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शिक्षक भर्ती में फर्जी डिग्री का शक: एक लाख टीचर्स के डॉक्यूमेंट्स की दोबारा जांच

शिक्षक भर्ती में फर्जी डिग्री का शक: एक लाख टीचर्स के डॉक्यूमेंट्स की दोबारा जांच

मनीषा शर्मा । भाजपा सरकार के आदेश के बाद शिक्षा विभाग में खलबली मच गई है। कांग्रेस राज में नियुक्त किए गए करीब एक लाख शिक्षकों के डॉक्यूमेंट्स की दोबारा जांच की जा रही है। जांच दल संबंधित विश्वविद्यालयों में जाकर डिग्री की सत्यता की जांच करेगा। इसके अलावा, एग्जाम सेंटर पर किए गए हस्ताक्षर की भी चैकिंग होगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि उम्मीदवार ने खुद परीक्षा दी थी या किसी और ने।

इस जांच के अंतर्गत ग्रेड थर्ड से प्रिंसिपल स्तर तक के टीचर्स शामिल हैं। सभी की डिग्री, मार्कशीट और अन्य कागजात की चैकिंग शुरू हो गई है। ग्रेड थर्ड और सेकेंड के टीचर्स के रिकॉर्ड की जांच जिला शिक्षा अधिकारी और उप निदेशक स्तर पर की जा रही है, जबकि लेक्चरर और हेड मास्टर स्तर के कैंडिडेट्स का रिकॉर्ड शिक्षा निदेशालय द्वारा जांचा जा रहा है। हाल ही में एसओजी ने फर्जी डिग्री देने वाले दो विश्वविद्यालय संचालकों को भी गिरफ्तार किया था।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक आशीष मोदी ने कहा कि कार्मिक विभाग के आदेश पर पिछले पांच साल में हुई नियुक्तियों के डॉक्यूमेंट्स का फिर से वैरिफिकेशन किया जा रहा है, खासकर जिनकी नियुक्तियों में गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं।

प्रारंभिक और माध्यमिक दोनों ही शिक्षा निदेशालय फर्जी तरीके से लगे टीचर्स का पता लगा रहे हैं। साल 2019 से 2024 तक नियुक्ति पाने वाले सभी टीचर्स के फॉर्म वापस निकाले जा रहे हैं। आवेदन में लगे सभी कागजों की नए सिरे से जांच की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डिग्री सही है या नहीं।

राज्य सरकार ने आदेश दिया है कि भर्ती परीक्षा में संबंधित कैंडिडेट बैठा था या नहीं, इसकी भी जांच की जाए। इसके लिए एग्जाम सेंटर पर किए गए हस्ताक्षर की जांच होगी।

एसओजी ने हाल ही में फर्जी डिग्री देने वाले दो विश्वविद्यालय संचालकों को गिरफ्तार किया था। ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के संचालक जोगेंद्र सिंह और सनराइज एंड एमके यूनिवर्सिटी के संचालक जितेंद्र यादव को हिरासत में लिया गया था।

राजस्थान यूनिवर्सिटी से डिग्री लेने वाले टीचर्स के रिकॉर्ड की जांच नहीं होती थी, लेकिन अब इनकी भी जांच की जाएगी। अन्य विभागों में हुई नियुक्तियों की भी छानबीन की जा सकती है।

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