायक की बेटी की नियुक्ति पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। लेकिन अब धौलपुर से ऐसा मामला उजागर हुआ है, जिसने पूरे तंत्र को चौंका दिया है। यहां 20 सालों से नौकरी कर रही एक शिक्षिका के खिलाफ यह आरोप सिद्ध हुआ कि उसने फर्जी दस्तावेज़ लगाकर नौकरी हासिल की थी। शिक्षा विभाग की शिकायत पर पुलिस ने महिला को गिरफ्तार कर लिया है।
धौलपुर का मामला, 20 साल से शिक्षक पद पर थी तैनात
धौलपुर जिले के राजाखेड़ा थाना क्षेत्र में तैनात शिक्षिका मोनी देवी पत्नी सोवरन सिंह को पुलिस ने सोमवार (15 सितंबर 2025) को गिरफ्तार कर लिया। मामला यह है कि महिला 2005 से तृतीय श्रेणी शिक्षक के पद पर कार्यरत थी और पूरे 20 साल तक सरकार से लाखों रुपए वेतन प्राप्त कर चुकी थी। शिक्षा विभाग को महिला के दस्तावेज़ों को लेकर शिकायत मिली थी। विभागीय स्तर पर हुई जांच के बाद जब अंकतालिकाओं का वेरिफिकेशन कराया गया तो पूरा सच सामने आ गया।
फर्जी दस्तावेज़ से पाई थी नियुक्ति
शिक्षिका मोनी देवी ने विधवा कोटे से आवेदन कर नौकरी प्राप्त की थी। दरअसल, उनके पति सोबरन सिंह की 2001 में मृत्यु हो गई थी। इसके बाद उन्होंने कक्षा 10वीं और 12वीं की फर्जी अंकतालिका तैयार करवा ली और इन कागज़ों के आधार पर तृतीय श्रेणी शिक्षक पद के लिए आवेदन कर दिया। साल 2005 में उन्हें इस पद पर नियुक्त कर दिया गया। तब से अब तक वे लगातार नौकरी करती रहीं।
मेरठ बोर्ड से वेरिफिकेशन में हुआ खुलासा
राजाखेड़ा थाना प्रभारी रामकिशन यादव के अनुसार, महिला द्वारा प्रस्तुत अंकतालिका उत्तर प्रदेश के इंटर कॉलेज जैंगारा, जिला आगरा से जारी दिखाई गई थी। जांच में इन दस्तावेज़ों को माध्यमिक शिक्षा परिषद मेरठ भेजा गया। मेरठ बोर्ड से जब रिपोर्ट आई तो यह साबित हो गया कि संबंधित नाम से न तो कक्षा 10वीं और न ही 12वीं का कोई रिकॉर्ड मौजूद है। इस तरह स्पष्ट हुआ कि शिक्षिका ने कूटरचित तरीके से फर्जी अंकतालिका प्रस्तुत की थी।
शिक्षा विभाग की शिकायत पर हुई कार्रवाई
24 फरवरी 2025 को मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने राजाखेड़ा थाने में शिक्षिका के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया था। मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने गहन जांच की और अब सबूत मिलने पर महिला को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का कहना है कि 20 साल की नौकरी अवधि में महिला लाखों रुपये का वेतन प्राप्त कर चुकी है। अब इस मामले को कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा।
विधवा कोटे का गलत इस्तेमाल
राजस्थान में विधवा कोटे का उद्देश्य उन महिलाओं को सहारा देना है जिनके पति की मृत्यु हो चुकी हो और वे आर्थिक रूप से कमजोर हों। लेकिन इस मामले ने यह दिखा दिया कि किस तरह इस संवेदनशील व्यवस्था का गलत फायदा उठाया गया। महिला ने पति की मृत्यु के बाद इस कोटे से लाभ तो उठाया, लेकिन आधार बने दस्तावेज़ पूरी तरह फर्जी निकले।
सरकारी तंत्र पर सवाल
यह मामला सिर्फ एक महिला शिक्षक की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा करता है। आखिर कैसे फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर कोई उम्मीदवार 20 साल तक नौकरी करता रहा और विभाग को भनक तक नहीं लगी? कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह चूक शिक्षा विभाग और भर्ती प्रक्रिया की कमजोरियों को उजागर करती है। अगर नियमित अंतराल पर दस्तावेज़ों का वेरिफिकेशन किया जाता तो यह मामला वर्षों पहले ही सामने आ सकता था।
सरकार और विभाग की बड़ी चुनौती
सरकार के सामने अब यह चुनौती है कि वह कैसे यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। फर्जीवाड़े के कारण न केवल सरकारी नौकरी की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं, बल्कि ईमानदार और योग्य उम्मीदवारों के हक भी मारे जाते हैं। इस मामले से यह साफ है कि दस्तावेज़ वेरिफिकेशन और नियुक्ति प्रक्रिया को और अधिक कठोर बनाने की आवश्यकता है।